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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

13-12-2025

तुवर में लाभ मिलने की संभावना

  •  तुवर का स्टॉक छोटे कारोबारियों के निकल चुके हैं तथा सब्जियों के सीजन को देखकर आयातकों ने रंगून से सौदे कम किए हैं। दूसरी ओर रंगून में काफी माल निपट चुका है तथा आने वाली फसल वहां भी प्रभावित हुई है। अब वहां के कारोबारी भाव बढ़ाकर बोलने लगे हैं, इन परिस्थितियों में बाजार यहां से तेज लग रहा है। चालू माह के अंतराल तुवर दाल में आम उपभोक्ताओं को सस्ते भाव में उपलब्ध रही, लेकिन कारोबारियों को कच्चे माल में कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। इसका मुख्य कारण सस्ती मटर का आयात होना तथा बंदरगाहों पर भारी मात्रा में डंप होना ही रहा है। बिहार बंगाल उड़ीसा असम झारखंड मध्य प्रदेश एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश 80 प्रतिशत अरहर की दाल ही खाई जाती है, उसमें मटर की दाल आसानी से खप जाती है। यही कारण है कि 40 प्रतिशत मिक्सिंग का माल उक्त राज्यों में मंदे भाव के बिकने लगे, जिससे तुवर के उत्पादन व आयात दोनों ही कम होने के बावजूद भी पूरे माह मंदे का रुख बना रहा। पिछले दिनों सरकार द्वारा मटर पर 30 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया गया, जिससे कुछ बाजार भारतीय बंदरगाहों पर बढ़ गए हैं, इसका प्रभाव तूवर पर भी पडऩे लगा है तथा मटर का आयात भी पहले की अपेक्षा कम हो रहा है, इस वजह से तुवर का मंदा रुक गया है तथा पिछले एक महीने से एक-डेढ़ रुपए ऊपर नीचे भाव चल रहे हैं। गौरतलब है कि गत वर्ष इन दिनों लेमन तुवर 101 रुपए पिछली दिवाली पर बिकी थी, उसके भाव 70 रुपए रह गए। इसी तरह इसकी दाल भी 144/145 रुपए से घटकर 95/97 रुपए प्रति किलो थोक में रह गई, जबकि कटनी हाथरस लाइन की दाल मिलें यहां की अपेक्षा 8-10 रुपए सस्ता बेच रही थी। जिस कारण नरेला बवाना लॉरेंस रोड राई कुंडली आदि क्षेत्रों में लगी हुई दालें, मिलों को भी पड़ते से कम में माल बेचना पड़ा। पिछले दिनों की बरसात से फसल को नुकसान हुआ है। अत: अगले महीने तेजी के आसार हैं। हम मानते हैं कि चालू सीजन वाली रंगून में फसल बहुत ही बढिय़ा होने से वहां के निर्यातक लगातार बिकवाल घटाकर माल बेच गए थे, लेकिन इससे नीचे अब भाव कोड नहीं कर रहे हैं। अब आने वाली तूवर की फसल में पोल का अनुमान अभी से आने लगा है, इस वजह से 95/96 रुपए की तूर दाल को खरीदने में कोई रिस्क नहीं है तथा 69.5 रुपए की लेमन तुवर में तेजी लग रही है। सप्ताह सप्ताह चेन्नई में भी आयातक घटाकर बोलने लगे हैं, क्योंकि वहां 10-15 डॉलर प्रति टन की बढ़त लिए बोलने लगे हैं। गौरतलब है कि गत सीजन देश में तुवर का उत्पादन 52-53 लाख मीट्रिक टन हुआ था, जो इस बार अधिक बरसात से 47-48 लाख मैट्रिक टन रह जाने का ताजा अनुमान आ रहा है। हालांकि सरकार द्वारा उन्नतशील बीज, दालों पर आत्मनिर्भरता के लिए किसानों को वितरित किया जा रहा है, इन परिस्थितियों में तुवर के भाव एकदम एटपार आ चुके हैं, जिससे  आगे व्यापार में लाभ लग रहा है।

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तुवर में लाभ मिलने की संभावना

 तुवर का स्टॉक छोटे कारोबारियों के निकल चुके हैं तथा सब्जियों के सीजन को देखकर आयातकों ने रंगून से सौदे कम किए हैं। दूसरी ओर रंगून में काफी माल निपट चुका है तथा आने वाली फसल वहां भी प्रभावित हुई है। अब वहां के कारोबारी भाव बढ़ाकर बोलने लगे हैं, इन परिस्थितियों में बाजार यहां से तेज लग रहा है। चालू माह के अंतराल तुवर दाल में आम उपभोक्ताओं को सस्ते भाव में उपलब्ध रही, लेकिन कारोबारियों को कच्चे माल में कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। इसका मुख्य कारण सस्ती मटर का आयात होना तथा बंदरगाहों पर भारी मात्रा में डंप होना ही रहा है। बिहार बंगाल उड़ीसा असम झारखंड मध्य प्रदेश एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश 80 प्रतिशत अरहर की दाल ही खाई जाती है, उसमें मटर की दाल आसानी से खप जाती है। यही कारण है कि 40 प्रतिशत मिक्सिंग का माल उक्त राज्यों में मंदे भाव के बिकने लगे, जिससे तुवर के उत्पादन व आयात दोनों ही कम होने के बावजूद भी पूरे माह मंदे का रुख बना रहा। पिछले दिनों सरकार द्वारा मटर पर 30 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया गया, जिससे कुछ बाजार भारतीय बंदरगाहों पर बढ़ गए हैं, इसका प्रभाव तूवर पर भी पडऩे लगा है तथा मटर का आयात भी पहले की अपेक्षा कम हो रहा है, इस वजह से तुवर का मंदा रुक गया है तथा पिछले एक महीने से एक-डेढ़ रुपए ऊपर नीचे भाव चल रहे हैं। गौरतलब है कि गत वर्ष इन दिनों लेमन तुवर 101 रुपए पिछली दिवाली पर बिकी थी, उसके भाव 70 रुपए रह गए। इसी तरह इसकी दाल भी 144/145 रुपए से घटकर 95/97 रुपए प्रति किलो थोक में रह गई, जबकि कटनी हाथरस लाइन की दाल मिलें यहां की अपेक्षा 8-10 रुपए सस्ता बेच रही थी। जिस कारण नरेला बवाना लॉरेंस रोड राई कुंडली आदि क्षेत्रों में लगी हुई दालें, मिलों को भी पड़ते से कम में माल बेचना पड़ा। पिछले दिनों की बरसात से फसल को नुकसान हुआ है। अत: अगले महीने तेजी के आसार हैं। हम मानते हैं कि चालू सीजन वाली रंगून में फसल बहुत ही बढिय़ा होने से वहां के निर्यातक लगातार बिकवाल घटाकर माल बेच गए थे, लेकिन इससे नीचे अब भाव कोड नहीं कर रहे हैं। अब आने वाली तूवर की फसल में पोल का अनुमान अभी से आने लगा है, इस वजह से 95/96 रुपए की तूर दाल को खरीदने में कोई रिस्क नहीं है तथा 69.5 रुपए की लेमन तुवर में तेजी लग रही है। सप्ताह सप्ताह चेन्नई में भी आयातक घटाकर बोलने लगे हैं, क्योंकि वहां 10-15 डॉलर प्रति टन की बढ़त लिए बोलने लगे हैं। गौरतलब है कि गत सीजन देश में तुवर का उत्पादन 52-53 लाख मीट्रिक टन हुआ था, जो इस बार अधिक बरसात से 47-48 लाख मैट्रिक टन रह जाने का ताजा अनुमान आ रहा है। हालांकि सरकार द्वारा उन्नतशील बीज, दालों पर आत्मनिर्भरता के लिए किसानों को वितरित किया जा रहा है, इन परिस्थितियों में तुवर के भाव एकदम एटपार आ चुके हैं, जिससे  आगे व्यापार में लाभ लग रहा है।


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