लोग अक्सर कीचड़ से दूर रहते हैं ताकि उनके कपड़े खराब न हों, लेकिन कीचड़ को ऐसी हेकड़ी होती है कि लोग इससे डरते हैं। वैश्विक मंच पर चीन और अमेरिका अक्सर कीचड़ की तरह व्यवहार करते हैं। यहां तक कि अमेरिकी कॉरपोरेट भी ट्रंप से थक चुके हैं, जिन्होंने सुबह टैरिफ और शाम को रिलिफ जैसे फतवे जारी किए। इसका असर वैश्विक बाजार में कमोडिटी कारोबार पर भी पड़ रहा है। इसी तरह, चीन जीरे के कारोबार में गलत राह चलकर भारत समेत कई देशों के निर्यातकों को परेशान कर रहा है। आम तौर पर चीन बड़ी मात्रा में जीरा आयात करता है, लेकिन अब चीन जीरे का निर्यात कर रहा है, जिससे बाजार हिल गया है। वैश्विक बाजार में भारतीय जीरे की गुणवत्ता चीनी जीरे की गुणवत्ता से कई गुना बेहतर है। लेकिन चूंकि कीमत कम है, इसलिए चीनी जीरे का व्यापार किया जा रहा है। ऐसी परिस्थितियों में भारतीय निर्यातक अच्छी गुणवत्ता वाला जीरा बेचने में असमर्थ हैं। निर्यात मांग में गिरावट के कारण भारत में जीरे का भाव नए निचले स्तर पर पहुंच रहा है। एक महीने में प्रति क्विंटल जीरे के भाव में 1625 रुपये की कमी आई है। 30 जून 2025 को एनसीडीईएक्स वायदा में जीरे का भाव 20575 रुपये था, जो 31 जुलाई 2025 को गिरकर 18950 रुपये रह गया। कम भाव के कारण किसान जीरा बेचने नहीं आ रहे हैं, पिछले सप्ताह ऊंझा मंडी में रोजाना औसतन 6000 बोरी जीरे की आवक दर्ज की गई। स्थानीय आढ़तियों के अनुसार गुजरात के किसानों के पास अभी भी करीब 40 फीसदी स्टॉक बचा है। लेकिन कम भाव के कारण किसान बेचने नहीं आ रहे हैं। वैश्विक बाजार में चीन जीरा खरीदने के बजाय उसका निर्यात कर रहा है, बांग्लादेश से मांग नहीं है, दुबई के रास्ते पाकिस्तान जीरा ले जाने वाले व्यापारी फिलहाल निष्क्रिय हैं। जानकारों के मुताबिक इस बार चीन में जीरे का उत्पादन बढक़र 40,000 से 60,000 टन तक पहुंचने की उम्मीद है। इसीलिए क्वालिटी खराब होने के बावजूद माल कम दामों पर बिक रहा है। भारत ने 2022 में 1,89,316 टन जीरा निर्यात किया, जबकि 2023 में 1,47,316 टन और 2024 में 2,37,227 टन जीरा निर्यात किया। 2025 में मई के अंत तक 96,172 टन जीरा निर्यात हो चुका है। भारत में जीरे का सबसे ज्यादा निर्यात नए जीरा सीजन यानी मार्च, अप्रैल, मई और जून में होता है। अब यह अवधि बीत चुकी है। चीनी जीरा कम दामों पर बिकता है। इसलिए, इस बात की कोई संभावना नहीं है कि भारत का जीरा निर्यात ज्यादा बढ़ेगा। अनुमान है कि 2025 के रबी सीजन में भारत में 4,50,000 टन जीरे का उत्पादन होगा। पिछले साल यह 5,25,000 टन था। पुराने स्टॉक और आयात को मिलाकर कुल 6,00,000 टन जीरा उपलब्ध है। निर्यात और घरेलू खपत के लिए कुल 4,00,000 टन जीरे की आवश्यकता है, सीजन के अंत तक दो लाख टन जीरे का स्टॉक होने की उम्मीद है। अब, अगर आगामी त्योहारों के लिए घरेलू बाजार में विशेष खरीदारी होती है, तो बाजार को सपोर्ट मिल सकता है। कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण, निर्यातकों को वायदा कारोबार में अपनी बिक्री को हेज करने की जरूरत है। वायदा कारोबार में औसत दैनिक कारोबार फिलहाल 15 करोड़ रुपये का है। ओपन इंटरेस्ट 6500 टन है, जबकि ऊंझा स्थित एनसीसीएल के प्रमाणित गोदामों में 4149 टन जीरे का स्टॉक है। फिलहाल, यह सारा स्टॉक ऊंझा स्थित गोदामों में पड़ा है। इसका मतलब है कि राजस्थान के व्यापारी स्टॉक नहीं कर रहे हैं क्योंकि इस समय तेजी नहीं है।