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11-12-2025

भारतीय एनबीएफसी कंपनियों के वाहन लोन सेगमेंट का एयूएम सालाना 17% की दर से बढऩे का अनुमान

  •  भारत की नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) चालू और अगले वित्त वर्ष में सालाना 16-17 प्रतिशत की दर से बढक़र मार्च 2027 तक 11 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। यह जानकारी जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।  रिपोर्ट में बताया गया कि वाहनों के सब-सेगमेंट में अलग-अलग ग्रोथ देखी जा रही है और सेकंड हैंड वाहनों के लोन की ग्रोथ नए वाहनों से मजबूत बनी हुई है। क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया, वाहन फाइनेंस का बिजनेस चक्रीय है और व्यापक अर्थव्यवस्था के ट्रेंड से काफी हद तक प्रभावित होता है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) इस वित्त वर्ष में 7 प्रतिशत की दर से बढऩे का अनुमान है, जो कि पिछले साल 6.5 प्रतिशत था। साथ ही कहा कि अगले वित्त वर्ष में भी वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूत गति के साथ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) सुधारों और ब्याज दरों को कम किए जाने से भी वाहनों की बिक्री को सपोर्ट मिलेगा। क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक मालविका भोटिका ने कहा, अधिकांश बड़ी एनबीएफसी के लिए सेकंड हैंड वाहनों के लोन की वृद्धि दर नए वाहन लोन की वृद्धि दर से अधिक रहने की उम्मीद है। हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2020 से 2025 के बीच उनके सेकंड हैंड वाहनों के एयूएम में 15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की गई है, जबकि नए वाहन लोन में यह दर 11 प्रतिशत रही है। यह वृद्धि ट्रेंड मध्यम अवधि में भी जारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि इस्तेमाल किए गए वाहन के स्वामित्व की यूनिट लागत नए वाहन के स्वामित्व की इकाई लागत से कम है। रिपोर्ट में बताया गया कि सब-सेगमेंट में सेकंड हैंड कमर्शियल वाहनों का बाजार अधिक स्थापित है। जहां करों और यूटिलिटी वाहनों के लिए ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है।

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भारतीय एनबीएफसी कंपनियों के वाहन लोन सेगमेंट का एयूएम सालाना 17% की दर से बढऩे का अनुमान

 भारत की नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) चालू और अगले वित्त वर्ष में सालाना 16-17 प्रतिशत की दर से बढक़र मार्च 2027 तक 11 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। यह जानकारी जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।  रिपोर्ट में बताया गया कि वाहनों के सब-सेगमेंट में अलग-अलग ग्रोथ देखी जा रही है और सेकंड हैंड वाहनों के लोन की ग्रोथ नए वाहनों से मजबूत बनी हुई है। क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया, वाहन फाइनेंस का बिजनेस चक्रीय है और व्यापक अर्थव्यवस्था के ट्रेंड से काफी हद तक प्रभावित होता है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) इस वित्त वर्ष में 7 प्रतिशत की दर से बढऩे का अनुमान है, जो कि पिछले साल 6.5 प्रतिशत था। साथ ही कहा कि अगले वित्त वर्ष में भी वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूत गति के साथ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) सुधारों और ब्याज दरों को कम किए जाने से भी वाहनों की बिक्री को सपोर्ट मिलेगा। क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक मालविका भोटिका ने कहा, अधिकांश बड़ी एनबीएफसी के लिए सेकंड हैंड वाहनों के लोन की वृद्धि दर नए वाहन लोन की वृद्धि दर से अधिक रहने की उम्मीद है। हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2020 से 2025 के बीच उनके सेकंड हैंड वाहनों के एयूएम में 15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की गई है, जबकि नए वाहन लोन में यह दर 11 प्रतिशत रही है। यह वृद्धि ट्रेंड मध्यम अवधि में भी जारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि इस्तेमाल किए गए वाहन के स्वामित्व की यूनिट लागत नए वाहन के स्वामित्व की इकाई लागत से कम है। रिपोर्ट में बताया गया कि सब-सेगमेंट में सेकंड हैंड कमर्शियल वाहनों का बाजार अधिक स्थापित है। जहां करों और यूटिलिटी वाहनों के लिए ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है।


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