हैल्थ इन्श्योरेंस सेगमेंट में नया ट्रेंड देखने में आ रहा है। यंग जेनरेशन, मिड कॅरियर जेनरेशन डिजीज स्पेसिफिक पॉलिसीज ले रही हैं। 30 से 40 वर्ष की वर्तमान जेनरेशन विशेष रूप से डायबिटीज कवर ले रही है। इन्श्योरर्स के अनुसार विशेष बीमारी से सम्बंधित कवर लेने का मकसद साफ है। लोग स्पेसिफिक बीमारी होने की स्थिति में इन्श्योर्ड रहना चाहते हैं। आजकल आरामदेह जीवनशैली, तनाव और जंक फूड अपनाने के कारण लोगों में डायबिटीज और जीवनशैली जनित बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं। यंग प्रोफेशनल्स में लाइफस्टाइल रिलेटेड डिजीज ज्यादा देखने में आ रही है। फुल बॉडी हैल्थ कवर ज्यादा प्रीमियम देने पर मिलता है तो लोग प्रीमियम कॉस्ट में बचत करते हुए डिजीज स्पेसिफिक कवर ले रहे हैं। पहले ऐसे कवर अमूमन अवेलेबल नहीं होते थे, लेकिन अब ऐसी पॉलिसीज हैं। यूनीवर्सल सोम्पो जनरल इन्श्योरेंस के मैनेजिंग डायरेक्टर के अनुसार डायबिटीज यंग एडल्ट्स में काफी पापूलर हो रही है। इससे जुड़ी अनेक बीमारियां व्यक्ति को परेशान करने लगती हैं। आईटी इंडस्ट्री में कार्यरत एक प्रोफेशनल के अनुसार वे वर्कस्टेशन पर प्रतिदिन करीब 16 घंटे काम करते हैं। इनी बिजी लाइफस्टाइल के कारण डॉक्टर ने डायबिटीज पनपने के प्रति सचेत किया है। ऐसे में ऐसी पॉलिसी चुनी, जिसमें डायबिटीज कवर रहे। बजाज कैपीटल इन्श्योरेंस ब्रोकिंग के सीईओ ने कहा है कि इन्श्योरेंस लैंडस्केप में मीनिंगफुल शिफ्टिंग हो रही है। इसमें यंग जेनरेशन का बड़ा रोल बन रहा है। कंडीशन स्पेसिफिक हैल्थ कवर की लोकप्रियता इनकी वजह से ही ज्यादा बढ़ रही है। ईयर-ऑन-ईयर लेवल पर डायबिटीज रिलेटेड हैल्थ कवर की क्वेरी करीब 18-20 फीसदी बढ़ी है। फ्यूचर जैनराली इन्डिया इन्श्योरेंस कम्पनी के चीफ डिस्ट्रीब्यूशन ऑफिसर के अनुसार पूर्व की बात करें तो लोग जरूरत के हिसाब के अधिक आयु में स्वास्थ्य बीमा कवर लिया करते थे लेकिन आज यंग जेनरेशन कम उम्र में ही कवर ले लेती है। नॉन-कम्यूनिकेबल डिजीज कवर पर फोकस करती है। इसमें डायबिटीज, हाइपरटेंशन, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज आदि शामिल हैं। 25 से 35 वर्ष की आयु के लोग ज्यादा डिजिटल सेवी हैं। वे सीमलैस, पेपरलैस पॉलिसी चाहते हैं। हैल्थ रिस्क के अनुसार हैल्थ कवर चाहते हैं। जरूरत के अनुसार मोड्यूलर प्लान मार्केट में आये हैं। जनरल इन्श्यारेंस काउंसिल डेटा के अनुसार 2024-25 में हैल्थ सेगमेंट में ग्रोथ डेटा में गिरावट दर्ज की गई है। यह 8.98 प्रतिशत पर आ गया है। इससे पूर्व वर्ष में यह करीब 20.25 प्रतिशत था।