भारत में खुदरा निवेशकों ने वित्त वर्ष 2025 के दौरान इक्विटी फ्यूचर्स और ऑप्शंस (डेरिवेटिव्स) सेगमेंट में लगभग 1.06 लाख करोड़ का घाटा उठाया। यह वित्त वर्ष 24 में हुए 74,812 करोड़ रुपये के नुकसान से 41 परसेंट अधिक है। वित्त वर्ष 25 की तीनों तिमाहियों में निवेशकों के घाटे में लगातार ग्रोथ दर्ज की गई हालांकि अंतिम तिमाही में नुकसान बढऩे की रफ्तार में थोड़ी कमी आई। रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष25 में 91 परसेंट रिटेल इंवेस्टर्स ने नुकसान उठाया। वित्त वर्ष 24 में भी करीब इतने ही रिटेल इंवेस्टर्स को डेरिवेटिव्स मार्केट में घाटा हुआ था। हालांकि सेबी द्वारा डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग ने नियमों को कड़ा करने के बाद एफएंडओ ट्रेडिंग वॉल्यूम में थोड़ी गिरावट आई है। डेरिवेटिव वॉल्यूम्स में 9 परसेंट और प्रीमियम टर्नओवर में 20 परसेंट की कमी दर्ज की गई है, लेकिन इसके बावजूद कुल घाटे में बढ़ोतरी दर्ज की गई। आप जानते हैं हाल ही सेबी ने अमेरिकी एल्गो ट्रेडर जेन स्ट्रीट पर बैन लगा दिया है। इस कंपनी ने जनवरी 2023 से मार्च 2025 के बीच भारतीय बाजार में ट्रेडिंग से 36,700 करोड़ का लाभ कमाया था। यह डेटा सामने आने के बाद खुदरा निवेशकों के लिए जोखिम का स्तर और बढ़ा हुआ दिखा। हालांकि ये शुरुआती संकेत हैं, परंतु सेबी के नए नियमों का असर दिखने लगा है। इन नियमों को 29 नवंबर 2024 से लागू किया गया और इसके बाद वित्त वर्ष25 की पहली तिमाही में एफएंडओ सेगमेंट में ट्रेड करने वाले व्यक्तिगत निवेशकों की संख्या लगभग 61.4 लाख थी, जो चौथी तिमाही में घटकर 42.7 लाख रह गई। इससे संकेत मिलता है कि बाजार नियामक द्वारा लागू किए गए कड़े नियमों से खुदरा निवेशकों की भागीदारी में कमी आ रही है, जिससे घाटे की प्रवृत्ति को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।