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15-05-2025

एनसीएलटी ने भूषण पावर एंड स्टील के प्रवर्तक की याचिका पर सुनवाई स्थगित की

  •  राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने कर्ज में डूबी भूषण पावर एंड स्टील लि. (बीपीएसएल) के पूर्व प्रवर्तक संजय सिंघल की याचिका पर सुनवाई 26 जून तक के लिए स्थगित कर दी। सिंघल ने उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करने का आग्रह करते हुए एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया है। न्यायालय ने दो मई को सज्जन जिंदल के नेतृत्व वाली जेएसडब्ल्यू स्टील की 19,700 करोड़ रुपये की समाधान योजना को रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत ने न्यायाधिकरण के पिछले आदेश को अलग रखते हुए दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के प्रावधानों के अनु सार बीपीएसएल के परिसमापन की शुरुआत करने का निर्देश दिया था। इसके बाद, सिंघल ने न्यायालय के फैसले और उसके कार्यान्वयन को रिकॉर्ड में रखने के लिए एनसीएलटी का रुख किया।यह मामला एनसीएलटी की दिल्ली स्थित मुख्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। अध्यक्ष सहित दो सदस्यीय पीठ ने मामले की अगली सुनवाई जून तक के लिए स्थगित कर दी। हालांकि, एनसीएलटी ने बीपीएसएल पर न्यायालय के पारित फैसले को रिकॉर्ड में लिया। सुनवाई के दौरान, सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में कई पक्ष हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इस मामले में न्यायाधिकरण को सभी पक्षों की बातों को सुना जाना आवश्यक है। उन पक्षों को पहचानने और उन्हें पक्ष बनाने को लेकर समय देने का सुझाव दिया। मेहता ने कहा कि न्यायालय के इस फैसले के बाद विभिन्न पक्ष अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, जिसमें बीपीएसएल के लिए एक नई सीआईआरपी (कंपनी दिवाला समाधान प्रक्रिया) भी शामिल है। इसे एनसीएलटी पीठ ने स्वीकार कर लिया और मामले की सुनवाई 26 जून तक के लिए टाल दी।

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एनसीएलटी ने भूषण पावर एंड स्टील के प्रवर्तक की याचिका पर सुनवाई स्थगित की

 राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने कर्ज में डूबी भूषण पावर एंड स्टील लि. (बीपीएसएल) के पूर्व प्रवर्तक संजय सिंघल की याचिका पर सुनवाई 26 जून तक के लिए स्थगित कर दी। सिंघल ने उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करने का आग्रह करते हुए एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया है। न्यायालय ने दो मई को सज्जन जिंदल के नेतृत्व वाली जेएसडब्ल्यू स्टील की 19,700 करोड़ रुपये की समाधान योजना को रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत ने न्यायाधिकरण के पिछले आदेश को अलग रखते हुए दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के प्रावधानों के अनु सार बीपीएसएल के परिसमापन की शुरुआत करने का निर्देश दिया था। इसके बाद, सिंघल ने न्यायालय के फैसले और उसके कार्यान्वयन को रिकॉर्ड में रखने के लिए एनसीएलटी का रुख किया।यह मामला एनसीएलटी की दिल्ली स्थित मुख्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। अध्यक्ष सहित दो सदस्यीय पीठ ने मामले की अगली सुनवाई जून तक के लिए स्थगित कर दी। हालांकि, एनसीएलटी ने बीपीएसएल पर न्यायालय के पारित फैसले को रिकॉर्ड में लिया। सुनवाई के दौरान, सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में कई पक्ष हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इस मामले में न्यायाधिकरण को सभी पक्षों की बातों को सुना जाना आवश्यक है। उन पक्षों को पहचानने और उन्हें पक्ष बनाने को लेकर समय देने का सुझाव दिया। मेहता ने कहा कि न्यायालय के इस फैसले के बाद विभिन्न पक्ष अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, जिसमें बीपीएसएल के लिए एक नई सीआईआरपी (कंपनी दिवाला समाधान प्रक्रिया) भी शामिल है। इसे एनसीएलटी पीठ ने स्वीकार कर लिया और मामले की सुनवाई 26 जून तक के लिए टाल दी।


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