गत सप्ताह बारीक चावल मक्की बाजरा एवं उड़द में निर्यात व घरेलू मांग सुधरने से तेजी लिए बाजार बंद हुए। वहीं सभी दालें ग्राहकी के अभाव में मंदी रही। आलोच्य सप्ताह सभी तरह के बासमती प्रजाति चावल में घरेलू और निर्यातकों की लिवाली आने से 200 रुपये बढक़र चावल 1509 सेला 6250/6350 रुपए प्रति क्विंटल हो गए। इसी अनुपात में स्टीम चावल भी तेज बोला गया। इधर 1718 सेला चावल में भी निर्यातकों की कांडला पहुंच में अच्छी लिवाली सुनी गई, जिस कारण अभी बाजार और बढ़ सकता है। गेहूं में 5/10 रुपए प्रति क्विंटल पूरे सप्ताह ऊपर नीचे होता रहा, लेकिन सप्ताहांत में बाजार सुस्त रहा। इधर मकई में बढिय़ा माल की भारी कमी होने से एवं रैक वालों की चौतरफा लिवाली चलने से 40-50 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़त पर मंडियों में भाव 2050/2060 रुपए एवं रैक पॉइंट पर 2080/2100 रुपए प्रति क्विंटल तक व्यापार सुना गया। इसके साथ-साथ बाजरा भी 25-50 रुपए क्वालिटी अनुसार तेज हो गया। मौली बरवाला पहुंच में 2450/2475 रुपए तक व्यापार सुना गया। इसके अलावा दलहनों में उड़द हाजिर माल की कमी होने तथा चेन्नई के तेज समाचार से यहां दाल मिलों की पकड़ मजबूत होते ही 150 रुपए बढक़र एफ ए क्यू 7600 एवं एसक्यू 8000 रुपए की ऊंचाई पर पहुंच गया। दूसरी ओर मुनाफा वसूली बिकवाली चलने से मसूर 100 रुपए टूटकर 6950/7000 रुपए प्रति कुंतल बिल्टी में रह गई। कनाडा के माल भी 150/200 रुपए तक घटाकर बोले गए, जबकि कोटा बूंदी लाइन की छोटी मसूर में पूर्वस्तर पर तेजी लिए बोली गई। तुवर भी पूरे सप्ताह 70-75 रुपए ऊपर नीचे होकर सप्ताहांत में 6750 पर दब गई। देसी चना ग्राहकी कमजोर होने से लॉरेंस रोड पर खड़ी मोटर में 6350 रुपए से घटकर नीचे में 6225 बनने के बाद सप्ताहन में 6300 बोला गया। दाल भी इसी अनुपात में घटने के बाद मजबूती लिए बंद हुई। इधर राजमां चित्रा, हाजिर माल की कमी के बावजूद ग्राहकी के अभाव में 3/4 रुपए घटकर चीन का 108/111 रुपए एवं इंडियन ब्राजील 102/105 रुपए प्रति किलो रह गया। काबुली चने में भी 300 रुपए की गिरावट पर 6500/6800 प्रति क्विंटल महाराष्ट्र के बिना छना माल बोले गए। कर्नाटक एवं मेक्सिको माल में भी इसी अनुपात में बाजार मुलायम रहे। अन्य अनाज दाल में मिला-जुला रख रहा।