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12-06-2025

मैग्नेट ने मारुति के ईवी प्लान को किया फ्लेट

  •  रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई चेन को चीन ने डिसरप्ट कर दिया है। हालांकि यूरोप की कई कंपनियों को एप्रूवल मिल गया है लेकिन भारत में हालात लगातार विकट होते जा रहे हैं। टू-व्हीलर से लेकर पीवी तक हर सैगमेंट की गाड़ी पर इसका असर पड़ रहा है। लेकिन ईवी तो जैसे बिल्कुल फायरिंग लाइन में ही है। भारत ने पिछले साल केवल 350 करोड़ रुपये के रेयर अर्थ कंपोनेंट्स इंपोर्ट किए थे। लेकिन बिहारी सत्सई का वो दोहा है ना...देखन में छोटे लगे घाव करे गंभीर... हालात बिल्कुल वही हैं। मारुति के चेयरमैन आरसी भार्गव ने भले ही कहा कि जुलाई तक प्रॉडक्शन डिसरप्ट नहीं होगा लेकिन रेयर अर्थ मैग्नेट्स की शॉर्ट सप्लाई का पहला कोलेटरल डैमेज ई-विटारा के प्रॉडक्शन प्लान को हो चुका है। रिपोर्ट कहती है कि मारुति ने पहले ईवी ई-विटारा का प्रोडक्शन टारगेट दो-तिहाई घटा दिया है। पहले मारुति का अप्रेल-सितंबर छमाही में 26500 ई-विट्रा बनाने का प्लान था लेकिन अब इसे घटाकर केवल 8200 यूनिट्स कर दिया गया है। रेअर अर्थ मैटीरियल्स का इस्तेमाल मैग्नेट और अन्य हाई-टेक कंपोनेंट्स में किया जाता है। हालांकि कंपनी अब भी मार्च 2026 तक 67 हजार ईवी बनाने के सालाना टार्गेट पर कायम है और रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी अक्टूबर से इसका प्रॉडक्शन बढ़ाएगी। यूएस, यूरोप और जापान की कुछ कंपनियों को चीन से एंड यूज सर्टिफिकेट लेकर सप्लाई बहाल की जा रही है लेकिन भारत की कंपनियों को अब भी मंजूरी का इंतजार कर रहा है। जनवरी में ऑटो शो में लॉन्च हुई ई-विटारा, मारुति की ईवी स्ट्रैटेजी का क्रिटिकल कॉग है। यह मॉडल भारत में कंपनी का पहला ईवी है जिसका ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग बेस भारत ही है। भारत में बनी अधिकांश ई-विटारा यूनिट्स को यूरोप और जापान में एक्सपोर्ट किया जाना है। भारत सरकार ने 30 एट 30 यानी 2030 तक 30 परसेंट ईवी का टार्गेट रखा है जो अभी 2.5 परसेंट ही है। अब तक मारुति ने ई-विटारा के लिए बुकिंग्स नहीं खोली हैं, और कुछ एनेलिस्ट्स का कहना है कि भारत जैसे तीसरे सबसे बड़े कार मार्केट में कंपनी ईवी की दौड़ में पहले ही पिछड़ चुकी है। भारत की टॉप4 में अकेली मारुति ऐसी है जिसके पोर्टफोलियो में एक भी ईवी नहीं है। टाटा इस मामले में पायोनीयर है जबकि महिन्द्रा बहुत तेजी से ग्राउंड कवर कर रही है। ह्यूंदे के पोर्टफोलियो में भी आयोनिक ईवी है। माना जा रहा है कि साल के आखिर तक टेस्ला भी लॉन्च हो जाएगी। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि नए प्लान के अनुसार कंपनी अक्टूबर से मार्च 2026 के बीच 58,728 ई-विटारा बनाने का प्लान लेकर चल रही है यानी रोजाना 440 यूनिट्स ई-विटारा बनाई जाएंगी। जबकि पहले 40,437 यूनिट्स का टार्गेट था। पूरे वित्त वर्ष 26 में मारुति का 67 हजार यूनिट्स का ईवी प्रॉडक्शन टार्गेट था। इन एलिमेंट्स का उपयोग ईवी मोटर, मिसाइल सिस्टम्स और अन्य हाई-टेक इंडस्ट्रीज में होता है। चीन ने समेरियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, डिसप्रोसियम और ल्यूटेटियम जैसे सात प्रकार के रेयर अर्थ एलीमेंट्स के एक्सपोर्ट के लिए स्पेशल लाइसेंस की शर्त लगा दी थी। एनेलिस्ट मानते हैं कि सप्लाई साइड रिस्क बना हुआ है क्योंकि चीन ग्लोबल प्रोसेसिंग कैपेसिटी का 90 परसेंट से अधिक कंट्रोल करता है।

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मैग्नेट ने मारुति के ईवी प्लान को किया फ्लेट

 रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई चेन को चीन ने डिसरप्ट कर दिया है। हालांकि यूरोप की कई कंपनियों को एप्रूवल मिल गया है लेकिन भारत में हालात लगातार विकट होते जा रहे हैं। टू-व्हीलर से लेकर पीवी तक हर सैगमेंट की गाड़ी पर इसका असर पड़ रहा है। लेकिन ईवी तो जैसे बिल्कुल फायरिंग लाइन में ही है। भारत ने पिछले साल केवल 350 करोड़ रुपये के रेयर अर्थ कंपोनेंट्स इंपोर्ट किए थे। लेकिन बिहारी सत्सई का वो दोहा है ना...देखन में छोटे लगे घाव करे गंभीर... हालात बिल्कुल वही हैं। मारुति के चेयरमैन आरसी भार्गव ने भले ही कहा कि जुलाई तक प्रॉडक्शन डिसरप्ट नहीं होगा लेकिन रेयर अर्थ मैग्नेट्स की शॉर्ट सप्लाई का पहला कोलेटरल डैमेज ई-विटारा के प्रॉडक्शन प्लान को हो चुका है। रिपोर्ट कहती है कि मारुति ने पहले ईवी ई-विटारा का प्रोडक्शन टारगेट दो-तिहाई घटा दिया है। पहले मारुति का अप्रेल-सितंबर छमाही में 26500 ई-विट्रा बनाने का प्लान था लेकिन अब इसे घटाकर केवल 8200 यूनिट्स कर दिया गया है। रेअर अर्थ मैटीरियल्स का इस्तेमाल मैग्नेट और अन्य हाई-टेक कंपोनेंट्स में किया जाता है। हालांकि कंपनी अब भी मार्च 2026 तक 67 हजार ईवी बनाने के सालाना टार्गेट पर कायम है और रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी अक्टूबर से इसका प्रॉडक्शन बढ़ाएगी। यूएस, यूरोप और जापान की कुछ कंपनियों को चीन से एंड यूज सर्टिफिकेट लेकर सप्लाई बहाल की जा रही है लेकिन भारत की कंपनियों को अब भी मंजूरी का इंतजार कर रहा है। जनवरी में ऑटो शो में लॉन्च हुई ई-विटारा, मारुति की ईवी स्ट्रैटेजी का क्रिटिकल कॉग है। यह मॉडल भारत में कंपनी का पहला ईवी है जिसका ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग बेस भारत ही है। भारत में बनी अधिकांश ई-विटारा यूनिट्स को यूरोप और जापान में एक्सपोर्ट किया जाना है। भारत सरकार ने 30 एट 30 यानी 2030 तक 30 परसेंट ईवी का टार्गेट रखा है जो अभी 2.5 परसेंट ही है। अब तक मारुति ने ई-विटारा के लिए बुकिंग्स नहीं खोली हैं, और कुछ एनेलिस्ट्स का कहना है कि भारत जैसे तीसरे सबसे बड़े कार मार्केट में कंपनी ईवी की दौड़ में पहले ही पिछड़ चुकी है। भारत की टॉप4 में अकेली मारुति ऐसी है जिसके पोर्टफोलियो में एक भी ईवी नहीं है। टाटा इस मामले में पायोनीयर है जबकि महिन्द्रा बहुत तेजी से ग्राउंड कवर कर रही है। ह्यूंदे के पोर्टफोलियो में भी आयोनिक ईवी है। माना जा रहा है कि साल के आखिर तक टेस्ला भी लॉन्च हो जाएगी। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि नए प्लान के अनुसार कंपनी अक्टूबर से मार्च 2026 के बीच 58,728 ई-विटारा बनाने का प्लान लेकर चल रही है यानी रोजाना 440 यूनिट्स ई-विटारा बनाई जाएंगी। जबकि पहले 40,437 यूनिट्स का टार्गेट था। पूरे वित्त वर्ष 26 में मारुति का 67 हजार यूनिट्स का ईवी प्रॉडक्शन टार्गेट था। इन एलिमेंट्स का उपयोग ईवी मोटर, मिसाइल सिस्टम्स और अन्य हाई-टेक इंडस्ट्रीज में होता है। चीन ने समेरियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, डिसप्रोसियम और ल्यूटेटियम जैसे सात प्रकार के रेयर अर्थ एलीमेंट्स के एक्सपोर्ट के लिए स्पेशल लाइसेंस की शर्त लगा दी थी। एनेलिस्ट मानते हैं कि सप्लाई साइड रिस्क बना हुआ है क्योंकि चीन ग्लोबल प्रोसेसिंग कैपेसिटी का 90 परसेंट से अधिक कंट्रोल करता है।


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