गीता में लिखा है कि निराश मत हो, तुम्हारा समय कमजोर है, तुम कमजोर नहीं हो। राजस्थान और गुजरात में ग्वार की खेती करने वाले और ग्वार गम मिल चलाने वाले किसानों, मिल मालिकों और निर्यातकों के लिए अब समय आ गया है कि वे इस कथन को याद रखें और व्यापार में हिम्मत रखें। क्योंकि जब से यह सीजन शुरू हुआ है, बाजार में तेजी कम और मंदी अधिक देखी गई है। ग्वार गम के निर्यात में भी गिरावट आई है। इसका स्थानीय बाजार पर सीधा असर पड़ा है, लेकिन बदलते समय में उन किसानों और मिल मालिकों की चिंताएं कम होती जा रही हैं, जो अपने व्यापारिक तौर-तरीकों में बदलाव कर रहे हैं। ग्वार सीड और ग्वार गम कारोबार में फिलहाल यही स्थिति है। वर्तमान में ग्वार गम व्यवसायियों और निवेशकों के लिए दीर्घकालिक निवेश का अवसर है। इसके अतिरिक्त, जब सीजन शुरू हुआ तो किसानों को एनसीडीईएक्स पर ग्वार पर पुट ऑप्शन खरीदकर सुरक्षित का अवसर मिला। आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी के पहले सप्ताह में ग्वार सीड का भाव 5,600 रुपये था, जो मार्च के पहले सप्ताह में घटकर 5,180 रुपये रह गया। इसी तरह ग्वार गम का भाव जनवरी के पहले सप्ताह में 10,880 रुपये था जो मार्च के पहले सप्ताह में घटकर 9,800 रुपये रह गया। यदि किसानों ने जनवरी में पुट ऑप्शन खरीद लिए होते तो वे अब सुरक्षित होते। जब बाजार में आशा की किरण दिखाई दे तो किसानों के लिए अभी भी पुट ऑप्शन खरीदना उचित है। वर्तमान में ग्वार गम विकल्पों में 3,935 टन का OPEN INTEREST है, जबकि ग्वार सीड विकल्पों में 7,895 टन का OPEN INTEREST है। सीजन के दौरान एक्सचेंज पर कुल 169,605 टन ग्वार गम ऑप्शन का कारोबार हुआ। जबकि 1208495 टन ग्वार सीड ऑप्शन का कारोबार हुआ। मिल मालिकों और निर्यातकों के लिए, ग्वार गम की मौजूदा कीमतों को स्टॉकिंग के अवसर के रूप में देखा जा सकता है। चूंकि अब तक निर्यात कम रहा है, इसलिए कच्चे तेल के उत्पादन की मांग बढऩे पर इसमें भी वृद्धि होगी। इसलिए अब इस कीमत में कमी की संभावना कम होगी और कीमत में वृद्धि की संभावना अधिक होगी। मई 2024 से नवंबर 2024 तक ग्वार गम और ग्वार स्प्लिट निर्यात के आंकड़े लगातार गिरावट दर्शाते हैं। मई में 21,263 टन ग्वार गम का निर्यात हुआ था, जो नवंबर में घटकर 14,699 टन रह गया। इसी प्रकार, मई में स्प्लिट निर्यात 3686 टन था, जो नवंबर में घटकर 1421 टन रह गया। भारत ने 2021-22 में 309998 टन ग्वार गम का निर्यात किया, जो नवंबर 2024-25 तक घटकर 36070 टन रह गया। जबकि विभाजित निर्यात 135672 टन था, जो नवंबर 2024-25 तक घटकर 25889 टन रह गया है। चूंकि ग्वार गम भारत के लिए एक निर्यात-उन्मुख कमोडिटी है, इसलिए यह स्वाभाविक है कि निर्यात में गिरावट से व्यापार प्रभावित होगा, लेकिन यह एक ऐसी कमोडिटी है जो तीन से चार साल तक खराब नहीं होती, इसलिए मौजूदा कीमत पर इसका स्टॉक करना लंबे समय में लाभदायक कहा जा सकता है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत में 11.83 लाख टन ग्वार का उत्पादन हुआ, जो 2022-23 में 17.87 लाख टन और 2023-24 में 16.65 लाख टन दर्ज किया गया। वर्ष 2024-25 के लिए 16 लाख टन फसल का अनुमान है। वर्तमान में भारत भर के बाजारों में ग्वार की औसतन दैनिक आवक 14,000 से 15,000 बोरी दर्ज की जा रही है। पिछले सप्ताह निर्यातकों द्वारा कुछ खरीदारी की गई थी। फरवरी में 28,000 टन के निर्यात सौदे का अनुमान है। हालाँकि, यह देखना बाकी है कि यह उछाल कितने समय तक जारी रहेगा।