तीन खबरें हैं।
मारुति ने कहा कि रेयर अर्थ मैग्नेट को लेकर फिलहाल कोई चिंता नहीं है।
टीवीएस के सुदर्शन वेणु ने कहा है कि ईवी प्रॉडक्शन में रिस्क है।
बजाज ऑटो ने कहा है कि जुलाई से ही असर पडऩे लगेगा।
मामले की गंभीरता को देखते हुए भारत सरकार ने कहा है कि वह रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई को लेकर चीन के साथ डिप्लोमेटिक चर्चा करेगी। आप जानते हैं चीन ने क्रिटिकल मीनरल और रेयर अर्थ मैग्नेट्स के एक्सपोर्ट पर कंट्रोल लगा दिया है। ये ऑटोमोबाइल के साथ ही एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर और मिलिटरी इक्विपमेंट्स के लिए जरूरी इनपुट हैं। रिपोर्ट्स कहती है कि रेयर अर्थ मैग्नेट्स की ग्लोबल सप्लाई चेन में 90 परसेंट तक शेयर चीन का है। यह ग्लोबल ऑटो इंडस्ट्री के लिए एपल जैसा मॉमेंट है। कोविड के दौरान चीन के स्ट्रिक्ट लॉकडाउन लगा देने से एपल का प्रॉडक्शन बुरी तरह प्रभावित हुआ था। नतीजतन कंपनी को भारत जैसे देश में अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस को डवलप करना पड़ा। मैग्नेट्स के कन्साइनमेंट जो कारों, ड्रोन, रोबोट से लेकर मिसाइलों तक के लिए क्रिटिकल कंपोनेंट है फिलहाल चीनी बंदरगाहों पर रुके हुए हैं क्योंकि इनके एक्सपोर्ट के लिए लाइसेंस जरूरी कर दिया गया है। जर्मनी के ऑटो उद्योग संघ की अध्यक्ष हिल्डेगार्ड म्यूलर के अनुसार यदि हालात जल्दी नहीं बदले तो प्रॉडक्शन स्लो हो सकता है और बंद होने तक की आशंका है। भारत, जापान और यूरोप के डिप्लोमेट, ऑटो मैन्युफैक्चरर और अन्य कारोबारियों ने बीजिंग से एक्सपोर्ट एप्रूवल को फास्ट्रेक करने के लिए मीटिंग की मांग की है। जापानी ट्रेड डेलीगेशन जून की शुरुआत में ही चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री से मुलाकात करेगा। यूरोप के देश भी एमरजेंसी मीटिंग की मांग कर रहे हैं। मई में, जनरल मोटर्स, टोयोटा, फोक्सवैगन, ह्यूंदे और अन्य प्रमुख ऑटो कंपनियों के व्यापार संगठन ने ट्रंप प्रशासन को एक पत्र लिखकर यही चिंता व्यक्त की थी। जिसमें उन्होंने कहा कि ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन, थ्रॉटल बॉडी, अल्टरनेटर, मोटर्स, सेंसर, सीट बेल्ट, स्पीकर्स, लाइट्स, पावर स्टीयरिंग, पावर विंडो और कैमरा जैसे जरूरी कंपोनेंट्स का उत्पादन बंद हो जाएगा। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल करीब 350 करोड़ रुपये के रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इंपोर्ट करता है।