इंडिया एशिया-पैसिफिक रीजन का सबसे बड़ा फ्लेक्सिबल वर्कप्लेस मार्केट है, जिसके पास 2025 के सैकंड क्वार्टर तक टॉप 8 शहरों में 79.7 मिलियन वर्गफुट (एमएसएफ) का स्टॉक है। कुशमैन एंड वेकफील्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वर्ष के अंत तक यह स्टॉक 85 एमएसएफ तक पहुंचने और वर्ष 2026 तक 100 एमएसएफ को पार करने की उम्मीद है। इस वृद्धि के साथ-साथ डिमांड में भी तेजी आई है। रिपोर्ट के अनुसार, ऑक्यूपायर्स छोटे कमिटमेंट्स, मैनेज्ड सॉल्यूशन और स्पीड टू मार्केट रणनीतियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसलिए 2020 के बाद से फ्लेक्सिबल वर्कप्लेस की डिमांड लगभग छह गुना बढ़ गई है। अकेले 2024 में फ्लेक्सिबल स्पेस ने कुल नए ऑफिस लीजिंग का 15 प्रतिशत हिस्सा लिया, जो इसके मुख्यधारा में अपनाए जाने की पुष्टि करता है। ऑपरेटर विस्तार में भी तेजी आई है। 2022 से 2024 गत तीन वर्षों में, फ्लेक्सिबल वर्कप्लेस प्रोवाइडर्स ने 33.5 एमएसएफ लीज पर लिए, जो 5 लाख से अधिक सीटों के बराबर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एनुअल ऑपरेटर का टेक-अप केवल पांच वर्षों में तिगुना हो गया है, जो कि 2020 में 4.3 एमएसएफ से बढक़र 2024 में 15.4 एमएसएफ हो गया है, जिससे फ्लेक्सिबल वर्कप्लेस को एक अलटरनेट ऑप्शन के बजाय एक कोर वर्कप्लेस सॉल्यूशन के रूप में स्थापित किया गया है। फ्लेक्सिबिलिटी और एजिलिटी भारत में फ्लेक्स स्पेस स्टोरी को आगे बढ़ा रहे हैं और यह ट्रेंड और तेज होने वाला है क्योंकि कंपनियां सक्रिय रूप से बिजनेस रेडी ऑफिस की तलाश कर रही हैं ताकि जरूरत पडऩे पर कर्मचारियों की संख्या को तेजी से बढ़ाया या समायोजित किया जा सके। रिपोर्ट के अनुसार, इस स्टॉक का बड़ा हिस्सा टॉप 8 शहरों में केंद्रित है, जिसमें बेंगलुरु सबसे आगे है, जिसके पास नेशनल फ्लेक्स इन्वेंट्री का 30 प्रतिशत हिस्सा है, उसके बाद दिल्ली-एनसीआर, पुणे और हैदराबाद का स्थान है। बेंगलुरु भी डिमांड में सबसे आगे है, जो देश में वार्षिक उद्यम लेनदेन का औसतन एक-तिहाई हिस्सा है। इन प्रमुख महानगरों के अलावा, ऑक्यूपायर्स नए टैलेंट और कम परिचालन लागत का लाभ उठाने के लिए चंडीगढ़, जयपुर, कोच्चि, त्रिवेंद्रम, कोयंबटूर, विशाखापत्तनम और भुवनेश्वर जैसे टीयर-2 शहरों में तेजी से विस्तार कर रहे हैं। भारत अपने फ्लेक्सिबल वर्कप्लेस मार्केट की मजबूती और मैच्योरिटी के लिए जाना जाता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कुशमैन एंड वेकफील्ड के मैच्योरिटी इंडेक्स में पूरे 100 अंक प्राप्त करते हुए, भारत ने अपने ऑफिस मार्केट वाले वैश्विक प्रतिस्पर्धियों को पीछे छोड़ दिया है, जिनमें यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान तथा सिंगापुर शामिल हैं।