भारत को ईवी का ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए नई ईवी पॉलिसी तैयार हो गई है। हेवी इंडस्ट्री मिनिस्टर एचडी कुमारस्वामी ने कहा, मर्सिडीज-बेंज, फोक्सवैगन-स्कोडा और ह्यूंदे मोटर कंपनी पहले ही रुचि दिखा चुकी हैं। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि टेस्ला के इस स्कीम से जुडऩे या भारत को अपना मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की उम्मीद नहीं है। टेस्ला की योजना कारों को बेचने के लिए भारत में केवल दो कंपनियां खोलने की है। 15 मार्च को घोषित नीति के तहत 35 हजार डॉलर की प्राइस लिमिट वाली इलेक्ट्रिक कारों पर इंपोर्ट ड्यूटी को घटाकर 15 परसेंट करने का प्रस्ताव दिया गया था। हालांकि इसके लिए कंपनी को तीन साल की अवधि में प्लांट लगाने और कम से कम $50 करोड़ डॉलर का इंवेस्टमेंट करने की शर्त थी। माना जा रहा है कि नई पॉलिसी में पांच साल के लिए सालाना 8,000 कारों का इंपोर्ट करने की छूट दी जा सकती है। पॉलिसी के तहत भारत में बनी इलेक्ट्रिक कार को तीन वर्ष में 25 परसेंट और पांच वर्ष में 50 परसेंट लोकेलाइजेशन के लेवल तक पहुंचना होगा। यदि कंपनी का भारत में पहले से ही प्लांट है तो तीन साल में नई ईवी असेंबली बनाने पर कम से कम 50 करोड़ डॉलर का इंवेस्टमेंट करना होगा। हेवी इंडस्ट्री मिनिस्टर कुमारस्वामी के अनुसार एलन मस्क की टेस्ला को भारत में मैन्युफैक्चरिंग में कोई दिलचस्पी नहीं है। कुमार स्वामी ने यह भी कहा कि भारत जल्द ही ईवी पॉलिसी के तहत नए सिरे से आवेदन आमंत्रित करेगा। इस नई पॉलिसी के तहत कंपनियां वास्तविक 70 परसेंट के बजाय 15 परसेंट टैरिफ पर सीमित संख्या में इलेक्ट्रिक कारों का इंपोर्ट कर सकेंगी हालांकि इसके लिए उन्हें 50 करोड़ डॉलर के इंवेस्टमेंट की गारंटी देनी होगी। अभी सीबीयू इंपोर्ट पर 70 से 110 परसेंट तक टेक्स लगता है। फरवरी में अमेरिकी प्रेसिडेंट डॉनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि उनका मानना है कि टेस्ला की भारत में एक कारखाना खोलने की कोई भी योजना ...बहुत अनुचित...होगी। टेस्ला को भारत सरकार ने पहली बार 2016 में भारत में इंवेस्टमेंट का प्रपोजल दिया था। लेकिन करीब 10 साल बीत जाने के बावजूद यह प्रपोजल एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है। हालांकि टेस्ला को भारत से ज्यादा वॉल्यूम की उम्मीद नहीं है क्योंकि भारत के पैसेंजर वेहीकल मार्केट में ज्यादातर शेयर 20 लाख रुपये से कम प्राइस रेंज का है। जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया के सीईओ राजीव चाबा का मानना है कि कीमत टेस्ला के लिए एक चुनौती होगी। यदि टेस्ला भारत में एक प्रतीकात्मक उपस्थिति से अधिक रखना चाहती है, तो उसे चीन की तुलना में मूल्य के आधार पर बेहतर कीमतों और प्रस्तावों की आवश्यकता होगी। मुझे लगता है कि भारत अधिक खिलाडिय़ों के लिए तैयार है, विशेष रूप से जब इलेक्ट्रिक वाहनों की पैठ लगातार बढ़ रही है। भारत में ईवी का शेयर बहुत सीमित है। वर्ष 2020 में जहां देश में केवल 5 हजार इलेक्ट्रिक कार बिकी थीं वहीं केवल पांच साल बाद 2024 में इनका सेल्स वॉल्यूम 22 गुना बढक़र 1.13 लाख तक पहुंच गया। लेकिन अभी भी कुल पीवी मार्केट में इलेक्ट्रिक कार का शेयर 2.5 करसेंट के करीब ही है।