सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सरकारी गोदामों में चावल का भंडार जून की शुरुआत में पिछले वर्ष की तुलना में 18 परसेंट बढक़र रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है। किसानों से अच्छी खरीद के कारण गेहूं का स्टॉक भी चार साल के पीक पर है। रिकॉर्ड चावल स्टॉक से भारत को इसका एक्सपोर्ट बढ़ाने में मदद मिलेगी। जबकि गेहूं का अच्छा स्टॉक होने के कारण सरकार को प्राइस कंट्रोल करना आसान हो जाएगा। चावल का राज्य भंडार, जिसमें अधिपरिष्कृत धान भी शामिल है, 1 जून तक 59.5 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जो कि 1 जुलाई के लिए निर्धारित 13.5 मिलियन टन के लक्ष्य से कहीं अधिक है। गेहूं का भंडार 1 जून को 36.9 मिलियन टन रहा, जो कि सरकारी लक्ष्य 27.6 मिलियन टन से काफी अधिक है। एनेलिस्ट कहते हैं कि अक्टूबर के सीजन के लिए खरीद शुरू करने से पहले सरकार को चावल का स्टॉक कम करना पड़ेगा। भारत का चावल के ग्लोबल एक्सपोर्ट में लगभग 40 परसेंट शेयर है। कोविड के बाद वर्ष 2022 में भारत सरकार ने इसके एक्सर्पोट को बैन कर दिया था लेकिन अब सभी बैन हटा लिए गए हैं। एफसीआई के डेटा के अनुसार सरकार अब तक 30 मिलियन टन गेहूं किसानों से खरीद चुकी है, जो कि चार वर्ष में सबसे अधिक है। पिछले तीन वर्षों में खराब फसल और कम खरीद के चलते गेहूं की कीमतों में तेजी आई थी। आशंका यहां तक थी कि भारत को सात वर्ष में पहली बार गेहूं इंपोर्ट करना पड़ सकता है। हालांकि इस वर्ष भंडार में वृद्धि (स्ह्लशष्द्म क्चह्वद्बद्यस्र-ह्वश्च) के चलते अब ऐसा प्रतीत होता है कि देश घरेलू मांग को बिना आयात के पूरा कर सकेगा।