उत्पादक मंडियों में मखाने की आवक बढऩे से वहां 50-60 रुपए प्रति किलो की गिरावट आ गई है, लेकिन घटे भावों में भी वहां लगातार लिवाली है। उत्तर भारत में ग्राहकी अनुकूल नहीं होने से तीन दिनों में 40-50 रुपए की गिरावट जरूर आई है, लेकिन ज्यादा मंदे का व्यापार नहीं करना चाहिए। बाजार उत्पादक मंडियों में 50/60 रुपए मुश्किल से घटेगा, उसके बाद छलांग लगा जाएगा। मखाना उत्पादक मंडियों में पिछले 10 दिनों के अंतराल 27-28 प्रतिशत अधिक आया है, जिससे वहां 50-75 रुपए घटकर हरदा में 820/840 रुपए, पूर्णिया दरभंगा गेराबाड़ी उत्तर दिनाजपुर एवं मालदा में 680/765 रुपए प्रति किलो के बीच क्वालिटी अनुसार व्यापार होने की खबर मिल रही है। गौरतलब है कि इस बार फोड़ी करने वाले कामगार कम दिखाई दे रहे हैं तथा लिवाल चौतरफा ज्यादा हैं, इसलिए जो भाव उत्पादक मंडियों में चल रहे हैं, इसमें 50-60 रुपए प्रति किलो मुश्किल से और घट सकते हैं, इससे नीचे जाने की गुंजाइश नहीं है तथा फिर मखाना आने वाले समय में 300 रुपए प्रति किलो का लाभ दे जाएगा। यहां भी मखाना 50/75 रुपए प्रति किलो घटकर मीडियम क्वालिटी का 1000/1050 रुपए एवं बढिय़ा 1300/1400 रुपए प्रति किलो रह गया है तथा ठुड्डी वाला छोटे दाने के माल उसकी प्रतिशतता के हिसाब से 800/900 रुपए भी बिक रहे हैं, लेकिन उन मालों में 20 प्रतिशत ठुड्डी का अनुमान लगाया जा रहा है। हम मानते हैं कि दरभंगा गुलाब बाग लाइन में गुडिय़ा की उपलब्धि इस बार 22-23 प्रतिशत अधिक है, बोलने के लिए डेढ़ गुना भी लोग बोल रहे हैं, लेकिन यह सब निराधार बात है। मखाने का रकबा वही है, केवल मौसम अनुकूल होने से गुडिय़ा अधिक निकल रहा है। इधर पाइप लाइन में माल बिल्कुल नहीं था, इसलिए उसको भरने में ही 30 प्रतिशत तैयार मखाना खप जाएगा। उत्तर भारत की मंडियों में बिक्री उस हिसाब से नहीं है, लेकिन माल नहीं होने तथा उत्पादक मंडियों के ऊंचे समाचार से यहां भी ज्यादा मंदा नहीं लग रहा है। अत: थोड़ी और गिरावट के बाद खरीद करना आगे चलकर ब्याज भाड़ा काटकर 300 रुपए प्रति किलो का लाभ दे जाएगा, ऐसा अनुमान है।