सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि बैंक कर्ज चुकाने के बाद गिरवी रखी गई गोल्ड ज्यूलरी का री-वेल्यूएशन नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि जब कर्ज चुकाया जा चुका है तब सोने का मूल्यांकन करना समझ से परे है। यह फैसला न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति मीरा भोसले की पीठ ने सुनाया। मामले में अभिषेक सिंह ने मुथूट फाइनेंस से 7.71 लाख का कर्ज लिया था और सोने के गहने गिरवी रखे थे। सिंह ने 31 मार्च 2023 को कर्ज चुका दिया। जब उन्होंने अपने गहने वापस मांगे, तो बैंक ने कहा कि उन्होंने ब्याज सहित पूरी राशि नहीं चुकाई और फिर बताया कि आभूषण री-वेल्यूएशन में नकली पाए गए। इसलिए, वे जब्त कर लिए गए। सिंह ने 22 मई 2023 को बैंक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। बैंक ने भी सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई और दावा किया कि वह असली गहने नहीं दे रहा था। सिंह ने पटना हाईकोर्ट में इस एफआईआर को चुनौती दी, जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया और कहा कि यह एफआईआर बैंक के खिलाफ बदले की कार्यवाही है। इसके बाद सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बार कर्ज चुका दिया गया तो गहनों का री-वेल्यूएशन कर उन्हें नकली बताना तर्कसंगत नहीं है। कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट का आदेश पलटते हुए एफआईआर फिर से बहाल कर दी। यदि पहली नजर में ही मामला धोखाधड़ी जैसा प्रतीत होता है और स्पष्ट सबूत हैं, तो जांच जरूरी है। यदि यह धोखाधड़ी बैंक अधिकारियों द्वारा की गई हो, तो भी इसकी जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अभी के लिए, यह मामला पहली नजर में धोखाधड़ी का प्रतीत होता है। यदि ऐसा है, तो बैंक अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए।