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20-08-2025

साउथ में बरसात से हल्दी की फसल को नुकसान का खतरा

  •  हल्दी की बिजाई पूरे साउथ में समाप्त हो चुकी है तथा बोई हुई फसल को लगातार बरसात से नुकसान होने का खतरा बढ़ गया है। इसकी नई फसल आने में अभी 8 महीने बाद आएगी, लेकिन सटोरिये वायदा बाजार में थोड़ी बिकवाली करके बाजार को तोड़ते जा रहे हैं, इसमें बड़े सटोरियों की मोनोपोली चल रही है है। इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए नई फसल से पहले कारोबारियों भरपूर लाभ मिल जाएगा। हल्दी की बिजाई आंध्र प्रदेश तेलंगाना तमिलनाडु महाराष्ट्र आदि सभी उत्पादक राज्यों में पूरी हो चुकी है तथा गत वर्ष की अपेक्षा कहीं भी बिजाई अधिक नहीं हुई है। दूसरी ओर उक्त राज्यों में लगातार बरसात होने से फसल को खतरा पैदा हो गया है। हालांकि मार्च से लेकर अब तक कई बार 15/20 रुपए प्रति किलो भाव ऊपर नीचे होते रहे हैं। बाजार तेज होते ही डिब्बे में सटोरिये बिकवाली करके बाजार को पटक देते थे, क्योंकि डिब्बे की मोनोपोली चल रही है। सूखी हल्दी मार्च से शुरू होती है, जबकि गीला माल फरवरी में ही निकलने लगता है। इसकी बिजाई जुलाई माह में लगभग पूरी हो गई है, बड़े सटोरिए जो अगस्त तक की हल्दी मंदे में काफी बेच चुके हैं, उनकी बिकवाली चल रही है, जिससे हल्दी वर्ष 2025 की टूटकर 132/133 रुपए प्रति किलो रह गई है, पुराने माल स्टॉक में ज्यादा नहीं है। हल्दी के लिए दो-चार गाड़ी माल कोई मायने नहीं रखता है। कुछ लोग बिजाई अधिक होने की अफवाह उड़ा रहे हैं, जबकि हल्दी के उत्पादक क्षेत्रों में मक्की की बिजाई अधिक बताई जा रही है, इसलिए केवल बाजार तोडऩे के लिए बिजाई अधिक दर्शाया जा रहा है। हल्दी का स्टॉक किसी भी मंडी में ज्यादा नहीं है, केवल रुपए की तंगी होने तथा ऊंचे भाव में फंसे हुए कारोबारी की घबराहट पूर्ण बिकवाली से ये भाव दिखाई दे रहे हैं, अन्यथा बाजार 150 रुपए को पार कर जाते। बाजारों में ग्राहकी का सन्नाटा है, जब भी बड़े सटोरियों की डिलीवरी पूरी हो जाएगी, हल्दी ढूंढने से नहीं मिलेगी तथा जो हल्दी 132/133 रुपए बोल रहे हैं, यह फसल आने से पहले 180 रुपए या इससे भी ऊपर बिक सकती है। गौरतलब है कि बीते सीजन में नई पुरानी मिलाकर कुल उपलब्धि अधिक से अधिक 70-75 लाख बोरी के करीब थी, जबकि हमारी खपत 120-125 लाख बोरी से अधिक है, इन परिस्थितियों में हल्दी का किसी भी मंडी में प्रेशर नहीं है, केवल सट्टेबाजी के चलते बाजार सुचारू रूप से नहीं चल पा रहे हैं। ऐसा देखने में आता है कि ज्यों ही बाजार थोड़ा बढ़त पर चलता है, उसी समय डिब्बा मंदा आगे का दिखा देता है तथा कोई भी जिंस डिब्बे में आने पर या तो तिगुनी बिक जाएगी,या 40 प्रतिशत रह जाएगी, यह वायदा बाजार दोनों तरह का काम करता है, इन परिस्थितियों में वर्तमान भाव पर घबराने की बिलकुल जरुरत नहीं है।

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साउथ में बरसात से हल्दी की फसल को नुकसान का खतरा

 हल्दी की बिजाई पूरे साउथ में समाप्त हो चुकी है तथा बोई हुई फसल को लगातार बरसात से नुकसान होने का खतरा बढ़ गया है। इसकी नई फसल आने में अभी 8 महीने बाद आएगी, लेकिन सटोरिये वायदा बाजार में थोड़ी बिकवाली करके बाजार को तोड़ते जा रहे हैं, इसमें बड़े सटोरियों की मोनोपोली चल रही है है। इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए नई फसल से पहले कारोबारियों भरपूर लाभ मिल जाएगा। हल्दी की बिजाई आंध्र प्रदेश तेलंगाना तमिलनाडु महाराष्ट्र आदि सभी उत्पादक राज्यों में पूरी हो चुकी है तथा गत वर्ष की अपेक्षा कहीं भी बिजाई अधिक नहीं हुई है। दूसरी ओर उक्त राज्यों में लगातार बरसात होने से फसल को खतरा पैदा हो गया है। हालांकि मार्च से लेकर अब तक कई बार 15/20 रुपए प्रति किलो भाव ऊपर नीचे होते रहे हैं। बाजार तेज होते ही डिब्बे में सटोरिये बिकवाली करके बाजार को पटक देते थे, क्योंकि डिब्बे की मोनोपोली चल रही है। सूखी हल्दी मार्च से शुरू होती है, जबकि गीला माल फरवरी में ही निकलने लगता है। इसकी बिजाई जुलाई माह में लगभग पूरी हो गई है, बड़े सटोरिए जो अगस्त तक की हल्दी मंदे में काफी बेच चुके हैं, उनकी बिकवाली चल रही है, जिससे हल्दी वर्ष 2025 की टूटकर 132/133 रुपए प्रति किलो रह गई है, पुराने माल स्टॉक में ज्यादा नहीं है। हल्दी के लिए दो-चार गाड़ी माल कोई मायने नहीं रखता है। कुछ लोग बिजाई अधिक होने की अफवाह उड़ा रहे हैं, जबकि हल्दी के उत्पादक क्षेत्रों में मक्की की बिजाई अधिक बताई जा रही है, इसलिए केवल बाजार तोडऩे के लिए बिजाई अधिक दर्शाया जा रहा है। हल्दी का स्टॉक किसी भी मंडी में ज्यादा नहीं है, केवल रुपए की तंगी होने तथा ऊंचे भाव में फंसे हुए कारोबारी की घबराहट पूर्ण बिकवाली से ये भाव दिखाई दे रहे हैं, अन्यथा बाजार 150 रुपए को पार कर जाते। बाजारों में ग्राहकी का सन्नाटा है, जब भी बड़े सटोरियों की डिलीवरी पूरी हो जाएगी, हल्दी ढूंढने से नहीं मिलेगी तथा जो हल्दी 132/133 रुपए बोल रहे हैं, यह फसल आने से पहले 180 रुपए या इससे भी ऊपर बिक सकती है। गौरतलब है कि बीते सीजन में नई पुरानी मिलाकर कुल उपलब्धि अधिक से अधिक 70-75 लाख बोरी के करीब थी, जबकि हमारी खपत 120-125 लाख बोरी से अधिक है, इन परिस्थितियों में हल्दी का किसी भी मंडी में प्रेशर नहीं है, केवल सट्टेबाजी के चलते बाजार सुचारू रूप से नहीं चल पा रहे हैं। ऐसा देखने में आता है कि ज्यों ही बाजार थोड़ा बढ़त पर चलता है, उसी समय डिब्बा मंदा आगे का दिखा देता है तथा कोई भी जिंस डिब्बे में आने पर या तो तिगुनी बिक जाएगी,या 40 प्रतिशत रह जाएगी, यह वायदा बाजार दोनों तरह का काम करता है, इन परिस्थितियों में वर्तमान भाव पर घबराने की बिलकुल जरुरत नहीं है।


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