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08-07-2025

ग्वार : भरपूर लाभ की उम्मीद

  •  ग्वार का उत्पादन धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है इस बार भी बिजाई काफी कम होने की संभावना है। अभी तक राजस्थान गुजरात में गत वर्ष की अपेक्षा 47 प्रतिशत ही बिजाई हो पाई है। दूसरी ओर लंबे समय से ग्वार में कारोबारियों एवं इंडस्ट्रीज को भारी नुकसान लगने से इससे दूर हट गए हैं, इन परिस्थितियों में इस बार गवार 60 रुपये प्रति किलो को भी पार कर सकता है। ग्वार का उत्पादन इस बार बहुत ही कम रहने का अनुमान है। जिस तरह पूरे गुजरात राजस्थान में अभी तक इसकी बिजाई खबरें आ रही हैं, उसे देखते हुए कुल फसल 35 लाख गोरी रह जाने का अनुमान आ रहा है। गौरतलब है कि गत वर्ष भी बिजाई एवं उत्पादन कम हुआ था, लेकिन ग्वार गम का निर्यात लगातार घटने से व्यापार इसका सिमटता जा रहा है। वर्ष 2010-11 के अंतराल ग्वार 305/310 रुपए प्रति किलो बिकने के बाद आज से 6-7 वर्ष पहले नीचे में 27 रुपए किलो देख आया है। अब वर्तमान में 51.50/52 रुपए प्रति किलो अहमदाबाद जोधपुर में भाव हो गए हैं। वायदा बाजार में 52.50 52.60 रुपए का व्यापार हो रहा है। हाजिर में एक-डेढ़ रुपए नीचे बिकता है। गम के भाव भी 96.50/97.50 रुपए प्रति किलो जोधपुर अहमदाबाद में क्वालिटी के अनुसार बोलने लगे हैं। वायदा बाजार आगे का सौदा तेज दिखा रहा है। हालांकि इसका कोई मायने नहीं है, लेकिन धरातल से देखने पर इस बार बिजाई काफी कम है तथा किसानों का रुझान ग्वार की बिजाई की बजाय मक्की बाजरे के तरफ ज्यादा चला गया है तथा सब्जियों की खेती भी अधिक करने लगे हैं। यही कारण है कि उत्पादन में लगातार एक दशक से गिरावट के बाद भी गम का निर्यात 50 प्रतिशत रह जाने से सीड की खपत घट गई है। किसानों को भारी घाटा लगने, कारोबारियों की रकम आधी रह जाने एवं इंडस्ट्रीज में पड़ता नहीं लगने से वर्ष 2011 के बाद से लगातार गिरावट बनती चली गई तथा आज तक इसके भाव लौटकर नहीं आए। वर्तमान में ग्वार का स्टाक ज्यादा नहीं है तथा डिब्बे में भी ज्यादा स्टॉक नहीं है, केवल सटोरिए बाजार को घूमा रहे हैं। ग्वार एवं गम के स्टॉक को देखते हुए वास्तविक खपत निकलने पर ग्वार ढूंढने से नहीं मिलेगा। राजस्थान के व्यापारी भी ग्वार की बिजाई से निराश हो चुके हैं, महेंद्रगढ़ हनुमानगढ़ जोधपुर बाड़मेर बीकानेर लाइन के किसान अब सब्जियां एवं पशु चारे के लिए ही ग्वार की बिजाई करते हैं। तथा सब्जियों में ग्वार फली के ऊंचे भाव मिलने से उसको तैयार करने की बजाय हरे में ही उनको पड़ता लग रहा है। यही हाल उधर अहमदाबाद एवं आसपास के उत्पादक क्षेत्रों में है। किसान इसकी फली बेचने में ज्यादा इंटरेस्टेड हैं इस वजह से ग्वार, बीज के रूप में तैयार कम किया जा रहा है। इसका प्रभाव जिस तरह नारियल गोला रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है तथा आज की तारीख में माल मिलना मुश्किल हो गया है, वही हाल मुझे ग्वार में भी दिखाई दे रहा है। पिछले एक दशक से ग्वार का व्यापार कम एवं इसकी फली का व्यापार ज्यादा हो गया है, इसलिए तैयार माल की उपलब्धि कम होने तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारतीय ग्वार के नीचे भाव होने से निर्यातकों का रुझान थोड़ा-थोड़ा बनने लगा है। इधर हरियाणा के शिवानी लाइन में भी काफी इंडस्ट्रीज ग्वार गम बनाने वाली बंद हो गई, क्योंकि उनकी लागत गम के निर्यात नहीं होने से बहुत महंगी बैठ रही थी। किसानों की लागत भी नहीं आ रही थी, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए ग्वार हाजिर में 60 रुपए प्रति किलो को पार कर सकता है।

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ग्वार : भरपूर लाभ की उम्मीद

 ग्वार का उत्पादन धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है इस बार भी बिजाई काफी कम होने की संभावना है। अभी तक राजस्थान गुजरात में गत वर्ष की अपेक्षा 47 प्रतिशत ही बिजाई हो पाई है। दूसरी ओर लंबे समय से ग्वार में कारोबारियों एवं इंडस्ट्रीज को भारी नुकसान लगने से इससे दूर हट गए हैं, इन परिस्थितियों में इस बार गवार 60 रुपये प्रति किलो को भी पार कर सकता है। ग्वार का उत्पादन इस बार बहुत ही कम रहने का अनुमान है। जिस तरह पूरे गुजरात राजस्थान में अभी तक इसकी बिजाई खबरें आ रही हैं, उसे देखते हुए कुल फसल 35 लाख गोरी रह जाने का अनुमान आ रहा है। गौरतलब है कि गत वर्ष भी बिजाई एवं उत्पादन कम हुआ था, लेकिन ग्वार गम का निर्यात लगातार घटने से व्यापार इसका सिमटता जा रहा है। वर्ष 2010-11 के अंतराल ग्वार 305/310 रुपए प्रति किलो बिकने के बाद आज से 6-7 वर्ष पहले नीचे में 27 रुपए किलो देख आया है। अब वर्तमान में 51.50/52 रुपए प्रति किलो अहमदाबाद जोधपुर में भाव हो गए हैं। वायदा बाजार में 52.50 52.60 रुपए का व्यापार हो रहा है। हाजिर में एक-डेढ़ रुपए नीचे बिकता है। गम के भाव भी 96.50/97.50 रुपए प्रति किलो जोधपुर अहमदाबाद में क्वालिटी के अनुसार बोलने लगे हैं। वायदा बाजार आगे का सौदा तेज दिखा रहा है। हालांकि इसका कोई मायने नहीं है, लेकिन धरातल से देखने पर इस बार बिजाई काफी कम है तथा किसानों का रुझान ग्वार की बिजाई की बजाय मक्की बाजरे के तरफ ज्यादा चला गया है तथा सब्जियों की खेती भी अधिक करने लगे हैं। यही कारण है कि उत्पादन में लगातार एक दशक से गिरावट के बाद भी गम का निर्यात 50 प्रतिशत रह जाने से सीड की खपत घट गई है। किसानों को भारी घाटा लगने, कारोबारियों की रकम आधी रह जाने एवं इंडस्ट्रीज में पड़ता नहीं लगने से वर्ष 2011 के बाद से लगातार गिरावट बनती चली गई तथा आज तक इसके भाव लौटकर नहीं आए। वर्तमान में ग्वार का स्टाक ज्यादा नहीं है तथा डिब्बे में भी ज्यादा स्टॉक नहीं है, केवल सटोरिए बाजार को घूमा रहे हैं। ग्वार एवं गम के स्टॉक को देखते हुए वास्तविक खपत निकलने पर ग्वार ढूंढने से नहीं मिलेगा। राजस्थान के व्यापारी भी ग्वार की बिजाई से निराश हो चुके हैं, महेंद्रगढ़ हनुमानगढ़ जोधपुर बाड़मेर बीकानेर लाइन के किसान अब सब्जियां एवं पशु चारे के लिए ही ग्वार की बिजाई करते हैं। तथा सब्जियों में ग्वार फली के ऊंचे भाव मिलने से उसको तैयार करने की बजाय हरे में ही उनको पड़ता लग रहा है। यही हाल उधर अहमदाबाद एवं आसपास के उत्पादक क्षेत्रों में है। किसान इसकी फली बेचने में ज्यादा इंटरेस्टेड हैं इस वजह से ग्वार, बीज के रूप में तैयार कम किया जा रहा है। इसका प्रभाव जिस तरह नारियल गोला रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है तथा आज की तारीख में माल मिलना मुश्किल हो गया है, वही हाल मुझे ग्वार में भी दिखाई दे रहा है। पिछले एक दशक से ग्वार का व्यापार कम एवं इसकी फली का व्यापार ज्यादा हो गया है, इसलिए तैयार माल की उपलब्धि कम होने तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारतीय ग्वार के नीचे भाव होने से निर्यातकों का रुझान थोड़ा-थोड़ा बनने लगा है। इधर हरियाणा के शिवानी लाइन में भी काफी इंडस्ट्रीज ग्वार गम बनाने वाली बंद हो गई, क्योंकि उनकी लागत गम के निर्यात नहीं होने से बहुत महंगी बैठ रही थी। किसानों की लागत भी नहीं आ रही थी, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए ग्वार हाजिर में 60 रुपए प्रति किलो को पार कर सकता है।


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