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24-06-2025

म्युचुअल फंड ऐसे कर रहे FPI को रिप्लेस

  •  पिछले दिनों मुकेश अंबानी की जियो फाइनेंशियल सर्विसेस ने दुनिया के सबसे बड़े फंड मैनेजर ब्लैकरॉक के साथ पार्टनरशिप में म्युचुअल फंड्स इंडस्ट्री में कदम रखे हैं। आपको शायद भरोसा न हो लेकिन ब्लैकरॉक 11.6 ट्रिलियन डॉलर (दिसंबर 2024) के एसैट्स मैनेज (एयूएम) करती है। जबकि भारत की जीडीपी केवल 4.187 ट्रिलियन डॉलर ही है। लेकिन सवाल ब्लैकरॉक का नहीं बल्कि भारत की म्युचुअल फंड इंडस्ट्री की परफॉर्मेन्स का है। फ्रेंकलिन टेम्पलटन ने एक रिपोर्ट में कहा है कि पिछले 10 साल में भारत की म्युचुअल फंड इंडस्ट्री के एयूएम 20 परसेंट की सीएजीआर से बढ़े हैं जबकि अमेरिका में सीएजीआर केवल 8 परसेंट ही थी। मई 2025 तक भारत की म्युचुअल फंड इंडस्ट्री का एयूएम 72.2 लाख करोड़ रुपये के ऑलटाइम पीक लेवल पर पहुंच गया। पिछले केवल एक साल में इसके एयूएम में 13.3 लाख करोड़ रुपये के नए एसैट्स जुड़े हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच वर्ष में इंडस्ट्री की सीएजीआर 24 परसेंट रही और घरेलू म्युचुअल फंड्स अब मार्केट में फॉरेन पोर्टफोलियो इंवेस्टर्स (एफपीआई) के डायनामिक्स के लिए बैलेंसिंग एक्ट कर रहे हैं। मई 2025 को समाप्त 12 महीनों में घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) द्वारा 6 लाख करोड़ का नेट इनफ्लो किया गया जबकि इसी अवधि में एफपीआई का नेट आउटफ्लो 3.1 लाख करोड़ का था। इससे पता चलता है कि म्यूचुअल फंड अब विदेशी पूंजी के प्रवाह में आ रहे उतार-चढ़ाव को मैनेज करने में बड़े मददगार साबित हो रहे हैं। सेविंग से तीन गुना : पिछले एक दशक में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कुल बैंक डिपॉजिट्स में में शेयर तीन गुना हो गया है। वर्ष 2015 में एयूएम-डिपॉजिट रेश्यो 12.6 परसेंट था जो मई 2025 तक 31 परसेंट से अधिक हो गया है।  टॉप 15 शहरों के बाहर के शहरों का एयूएम में शेयर मार्च 2020 में 25 परसेंट था, जो मार्च 2025 में बढक़र 35 परसेंट हो गया। भारत में म्यूचुअल फंड निवेशकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मई 2025 में कुल 5.49 करोड़ निवेशक दर्ज किए गए, जिसमें केवल एक माह में 3.19 लाख नए निवेशक जुड़े। पिछले एक साल में 89 लाख नए निवेशक जुड़े जबकि वर्ष 2024 में 78 लाख नए निवेशकों को जोड़ा गया था। इंडियन फैमिली बन रही इंवेस्टर : दिग्गज बैंकर उदय कोटक के अनुसार भारतीय परिवार सेवर (बचतकर्ता) नहीं इंवेस्टर बन रहे हैं और यह लॉन्ग-टर्म ट्रेंड है। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा कोविड के बाद, म्यूचुअल फंड्स की एयूएम जो मुख्यत: इक्विटी पर बेस्ड है बढक़र बैंक डिपॉजिट्स के 31 परसेंट तक पहुँच चुकी है। इससे भारत में डॉमेस्टिक रिस्क कैपिटल का निर्माण हो रहा है और इक्विटी-कल्चर आकार ले रहा है। हालांकि यूबीएस ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2025 के अनुसार भारत में घरेलू संपत्ति का केवल 20 परसेंट ही वित्तीय परिसंपत्तियों में है, जबकि अधिकांश हिस्सा अब भी भौतिक परिसंपत्तियों (रियल एस्टेट और गोल्ड) में है। वहीं स्वीडन और इजराइल में 80 परसेंट से अधिक है, और ब्राज़ील और साउथ अफ्रीका जैसे विकासशील देशों में भी 60 परसेंट से ज्यादा है। 

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म्युचुअल फंड ऐसे कर रहे FPI को रिप्लेस

 पिछले दिनों मुकेश अंबानी की जियो फाइनेंशियल सर्विसेस ने दुनिया के सबसे बड़े फंड मैनेजर ब्लैकरॉक के साथ पार्टनरशिप में म्युचुअल फंड्स इंडस्ट्री में कदम रखे हैं। आपको शायद भरोसा न हो लेकिन ब्लैकरॉक 11.6 ट्रिलियन डॉलर (दिसंबर 2024) के एसैट्स मैनेज (एयूएम) करती है। जबकि भारत की जीडीपी केवल 4.187 ट्रिलियन डॉलर ही है। लेकिन सवाल ब्लैकरॉक का नहीं बल्कि भारत की म्युचुअल फंड इंडस्ट्री की परफॉर्मेन्स का है। फ्रेंकलिन टेम्पलटन ने एक रिपोर्ट में कहा है कि पिछले 10 साल में भारत की म्युचुअल फंड इंडस्ट्री के एयूएम 20 परसेंट की सीएजीआर से बढ़े हैं जबकि अमेरिका में सीएजीआर केवल 8 परसेंट ही थी। मई 2025 तक भारत की म्युचुअल फंड इंडस्ट्री का एयूएम 72.2 लाख करोड़ रुपये के ऑलटाइम पीक लेवल पर पहुंच गया। पिछले केवल एक साल में इसके एयूएम में 13.3 लाख करोड़ रुपये के नए एसैट्स जुड़े हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच वर्ष में इंडस्ट्री की सीएजीआर 24 परसेंट रही और घरेलू म्युचुअल फंड्स अब मार्केट में फॉरेन पोर्टफोलियो इंवेस्टर्स (एफपीआई) के डायनामिक्स के लिए बैलेंसिंग एक्ट कर रहे हैं। मई 2025 को समाप्त 12 महीनों में घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) द्वारा 6 लाख करोड़ का नेट इनफ्लो किया गया जबकि इसी अवधि में एफपीआई का नेट आउटफ्लो 3.1 लाख करोड़ का था। इससे पता चलता है कि म्यूचुअल फंड अब विदेशी पूंजी के प्रवाह में आ रहे उतार-चढ़ाव को मैनेज करने में बड़े मददगार साबित हो रहे हैं। सेविंग से तीन गुना : पिछले एक दशक में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कुल बैंक डिपॉजिट्स में में शेयर तीन गुना हो गया है। वर्ष 2015 में एयूएम-डिपॉजिट रेश्यो 12.6 परसेंट था जो मई 2025 तक 31 परसेंट से अधिक हो गया है।  टॉप 15 शहरों के बाहर के शहरों का एयूएम में शेयर मार्च 2020 में 25 परसेंट था, जो मार्च 2025 में बढक़र 35 परसेंट हो गया। भारत में म्यूचुअल फंड निवेशकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मई 2025 में कुल 5.49 करोड़ निवेशक दर्ज किए गए, जिसमें केवल एक माह में 3.19 लाख नए निवेशक जुड़े। पिछले एक साल में 89 लाख नए निवेशक जुड़े जबकि वर्ष 2024 में 78 लाख नए निवेशकों को जोड़ा गया था। इंडियन फैमिली बन रही इंवेस्टर : दिग्गज बैंकर उदय कोटक के अनुसार भारतीय परिवार सेवर (बचतकर्ता) नहीं इंवेस्टर बन रहे हैं और यह लॉन्ग-टर्म ट्रेंड है। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा कोविड के बाद, म्यूचुअल फंड्स की एयूएम जो मुख्यत: इक्विटी पर बेस्ड है बढक़र बैंक डिपॉजिट्स के 31 परसेंट तक पहुँच चुकी है। इससे भारत में डॉमेस्टिक रिस्क कैपिटल का निर्माण हो रहा है और इक्विटी-कल्चर आकार ले रहा है। हालांकि यूबीएस ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2025 के अनुसार भारत में घरेलू संपत्ति का केवल 20 परसेंट ही वित्तीय परिसंपत्तियों में है, जबकि अधिकांश हिस्सा अब भी भौतिक परिसंपत्तियों (रियल एस्टेट और गोल्ड) में है। वहीं स्वीडन और इजराइल में 80 परसेंट से अधिक है, और ब्राज़ील और साउथ अफ्रीका जैसे विकासशील देशों में भी 60 परसेंट से ज्यादा है। 


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