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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

24-06-2025

इंडिया की एनर्जी कैपेसिटी 10 वर्षों में 56 प्रतिशत बढक़र 305 गीगावाट से 476 गीगावाट हुई

  •  भारत की ऊर्जा क्षमता का पिछले 10 वर्षों में बढ़ती मांग, बुनियादी ढांचे के विकास और पारंपरिक एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के लिए मजबूत नीतिगत समर्थन के कारण जोरदार विस्तार हुआ है।   जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश में कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता 2015-16 में 305 गीगावाट से 56 प्रतिशत बढक़र जून 2025 तक 476 गीगावाट हो गई है। देश में बिजली उत्पादन 2015-16 में 1,168 बिलियन यूनिट (बीयू) से बढक़र 2024-25 में अनुमानित 1,824 बीयू हो गया है। वहीं, बिजली की कमी 2013-14 में 4.2 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में 0.1 प्रतिशत पर आ गई है। इसके अलावा, इस अवधि के दौरान 2.8 करोड़ से अधिक घरों का विद्युतीकरण किया गया और प्रति व्यक्ति बिजली की खपत में 45.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता 476 गीगावाट है, जिसमें 240 गीगावाट थर्मल, 110.9 गीगावाट सौर और 51.3 गीगावाट पवन ऊर्जा शामिल हैं। सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में, भारत ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। इसकी ऊर्जा मांग प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज दर से बढऩे की उम्मीद है, जो निरंतर आर्थिक विकास से प्रेरित है। परिणाणस्वरूप, वैश्विक प्राथमिक ऊर्जा खपत में भारत की हिस्सेदारी 2035 तक दोगुनी होने का अनुमान है। पिछले ग्यारह वर्षों में, भारत ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में मजबूत प्रगति की है। सीओपी26 में की गई प्रतिबद्धता के अनुरूप, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय अक्षय ऊर्जा (एमएनआरई) 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावाट स्थापित बिजली क्षमता हासिल करने के लिए मजबूत प्रयास कर रहा है। जून 2025 तक देश ने गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 235.7 गीगावाट की ऊर्जा क्षमता हासिल कर ली है, जिसमें 226.9 गीगावाट अक्षय ऊर्जा और 8.8 गीगावाट परमाणु ऊर्जा शामिल है, जो 476 गीगावाट की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का 49 प्रतिशत है। देश के कुल बिजली उत्पादन में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढक़र लगभग 22.2 प्रतिशत हो गई है, जो कि 2014 में 17.20 प्रतिशत थी। यह डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों और एक सस्टेनेबल फ्यूचर के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दिखाता है। इसके अलावा, 176.70 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं कार्यान्वयन के अधीन हैं, जिनमें से 72.06 गीगावाट बोली के चरणों में हैं। 2014 से देश की सौर क्षमता में 39 गुना से अधिक की बढ़त देखी गई है, जो 2.82 गीगावाट से बढक़र 2025 में 110.9 गीगावाट हो गई है, जिसमें अकेले 2024-25 में रिकॉर्ड 23.83 गीगावाट की वृद्धि शामिल है।

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इंडिया की एनर्जी कैपेसिटी 10 वर्षों में 56 प्रतिशत बढक़र 305 गीगावाट से 476 गीगावाट हुई

 भारत की ऊर्जा क्षमता का पिछले 10 वर्षों में बढ़ती मांग, बुनियादी ढांचे के विकास और पारंपरिक एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के लिए मजबूत नीतिगत समर्थन के कारण जोरदार विस्तार हुआ है।   जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश में कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता 2015-16 में 305 गीगावाट से 56 प्रतिशत बढक़र जून 2025 तक 476 गीगावाट हो गई है। देश में बिजली उत्पादन 2015-16 में 1,168 बिलियन यूनिट (बीयू) से बढक़र 2024-25 में अनुमानित 1,824 बीयू हो गया है। वहीं, बिजली की कमी 2013-14 में 4.2 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में 0.1 प्रतिशत पर आ गई है। इसके अलावा, इस अवधि के दौरान 2.8 करोड़ से अधिक घरों का विद्युतीकरण किया गया और प्रति व्यक्ति बिजली की खपत में 45.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता 476 गीगावाट है, जिसमें 240 गीगावाट थर्मल, 110.9 गीगावाट सौर और 51.3 गीगावाट पवन ऊर्जा शामिल हैं। सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में, भारत ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। इसकी ऊर्जा मांग प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज दर से बढऩे की उम्मीद है, जो निरंतर आर्थिक विकास से प्रेरित है। परिणाणस्वरूप, वैश्विक प्राथमिक ऊर्जा खपत में भारत की हिस्सेदारी 2035 तक दोगुनी होने का अनुमान है। पिछले ग्यारह वर्षों में, भारत ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में मजबूत प्रगति की है। सीओपी26 में की गई प्रतिबद्धता के अनुरूप, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय अक्षय ऊर्जा (एमएनआरई) 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावाट स्थापित बिजली क्षमता हासिल करने के लिए मजबूत प्रयास कर रहा है। जून 2025 तक देश ने गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 235.7 गीगावाट की ऊर्जा क्षमता हासिल कर ली है, जिसमें 226.9 गीगावाट अक्षय ऊर्जा और 8.8 गीगावाट परमाणु ऊर्जा शामिल है, जो 476 गीगावाट की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का 49 प्रतिशत है। देश के कुल बिजली उत्पादन में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढक़र लगभग 22.2 प्रतिशत हो गई है, जो कि 2014 में 17.20 प्रतिशत थी। यह डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों और एक सस्टेनेबल फ्यूचर के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दिखाता है। इसके अलावा, 176.70 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं कार्यान्वयन के अधीन हैं, जिनमें से 72.06 गीगावाट बोली के चरणों में हैं। 2014 से देश की सौर क्षमता में 39 गुना से अधिक की बढ़त देखी गई है, जो 2.82 गीगावाट से बढक़र 2025 में 110.9 गीगावाट हो गई है, जिसमें अकेले 2024-25 में रिकॉर्ड 23.83 गीगावाट की वृद्धि शामिल है।


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