बड़ी इलायची में उत्पादन कम की हवा उड़ा कर सटोरियों द्वारा बाजार को एक सप्ताह के अंतराल 70/80 रुपए प्रति किलो उछाल दिया गया है, लेकिन वर्तमान के बढ़े हुए भाव पर एक बार बेचकर मुनाफा ले जाना चाहिए, क्योंकि नई फसल ठीक डेढ़ महीने बाद आ जाएगी। बड़ी इलायची का उत्पादन गंगटोक सिलीगुड़ी लाइन में होता है, इसके अलावा भूटान में भी प्रचुर मात्रा में माल आता है। इधर नेपाल में भी फसल बढिय़ा है, नेपाल से ही घरेलू बाजार में 70 प्रतिशत माल आता है। बड़ी इलायची गत सीजन के शुरुआत में फसल में भारी कमी की हवा उड़ा कर बड़े सटोरियों द्वारा बाजार को उछाल दिया गया था, जो पूरे साल भाव नहीं बन पाया। कारोबारियों के गले में 1800 रुपए प्रति किलो का दिल्ली में माल फंसा हुआ है, यह नीचे में पिछले सप्ताह 1510 रुपए तक बन गया था तथा पिछले महीने 1460 रुपए तक नीचे में व्यापार हो गया था। गौरतलब है कि ग्वालियर के सटोरिये, पूरे वर्ष वास्तविक व्यापारियों को कमाने नहीं दिए तथा करोड़ों रुपये का नुकसान लग गया। सट्टेबाजी में बढ़ाकर बाजार में बड़ी इलायची को फंसा दिए थे, उसके बाद डिलीवरी के समय में ग्वालियर में 1200 रुपए नीचे में बनाकर कारोबारी की रकम हड़प ली गई। इस पर काफी सरकार द्वारा भी संज्ञान में मामले को लेकर सटोरियों पर सख्ती भी की गई थी, जिससे दो-ढाई महीने से सट्टेबाजी का वह रूप कम जरूर हो गया है, लेकिन अभी भी चलते-फिरते सटोरिए एवं कुछ बड़े दादा व्यापारी बाजार को अनावश्यक उछाल कर अपना माल गले में फंसाना चाहते हैं। बड़ी इलायची की फसल नेपाल से लेकर भूटान एवं भारतीय सीमा वाले उत्पादक क्षेत्रों में बहुत बढिय़ा है, क्योंकि मौसम अनुकूल मिला है। बरसात भी समय से हुई है, इसलिए ज्यादा तेजी के झांसा में आने की जरूरत नहीं है। बाजारों में रुपए की भारी तंगी चल रही है, उधर निर्यातकों की मांग अनुकूल नहीं है, शादियां देव उठनी एकादशी तक 4 महीने के लिए बंद हो चुकी है। श्रावणी त्योहारों में मामूली खपत रहेगी, पाकिस्तान से संबंध बढिय़ा नहीं है, इजिप्ट के देशों में भी एक दूसरे से युद्ध की स्थिति बार-बार चलने से निर्यात प्रभावित हुआ है तथा वहां भारतीय निर्यातक माल बेचने के इच्छुक नहीं है, क्योंकि सौदे करने में रिस्क महसूस हो रहा है। फिलहाल सटोरियों की सट्टेबाजी एवं उत्पादन कम की हवा बाजी में एक सप्ताह के अंतराल 70/80 रुपए बढक़र ग्वालियर में छोटी इलायची 1550/1560 रुपए तथा यहां 1600/1610 रुपए प्रति किलो हो गई है तथा सटोरिए, सट्टेबाजी में 40-50 रुपए प्रति किलो बाजार अनावश्यक और बढ़ा सकते हैं, लेकिन इन बढ़े भाव में एक बार अपना माल बेचकर मुनाफा ले जाना चाहिए।, ज्यादा इसमें फंसने की जरूरत नहीं है। आगे ठीक डेढ़-दो महीने बाद नयी फसल आ जाएगी तथा प्रत्यक्षदर्शी फसल बढिय़ा बता छ्वरहे हैं, केवल बड़े स्टॉकिस्ट भाव बढक़र अपना माल निकालने की फिराक में हैं।