कहावत में अंडा सेना मेहनत, कत्र्तव्य कर्म का प्रतीक है। कहावत का सामान्य अर्थ है- मेहनत करे कोई उसका लाभ उठाले कोई अन्य ही। ऐसी स्थिति जीवन के अनेक क्षेत्रों में देखने को मिलती है। उदाहरणार्थ- किसी कर्मचारी की मेहनत का श्रेय उसके उच्चाधिकारी द्वारा ले लेना, किसी की रचना या खोज को अन्य व्यक्ति द्वारा अपने नाम से प्रकाशित करना या उपयोग में लेना इत्यादि। ज्ञातव्य है कि इस बुराई से केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि पक्षी भी अछूते नहीं हैं। उदाहरणार्थ- कोयल अक्सर कौए के घोंसले में अंडे देती है, कौए के अंडे और कोयल के अण्डे मिलते-जुलते होते हैं। साथ ही कौओं के घोंसले मजबूत भी होते हैं। इस प्रकार कोयल के चूजे अन्य पक्षियों के घोंसले में पैदा होते हैं। कोयल कुछ मामलों में अन्य पक्षियों यथा-मेडोपिपिट, इनॉक्स और रीड बार्बलर के घोंसलों में भी अण्डे दे देती है। पक्षियों की दुनिया भी निराली है, कई अन्य पक्षी भी ऐसे शातिर होते हैं जो न तो अपना घोंसला बनाते हैं और न अपने पालते हैं, उनके अण्डे भी दूसरे पक्षियों द्वारा सेये जाते हैं।