कोविड के बाद से कॉस्ट ऑफ कैपिटल बढ़ जाने, एक-के-बाद-एक वॉर छिड़ जाने और कंज्यूमर डिमांड में सी-सॉ का पैटर्न होने के कारण भारत सरकार के प्रेशर के बावजूद इंडिया इंक इंवेस्टमेंट करने से थोड़ा झिझक रहा था। लेकिन एक लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले पांच साल में प्राइवेट इंवेस्टमेंट दो गुना होकर 850 बिलियन डॉलर यानी 70 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ज्यादातर इंवेस्टमेंट (टेबल 2) पावर जेनरेशन एंड ट्रांसमिशन, एयरलाइंस, और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे सैक्टर में होगा। भारत में फिलहाल कैपेसिटी यूटिलाइजेशन 76 परसेंट के करीब है ऐसे में इंडिया इंक अब डिमांड के नए दौर के लिए तैयारी कर रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडिया इंक भारी भरकम कैश रिजर्व (टेबल 1) पर बैठी हैं। पिछले सालों में इन कंपनियों का कैश फ्लो भी मजबूत रहा है। इंटरेस्ट रेट्स घटने के साथ ही फाइनेंसिंग के ऑप्शन भी बेहतर हो रहे हैं। साथ ही सरकार इंडस्ट्री के साथ मिलकर पॉलिसी डिजाइन कर रही है। एसएंडपी का यह भी कहना है कि भारत में एक नया कैपेक्स सुपर-साइकल शुरू हो चुका है जो इसे अगले दशक में ग्लोबल फाइनेंशियल पावरहाउस बनाने में मदद करेगा। एनेलिस्ट्स का कहना है कि पावर एंड ट्रांसमिशन में लगभग 250 बिलियन डॉलर, और ग्रीन फ्यूल जैसे एथनॉल, सौर ऊर्जा व हाइड्रोजन पर लगभग 50 बिलियन डॉलर खर्च किए जाएंगे। ये सभी इंवेस्टमेंट भारत की एनर्जी सिक्यॉरिटी, ग्रीन एनर्जी की ओर शिफ्ट और इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट के लिए अहम साबित होंगे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एयरलाइंस सेक्टर बड़ा इंवेस्टमेंट डेस्टिनेशन बनकर उभरेगा। विशेष रूप से एयर इंडिया और इंडिगो जैसी कंपनियां अपने फ्लीट अपग्रेड, रूट एक्सपांशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार के लिए बिलियन्स ऑफ डॉलर का इंवेस्टमेंट प्लान तैयार कर रही हैं। अकेली एयर इंडिया करीब 50 बिलियन डॉलर का कैपिटल इंवेस्टमेंट करने के प्लान पर काम कर रही है। अडानी समूह, रिलायंस, और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन जैसे बड़े कॉरपोरेट ग्रुप इस पूरे इंवेस्टमेंट मिशन को लीड करेंगें। इसके अलावा, टेलीकॉम, माइनिंग, सीमेंट, और मेटल्स जैसे पारंपरिक सेक्टर भी इस कैपेक्स साइकल में बड़ा योगदान देंगे। हालांकि रिपोर्ट में यह चेताया गया है कि इंवेस्टमेंट का यह सुपरसाइकल तभी कामयाब होगा जब प्रोजेक्ट्स समय पर कॉस्ट ओवर-रन के बिना पूरे हों और सरकार के स्तर पर नीतिगत स्थिरता बनी रहे। अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक हुआ, तो यह भारत को अगले पांच वर्ष में इंडस्ट्रियल पावरहाउस के रूप में स्थापित कर सकता है।

