फरवरी और मार्च में हुए कुंभ मेले को इकोनॉमिक पावरहाउस बताया जा रहा था। दावा था इससे कंज्यूमर इकोनॉमी को 3 लाख करोड़ का टर्बो चार्ज मिलेगा। हालांकि फरवरी और मार्च के यूपी के जीएसटी कलेक्शन में ऐसा कोई ट्रेंड नजर नहीं आ रहा। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने इस बारे में कोई आंकड़ा नहीं दिया। मार्केट कन्सल्टेंट डन एंड ब्रैडस्ट्रीट की रिपोर्ट के अनुसार प्रयागराज में करीब 45 दिन चले महाकुंभ से 2.80 लाख करोड़ रुपये इकोनॉमी में आए। इसमें से 90 हजार करोड़ रु. का सीधा खर्च, 80,000 करोड़ रुपये की अप्रत्यक्ष आर्थिक गतिविधि, और 1.1 लाख करोड़ रुपये के प्रेरित प्रभाव शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार ट्रांसपोर्ट, फूड और टूरिज्म पर कुल 2.3 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। जबकि शेष 50 हजार करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय हुआ जिसमें मेला आयोजन के लिए बुनियादी सुविधाएं जुटाने पर हुआ खर्च शामिल है। ज्यादा कमाई ट्रांसपोर्ट सैक्टर को हुई। अकेले रेलवे ने मेले के दौरान 17700 करोड़ रु. कमाए। तीर्थयात्रियों ने हेलीकॉप्टर सवारी, गर्म हवा के गुब्बारों, योग और गाइडेड टूर पर 10,000 करोड़ रु. खर्च किए। रिपोर्ट के अनुसार 2 लाख छोटे कारोबारियों ने 7,000 करोड़ का कारोबार किया जबकि फूड सर्विस वालों ने 6,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त रेवेन्यू जेनरेट किया। भारत सरकार के डेटा के अनुसार कुंभ के दौरान प्रयागराज में करीब 5300 हवाईजहाज उतरे थे जिनमें 2500 चार्टर थे।