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26-09-2025

जीसीसी की ओर से इन्डिया में ऑफिस स्पेस डिमांड में 8 प्रतिशत का राइज

  •  इस वर्ष के पहले नौ महीनों में भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) की ओर से ऑफिस स्पेस की डिमांड 8 प्रतिशत बढक़र 50.9 मिलियन स्क्वायर फीट हो गई है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। तीसरी तिमाही में कुल ट्रांजैक्शन को लेकर बेंगलुरु पहले स्थान पर रहा, इसके बाद पुणे, मुंबई और चेन्नई में भी जबरदस्त डिमांड दर्ज की गई।कोलियर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इन तीनों शहरों ने मिलकर इस तिमाही में कुल ग्रेड ए ऑफिस स्पेस का आधा हिस्सा इस्तेमाल किया। इस वर्ष की तीसरी तिमाही में इन तीनों शहरों में से प्रत्येक में एन्यूअल डिमांड में कम से कम 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। बेंगलुरु ने 14 मिलियन वर्ग फुट के लीजिंग और कुल भारत के ऑफिस स्पेस की मांग में 27 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ अपना मजबूत स्थान बनाए रखा। कोलियर्स, इंडिया के ऑफिस सर्विसेज के मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि बाहरी अस्थिरता और व्यापारिक तनाव जारी रहने के बावजूद भी भारत का ऑफिस मार्केट वर्ष के पहले नौ महीनों में 50 मिलियन वर्गफुट का आंकड़ा पार कर लगातार मजबूती का प्रदर्शन कर रहा है। यह लगातार बढ़त जीसीसी द्वारा स्पेस इस्तेमाल में बढ़ोतरी और घरेलू फर्मों द्वारा लीजिंग एक्टिविटी से दर्ज की गई है। जीसीसी ने 2025 में टॉप सात शहरों में लगभग 20 मिलियन वर्गफुट का स्पेस लीज पर लिया है, जो कुल ऑफिस स्पेस की मांग का लगभग 40 प्रतिशत है। 2025 की तीसरी तिमाही में टॉप सात ऑफिस मार्केट में नई सप्लाई मजबूत रही, 16.6 मिलियन वर्गफुट की नई बिल्डिंग बनीं, जो सालाना आधार पर 15 प्रतिशत की वृद्धि है। पुणे में तिमाही में लगभग चार गुना वृद्धि के साथ 4.6 मिलियन वर्गफुट की नई बिल्डिंग बनीं, इसके बाद बेंगलुरु और दिल्ली-एनसीआर का स्थान रहा। 2025 के पहले नौ महीनों में कन्वेंशनल लीजिंग 41.7 मिलियन वर्ग फुट रही, जो मुख्य रूप से टेक्नोलॉजी और बीएफएसआई सेक्टर से थी। फ्लेक्स वर्कस्पेस एक्टिविटी के मामले में, बेंगलुरु, पुणे और चेन्नई ने मिलकर 2025 की तीसरी तिमाही में फ्लेक्सिबल स्पेस के इस्तेमाल का लगभग 66 प्रतिशत हिस्सा लिया। कोलियर्स इंडिया के नेशनल डायरेक्टर और रिसर्च हेड विमल नादर ने कहा कि कुल मिलाकर, भारत में आजाद वर्कप्लेस रणनीतियों और फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस को अपनाने की पसंद लगातार बढ़ रही है और 2025 तक यह कुल मांग का 20 प्रतिशत हो सकता है।

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जीसीसी की ओर से इन्डिया में ऑफिस स्पेस डिमांड में 8 प्रतिशत का राइज

 इस वर्ष के पहले नौ महीनों में भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) की ओर से ऑफिस स्पेस की डिमांड 8 प्रतिशत बढक़र 50.9 मिलियन स्क्वायर फीट हो गई है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। तीसरी तिमाही में कुल ट्रांजैक्शन को लेकर बेंगलुरु पहले स्थान पर रहा, इसके बाद पुणे, मुंबई और चेन्नई में भी जबरदस्त डिमांड दर्ज की गई।कोलियर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इन तीनों शहरों ने मिलकर इस तिमाही में कुल ग्रेड ए ऑफिस स्पेस का आधा हिस्सा इस्तेमाल किया। इस वर्ष की तीसरी तिमाही में इन तीनों शहरों में से प्रत्येक में एन्यूअल डिमांड में कम से कम 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। बेंगलुरु ने 14 मिलियन वर्ग फुट के लीजिंग और कुल भारत के ऑफिस स्पेस की मांग में 27 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ अपना मजबूत स्थान बनाए रखा। कोलियर्स, इंडिया के ऑफिस सर्विसेज के मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि बाहरी अस्थिरता और व्यापारिक तनाव जारी रहने के बावजूद भी भारत का ऑफिस मार्केट वर्ष के पहले नौ महीनों में 50 मिलियन वर्गफुट का आंकड़ा पार कर लगातार मजबूती का प्रदर्शन कर रहा है। यह लगातार बढ़त जीसीसी द्वारा स्पेस इस्तेमाल में बढ़ोतरी और घरेलू फर्मों द्वारा लीजिंग एक्टिविटी से दर्ज की गई है। जीसीसी ने 2025 में टॉप सात शहरों में लगभग 20 मिलियन वर्गफुट का स्पेस लीज पर लिया है, जो कुल ऑफिस स्पेस की मांग का लगभग 40 प्रतिशत है। 2025 की तीसरी तिमाही में टॉप सात ऑफिस मार्केट में नई सप्लाई मजबूत रही, 16.6 मिलियन वर्गफुट की नई बिल्डिंग बनीं, जो सालाना आधार पर 15 प्रतिशत की वृद्धि है। पुणे में तिमाही में लगभग चार गुना वृद्धि के साथ 4.6 मिलियन वर्गफुट की नई बिल्डिंग बनीं, इसके बाद बेंगलुरु और दिल्ली-एनसीआर का स्थान रहा। 2025 के पहले नौ महीनों में कन्वेंशनल लीजिंग 41.7 मिलियन वर्ग फुट रही, जो मुख्य रूप से टेक्नोलॉजी और बीएफएसआई सेक्टर से थी। फ्लेक्स वर्कस्पेस एक्टिविटी के मामले में, बेंगलुरु, पुणे और चेन्नई ने मिलकर 2025 की तीसरी तिमाही में फ्लेक्सिबल स्पेस के इस्तेमाल का लगभग 66 प्रतिशत हिस्सा लिया। कोलियर्स इंडिया के नेशनल डायरेक्टर और रिसर्च हेड विमल नादर ने कहा कि कुल मिलाकर, भारत में आजाद वर्कप्लेस रणनीतियों और फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस को अपनाने की पसंद लगातार बढ़ रही है और 2025 तक यह कुल मांग का 20 प्रतिशत हो सकता है।


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