8 और 9 अगस्त 1945 को जापान पर अमेरिका ने परमाणु बम गिराए थे। नतीजा कई पीढिय़ों तक बच्चे अपाहिज पैदा हुए। यदि ऐसा ही कयामत दुनियाभर पर आ गिरे। या फिर कोविड जैसी कोई पैंडेमिक के कारण धरती से फसल खत्म हो जाए। तो! फिर आगे क्या होगा? आम आदमी के दिमाग में भले ही यह सवाल न आते हों लेकिन वैज्ञानिक तो प्लान करते ही हैं। फसलों के बीज को बीमारी या परमाणु अटैक आदि से बर्बाद हो जाने से बचाने के लिए एक तिजोरी है। नॉर्वे के घनी बर्फ वाले एक आर्कटिक द्वीप पर गुफाएं हैं जिनमें दुनियाभर से खाद्य फसल के बीजों को जमा किया जाता है। डूम्स डे यानी कयामत के दिन की तैयारी के तहत चलाए जा रहे इस प्रॉजेक्ट में मंगलवार को 14 हजार वेरायटी के नए नमूने जमा किए गए हैं। जब जरूरत होगी यहां से बीज निकालकर फूड साइकल को फिर से शुरू किया जा सकता है। वैज्ञानिकों के सामने न्यूक्लियर वॉर से लेकर ग्लोबल वार्मिंग तक अनेक चैलेंज हैं। इसलिए एक पहाड़ के अंदर गहराई में स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट को 2008 में शुरू किया गया था। इसका मकसद ग्लोबल जीन बैंक का बैकअप तैयार करना है। और यहां पर हजारों पौधों की प्रजातियों के जीनकोड को सुरक्षित रखा जाता है। पर्माफ्रॉस्ट यानी हमेशा जमी रहने वाली बर्फ में बनी इस तिजोरी में दुनिया भर से सैंपल भेजे जाते हैं। रिपोर्ट्स कहती हैं कि सीरिया में युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त बीज संग्रह को नए सिरे से जीवन देने के लिए 2015 और 2019 के बीच एक खास प्रॉजेक्ट चलाना पड़ गया था। क्रॉप ट्रस्ट के एक्जेक्टिव डायरेक्टर स्टीफन श्मिटज कहते हैं कि यहां जमा किए गए बीज ना केवल बायो डायवर्सिटी को बचाए रखने के लिए जरूरी हैं बल्कि समुदायों के ज्ञान और संस्कृति के प्रतिनिधित्व के लिए भी जरूरी हैं। सूडान में रैपिड सपोर्ट फोर्सेज और सेना के बीच अप्रैल 2023 में शुरू हुए युद्ध में दसियों हजार लोग मारे गए और 1.2 करोड़ लोग विस्थापित हो गए। सूडान का आधा हिस्सा भूख और बड़ा इलाका अकाल से प्रभावित रहता है। ऐसे में मंगलवार को जो नए सैंपल आए हैं उनमें सूडान की ज्वार की 15 प्रजातियों का सैंपल भी। क्रॉप ट्रस्ट के अनुसार 14,022 नए सैंपल जमा किए जाएंगे जिनमें स्वीडन से नॉर्डिक पेड़ों के बीज और थाईलैंड का चावल शामिल हैं।