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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

16-05-2025

घुटने लगातार मोड़े तो होगी समस्या

  •  एजेन्सी। रेगुलर एक्सरसाइज करने वाले लोगों या खासकर दौडऩे वालों को कई घुटने में बाहर की तरफ  दर्द का अहसास हो सकता है। यह स्थिति इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम के कारण भी हो सकती है। इसका इलाज आसान होता है, इसलिए समस्या को नजरअंदाज करने की बजाय डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। क्यों उभर आता है घुटनों का दर्द :- इस दर्द के उभरने की वजह कई सारी गतिविधियां हो सकती हैं। इन गतिविधियों में दौडऩे के अलावा साइकिलिंग, स्वीमिंग और क्लाइम्बिंग आदि शामिल हैं। ऐसी जो भी फिजिकल एक्टिविटी होती है जिनमें घंटों को बार-बार, लगातार मोडऩा पड़ता है, उससे यह स्थिति पनप सकती है। इलियोटिबियल यानी आईटी बैंड असल में फाइबर्स का एक समूह होता है। जब इसका अधिक उपयोग किया जाता है, तो यह बैंड टाइट हो जाता है। जिससे यह बैंड घुटने से रगड़ खाने लगता है और दर्द तथा सूजन पैदा हो जाती है। शुरुआत में यह दर्द माइल्ड होता है, लेकिन लापरवाही बरतने या इलाज न करवाने पर तेज और गंभीर हो सकता है।

    लक्षण :- इस समस्या के लक्षण हर व्यक्ति में थोड़े अलग हो सकते हैं। कुछ आम लक्षणों में शामिल हैं- दौडऩे या कोई भी एक्टिविटी करने पर घुटने में बाहर की ओर दर्द होना। जब भी बैंड घुटने से टकराये तब खट-खट की आवाज होना। एक्सरसाइज के बाद देर तक रहने वाला दर्द। घुटने को छूने से भी तकलीफ  होना। हिप तक तकलीफ  का अहसास होना। घुटने के आस-पास लाली या गर्माहट जैसा महसूस होना। यह लक्षण आमतौर पर फिजिकल एक्टिविटी के शुरू होने के कुछ देर बाद ही दिखाई देने लगते हैं। सबसे आम लक्षण दर्द ही है जो एक्टिविटी जारी रखने पर और बढ़ जाता है।
    कैसे होगा इलाज 
    इस समस्या का इलाज कठिन नहीं है, लेकिन अगर लम्बे समय तक इसे नजरअंदाज किया जाए तो दिक्कत हो सकती है। इस स्थिति के लिए इलाज के दो मुख्य लक्ष्य होते हैं-
    ठ्ठ दर्द और सूजन को कम करना
    ठ्ठ स्ट्रेचिंग की प्रक्रिया अपनाना और चोट लगने से बचाना
    इन दोनों ही परिस्थितियों में जो आम तरीके अपनाये जाते हैं उनमें शामिल हैं:-
    ठ्ठ एक्टिविटीज से कुछ समय तक दूर रहना और आराम करना
    ठ्ठ आईटी बैंड पर आइस यानी बर्फ  का सेक करना
    ठ्ठ हल्के हाथों से मसाज करना, सूजन दूर करने वाली दवाइयां लेना ठ्ठ प्रभावित जगह पर तनाव को दूर करने के लिए अल्ट्रासाउंड या इलेक्ट्रोथैरेपीज का उपयोग करना। आराम करने और एक्टिविटी को कम से कम 6 हफ्तों तक रोके रखने से पैर को पूरी तरह ठीक होने में मदद मिल सकती है
    स्ट्रेचिंग और एक्सरसाइज
    इस तकलीफ  से बचाव और इसके इलाज में भी कुछ एक्सरसाइज काम आ सकती हैं। खासतौर पर दौडऩे या एक्टिविटी शुरू करने से पहले स्ट्रेचिंग पर फोकस करना बहुत जरूरी है। यह स्ट्रेचिंग आईटी बैंड पर फोकस करने वाली होनी चाहिए। ऐसी कुछ एक्सरसाइज में ग्लूट स्ट्रेच, स्टैंडिंग स्ट्रेच, फोम रोलर स्ट्रेच, लेइंग हिप अब्डक्शन शामिल हैं। इन एक्सरसाइज के अलावा बाजार में मिलने वाले रजिस्टेंस बैंड की मदद भी ली जा सकती है।
    इन चीजों का ध्यान रखें
    आईटी बैंड सिंड्रोम से गुजर रहे किसी भी व्यक्ति के लिए एक्सरसाइज या दौडऩे जैसी गतिविधियों को तुरंत रोकना जरूरी है। इसके अलावा कुछ और भी चीजों का ध्यान रखने की आवश्यकता है। जैसे-एक्सरसाइज के तरीके को फिजियोथैरेपी के विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह से परिवर्तित करें, उबड़-खाबड़ सडक़ों या सरफेस पर दौडऩे से बचें, कुछ समय सीढिय़ां चढऩे और साइकल चलाने से भी बचें। इलाज के बाद फिर से एक्सरसाइज रूटीन में लौटने पर धीरे-धीरे शुरुआत करें और दौडऩे की दूरी को भी धीरे-धीरे बढ़ाएं, दर्द और तकलीफ  होने पर डॉक्टर से सलाह अवश्य लें, अपनी मर्जी से दवाइयां न खाएं आदि।
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घुटने लगातार मोड़े तो होगी समस्या

 एजेन्सी। रेगुलर एक्सरसाइज करने वाले लोगों या खासकर दौडऩे वालों को कई घुटने में बाहर की तरफ  दर्द का अहसास हो सकता है। यह स्थिति इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम के कारण भी हो सकती है। इसका इलाज आसान होता है, इसलिए समस्या को नजरअंदाज करने की बजाय डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। क्यों उभर आता है घुटनों का दर्द :- इस दर्द के उभरने की वजह कई सारी गतिविधियां हो सकती हैं। इन गतिविधियों में दौडऩे के अलावा साइकिलिंग, स्वीमिंग और क्लाइम्बिंग आदि शामिल हैं। ऐसी जो भी फिजिकल एक्टिविटी होती है जिनमें घंटों को बार-बार, लगातार मोडऩा पड़ता है, उससे यह स्थिति पनप सकती है। इलियोटिबियल यानी आईटी बैंड असल में फाइबर्स का एक समूह होता है। जब इसका अधिक उपयोग किया जाता है, तो यह बैंड टाइट हो जाता है। जिससे यह बैंड घुटने से रगड़ खाने लगता है और दर्द तथा सूजन पैदा हो जाती है। शुरुआत में यह दर्द माइल्ड होता है, लेकिन लापरवाही बरतने या इलाज न करवाने पर तेज और गंभीर हो सकता है।

लक्षण :- इस समस्या के लक्षण हर व्यक्ति में थोड़े अलग हो सकते हैं। कुछ आम लक्षणों में शामिल हैं- दौडऩे या कोई भी एक्टिविटी करने पर घुटने में बाहर की ओर दर्द होना। जब भी बैंड घुटने से टकराये तब खट-खट की आवाज होना। एक्सरसाइज के बाद देर तक रहने वाला दर्द। घुटने को छूने से भी तकलीफ  होना। हिप तक तकलीफ  का अहसास होना। घुटने के आस-पास लाली या गर्माहट जैसा महसूस होना। यह लक्षण आमतौर पर फिजिकल एक्टिविटी के शुरू होने के कुछ देर बाद ही दिखाई देने लगते हैं। सबसे आम लक्षण दर्द ही है जो एक्टिविटी जारी रखने पर और बढ़ जाता है।
कैसे होगा इलाज 
इस समस्या का इलाज कठिन नहीं है, लेकिन अगर लम्बे समय तक इसे नजरअंदाज किया जाए तो दिक्कत हो सकती है। इस स्थिति के लिए इलाज के दो मुख्य लक्ष्य होते हैं-
ठ्ठ दर्द और सूजन को कम करना
ठ्ठ स्ट्रेचिंग की प्रक्रिया अपनाना और चोट लगने से बचाना
इन दोनों ही परिस्थितियों में जो आम तरीके अपनाये जाते हैं उनमें शामिल हैं:-
ठ्ठ एक्टिविटीज से कुछ समय तक दूर रहना और आराम करना
ठ्ठ आईटी बैंड पर आइस यानी बर्फ  का सेक करना
ठ्ठ हल्के हाथों से मसाज करना, सूजन दूर करने वाली दवाइयां लेना ठ्ठ प्रभावित जगह पर तनाव को दूर करने के लिए अल्ट्रासाउंड या इलेक्ट्रोथैरेपीज का उपयोग करना। आराम करने और एक्टिविटी को कम से कम 6 हफ्तों तक रोके रखने से पैर को पूरी तरह ठीक होने में मदद मिल सकती है
स्ट्रेचिंग और एक्सरसाइज
इस तकलीफ  से बचाव और इसके इलाज में भी कुछ एक्सरसाइज काम आ सकती हैं। खासतौर पर दौडऩे या एक्टिविटी शुरू करने से पहले स्ट्रेचिंग पर फोकस करना बहुत जरूरी है। यह स्ट्रेचिंग आईटी बैंड पर फोकस करने वाली होनी चाहिए। ऐसी कुछ एक्सरसाइज में ग्लूट स्ट्रेच, स्टैंडिंग स्ट्रेच, फोम रोलर स्ट्रेच, लेइंग हिप अब्डक्शन शामिल हैं। इन एक्सरसाइज के अलावा बाजार में मिलने वाले रजिस्टेंस बैंड की मदद भी ली जा सकती है।
इन चीजों का ध्यान रखें
आईटी बैंड सिंड्रोम से गुजर रहे किसी भी व्यक्ति के लिए एक्सरसाइज या दौडऩे जैसी गतिविधियों को तुरंत रोकना जरूरी है। इसके अलावा कुछ और भी चीजों का ध्यान रखने की आवश्यकता है। जैसे-एक्सरसाइज के तरीके को फिजियोथैरेपी के विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह से परिवर्तित करें, उबड़-खाबड़ सडक़ों या सरफेस पर दौडऩे से बचें, कुछ समय सीढिय़ां चढऩे और साइकल चलाने से भी बचें। इलाज के बाद फिर से एक्सरसाइज रूटीन में लौटने पर धीरे-धीरे शुरुआत करें और दौडऩे की दूरी को भी धीरे-धीरे बढ़ाएं, दर्द और तकलीफ  होने पर डॉक्टर से सलाह अवश्य लें, अपनी मर्जी से दवाइयां न खाएं आदि।

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