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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

17-04-2025

जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड प्रमोटर्स की घपलेबाजी से ‘सकते’ में इंवेस्टर!

  •  जेनसोल इंजीनियरिंग लि. के प्रमोटर्स द्वारा की गई घपलेबाजी का सबसे बड़ा नुकसान कंपनी के इंवेस्टरों को उठाना पड़ रहा है। कंपनी के शेयर वर्तमान में रिकॉर्ड मिनिमम लेवल पर ट्रेड कर रहे हैं व 1125 रुपये के वार्षिक उच्च लेवल्स से अब तक इनमें 89 प्रतिशत की भारी गिरावट आ चुकी है। बुधवार को भी जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर 5 प्रतिशत के लोअर सर्किट के साथ 123.65 रुपये के रिकॉर्ड मिनिमम लेवल पर बंद हुए। 31 दिसंबर 2024 को करीब 91,000 रिटेल इंवेस्टरों का कंपनी के शेयरों में एक्सपोजर था। सेबी द्वारा 15 अप्रैल को जारी आदेश में दोनों जग्गी बंधुओं को कंपनी में किसी भी निदेशक पद पर बने रहने पर पाबंदी लगा दी है और सिक्योरिटी मार्केट में उनके कारोबार पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। नियामक के अनुसार, राइड-हेलिंग सर्विस ब्लूस्मार्ट के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने हेतु लिए गए लोन को कई संस्थाओं के माध्यम से डायवर्ट किया गया और बाद में निजी लाभ के लिए उपयोग किया गया। जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड (जीईएल) के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) खरीदने के लिए लिये गए लोन को गुरुग्राम में डीएलएफ के ‘द कैमेलियास’ में एक लग्जरी अपार्टमेंट खरीदने के लिए डायवर्ट कर दिया। सेबी ने आगे कहा, अनमोल सिंह जग्गी की मां जसमिंदर कौर द्वारा बुकिंग एडवांस के रूप में शुरू में भुगतान किए गए 5 करोड़ रुपये भी जेनसोल से ही लिए गए थे। इसके अलावा, एक बार जब डीएलएफ ने कौर को एडवांस राशि लौटा दी, तो यह धनराशि कंपनी को वापस नहीं मिली, बल्कि जेनसोल की एक अन्य संबंधित पार्टी को दे दी गई। बाजार नियामक ने जांच में पाया कि जेनसोल इंजीनियरिंग ने 2021 से 2024 के बीच सरकारी एनबीएफसी कंपनियों - इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (आईआरईडीए) और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) से 978 करोड़ रुपये का लोन लिया था। इसमें से 664 करोड़ रुपये विशेष रूप से 6,400 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए आवंटित किए गए थे, जिन्हें ब्लूस्मार्ट को लीज पर दिया जाना था। हालांकि, कंपनी ने फरवरी 2025 में स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि अब तक केवल 4,704 ईवी खरीदे गए हैं। जेनसोल के ईवी सप्लायर गो-ऑटो ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इन वाहनों की कुल लागत 568 करोड़ रुपये थी। सेबी ने बताया कि लोन की आखिरी किश्त प्राप्त होने के एक साल के बाद भी कंपनी बाकी बचे 262 करोड़ रुपये के अंतर का हिसाब देने में विफल रही है। सेबी की जांच से पता चला है कि कथित तौर पर ईवी खरीदने के लिए एक बार जब फंड को जेनसोल से गो-ऑटो में स्थानांतरित कर दिया गया, तो पैसा  जेनसोल या जग्गी बंधुओं से जुड़ी संस्थाओं को वापस भेज दिया गया। ऐसे ही एक मामले में, 2022 में इरडा से प्राप्त लोन राशि का एक बड़ा हिस्सा रिलेटिड कैपब्रिज को हस्तांतरित कर दिया गया। इसके बाद कैपब्रिज ने कैमेलियास प्रोजेक्ट में एक अपार्टमेंट के लिए डीएलएफ को 42.94 करोड़ रुपए भेजे। डीएलएफ ने पुष्टि की कि इस पैसे का इस्तेमाल एक फर्म के नाम पर संपत्ति खरीदने के लिए किया गया, जिसमें अनमोल और पुनीत सिंह जग्गी दोनों ही भागीदार हैं।

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जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड प्रमोटर्स की घपलेबाजी से ‘सकते’ में इंवेस्टर!

 जेनसोल इंजीनियरिंग लि. के प्रमोटर्स द्वारा की गई घपलेबाजी का सबसे बड़ा नुकसान कंपनी के इंवेस्टरों को उठाना पड़ रहा है। कंपनी के शेयर वर्तमान में रिकॉर्ड मिनिमम लेवल पर ट्रेड कर रहे हैं व 1125 रुपये के वार्षिक उच्च लेवल्स से अब तक इनमें 89 प्रतिशत की भारी गिरावट आ चुकी है। बुधवार को भी जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयर 5 प्रतिशत के लोअर सर्किट के साथ 123.65 रुपये के रिकॉर्ड मिनिमम लेवल पर बंद हुए। 31 दिसंबर 2024 को करीब 91,000 रिटेल इंवेस्टरों का कंपनी के शेयरों में एक्सपोजर था। सेबी द्वारा 15 अप्रैल को जारी आदेश में दोनों जग्गी बंधुओं को कंपनी में किसी भी निदेशक पद पर बने रहने पर पाबंदी लगा दी है और सिक्योरिटी मार्केट में उनके कारोबार पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। नियामक के अनुसार, राइड-हेलिंग सर्विस ब्लूस्मार्ट के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने हेतु लिए गए लोन को कई संस्थाओं के माध्यम से डायवर्ट किया गया और बाद में निजी लाभ के लिए उपयोग किया गया। जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड (जीईएल) के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) खरीदने के लिए लिये गए लोन को गुरुग्राम में डीएलएफ के ‘द कैमेलियास’ में एक लग्जरी अपार्टमेंट खरीदने के लिए डायवर्ट कर दिया। सेबी ने आगे कहा, अनमोल सिंह जग्गी की मां जसमिंदर कौर द्वारा बुकिंग एडवांस के रूप में शुरू में भुगतान किए गए 5 करोड़ रुपये भी जेनसोल से ही लिए गए थे। इसके अलावा, एक बार जब डीएलएफ ने कौर को एडवांस राशि लौटा दी, तो यह धनराशि कंपनी को वापस नहीं मिली, बल्कि जेनसोल की एक अन्य संबंधित पार्टी को दे दी गई। बाजार नियामक ने जांच में पाया कि जेनसोल इंजीनियरिंग ने 2021 से 2024 के बीच सरकारी एनबीएफसी कंपनियों - इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (आईआरईडीए) और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) से 978 करोड़ रुपये का लोन लिया था। इसमें से 664 करोड़ रुपये विशेष रूप से 6,400 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए आवंटित किए गए थे, जिन्हें ब्लूस्मार्ट को लीज पर दिया जाना था। हालांकि, कंपनी ने फरवरी 2025 में स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि अब तक केवल 4,704 ईवी खरीदे गए हैं। जेनसोल के ईवी सप्लायर गो-ऑटो ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इन वाहनों की कुल लागत 568 करोड़ रुपये थी। सेबी ने बताया कि लोन की आखिरी किश्त प्राप्त होने के एक साल के बाद भी कंपनी बाकी बचे 262 करोड़ रुपये के अंतर का हिसाब देने में विफल रही है। सेबी की जांच से पता चला है कि कथित तौर पर ईवी खरीदने के लिए एक बार जब फंड को जेनसोल से गो-ऑटो में स्थानांतरित कर दिया गया, तो पैसा  जेनसोल या जग्गी बंधुओं से जुड़ी संस्थाओं को वापस भेज दिया गया। ऐसे ही एक मामले में, 2022 में इरडा से प्राप्त लोन राशि का एक बड़ा हिस्सा रिलेटिड कैपब्रिज को हस्तांतरित कर दिया गया। इसके बाद कैपब्रिज ने कैमेलियास प्रोजेक्ट में एक अपार्टमेंट के लिए डीएलएफ को 42.94 करोड़ रुपए भेजे। डीएलएफ ने पुष्टि की कि इस पैसे का इस्तेमाल एक फर्म के नाम पर संपत्ति खरीदने के लिए किया गया, जिसमें अनमोल और पुनीत सिंह जग्गी दोनों ही भागीदार हैं।


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