सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने हाल ही स्लिम, लाइटवेट और फोल्डेबल फोन पेश किए हैं। कोरियाई कंपनी इस मुनाफे वाले सैगमेंट चीन की कंपीटिटर कंपनियों के दबदबे में सेंध लगाना चाहती है। फिर इस सैगमेंट में एपल भी तो नहीं है। कोरियाई दिग्गज ने 2023 में एपल के हाथों स्मार्टफोन मार्केट में अपनी ग्लोबल लीडरशिप गंवा दी थी और अब उसकी राह में हुआवे और ऑनर जैसे चीनी कंपनियों ने रोड़ा लगा दिया है। सैमसंग के चिप बिजनस के मुनाफे में भी कमी आ रही है। सैमसंग के मोबाइल बिजनस हैड और सीओओ चोई वोन-जून ने कहा कि उनका मिशन सैमसंग को एआई स्मार्टफोन में लीडर बनाने का है। अग्रणी बनाना है। एआई फोल्डेबल स्मार्टफोन मेनस्ट्रीम में आने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि सैमसंग गूगल जैसे पार्टनरों के साथ पार्टनरशिप में एआई सैक्टर में लीडर बनना चाहता है। जबकि एपल अपनी इन-हाउस एआई टेक्नोलॉजी पर निर्भर होने के कारण ज्यादा फीचर जोडऩे में कमजोर साबित हो रहा है। एनेलिस्ट्स के अनुसार सैमसंग के नए मॉडल्स में फोल्डेबल फोन के भारी होने जैसी कुछ समस्याओं का समाधान है। इनसे ब्रांड को एक प्रीमियम फील भी मिलेगी। गैलेक्सी जेड फोल्ड 7 अपने पिछले मॉडल की तुलना में 10 परसेंट हल्का और 26 परसेंट स्लिम है। हालांकि एनेलिस्ट यह भी कहते हैं कि हाई प्राइस और सीमित उपयोगिता के चलते फोल्डेबल फोन अभी भी नीश सैगमेंट बने रहेंगे। रिसर्च फर्म आईडीसी के अनुसार फोल्डेबल फोन कुल स्मार्टफोन बाजार का केवल 1.5 परसेंट हिस्सा हैं। रिसर्च फर्म कैनालिस का अनुमान है कि सैमसंग की फोल्डेबल शिपमेंट्स 2022 में पीक हो चुकी हैं और 2025 में इसमें थोड़ा करेक्शन आ सकता है। फोल्डेबल फोन का सैमसंग की कुल सेल्स में केवल 4 परसेंट शेयर है लेकिन 800 डॉलर से ज्यादा प्राइस वाले फोन की सेल्स में इनका शेयर 16 परसेंट है। हुआवे और ऑनर जैसे ब्रांड्स की चीन के फोल्डेबल मार्केट में पकड़ का भी सैमसंग को नुकसान हो रहा है। हाल ही सैमसंग के डिवाइस एक्सपीरियंस के चीफ टीएम रोह ने कहा कि कंपनी एक तीन बार फोल्ड होने वाला स्मार्टफोन साल के अंत तक लॉन्च करने की दिशा में काम कर रही है। सैमसंग अपने स्मार्टफोन वियतनाम दक्षिण कोरिया और भारत में बनाती है। वियतनाम प्लांट का सैमसंग के कुल स्मार्टफोन प्रॉडक्शन में 50 परसेंट शेयर है। लेकिन अमेरिकी प्रेसिडेंट डॉनाल्ड ट्रंप ने वियतनाम पर 20 परसेंट टैरिफ लगा दिया है। अब कंपनी भारत पर ट्रंप टैरिफ का इंतजार कर रही है। यदि भारत पर टैरिफ वियतनाम के मुकाबले कम हुआ तो अमेरिकी मार्केट के लिए प्रॉडक्शन को वियतनाम से भारत शिफ्ट कर सकती है।