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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

09-08-2025

उत्पादन अधिक होने से तुवर में लंबी तेजी की उम्मीद नहीं

  •  बिजाई अधिक होने एवं मौसम अनुकूल होने से इस बार यहां तुवर की फसल अधिक आई है। हम मानते हैं कि दिल्ली से बाहर की दाल मिलों में दाल के भाव सस्ते चल रहे हैं, जिससे यहां बिक्री प्रभावित हुई है। इन सब के बावजूद भी चेन्नई से अब इससे नीचे का पड़ता नहीं लग रहा है तथा बर्मा वाले भी रुक-रुक करके भाव मजबूत बोल रहे हैं, लेकिन मटर की मिक्सिंग होने एवं हाथरस कटनी लाइन में तुवर के भाव नीचे होने से इस बार लंबी तेजी  की संभावना नहीं है। गत एक माह के अंतराल नीचे में 6550 रुपए तुवर बिकने के बाद दाल मिलों की पकड़ मजबूत होने से यह बढक़र 6800 रुपए बन गई थी, लेकिन बढ़े भाव में ग्राहकी अनुकूल नहीं होने तथा स्टॉक के माल निकलने से बाजार दोबारा 6650 रुपए लेमन क्वालिटी का रह गया है। अब यहां से ज्यादा घट बढ़ नहीं लग रहा है तथा लंबी तेजी का तो व्यापार बिल्कुल नहीं करना चाहिए। गौरतलब है कि तुवर के बिजाई महाराष्ट्र कर्नाटक दोनों ही राज्यों में किसानों ने अधिक किया था, क्योंकि गत वर्ष तुवर के ऊंचे भाव थे। उससे पहले वर्ष 2023 में भी काफी महंगी बिकी है, इस वजह से इस बार उत्पादन अधिक हुआ है। इसके अलावा गत फरवरी-मार्च में आई हुई रंगून में फसल बहुत ही बढिय़ा होने से वहां के निर्यातक लगातार बिकवाल घटाकर माल बेच गए थे। यही कारण है कि दाल की खपत का समय होने के बावजूद भी पिछले माह माह से लगातार मंदे का दौर बना हुआ है। यहां लेमन तुवर की दाल, जो जून के प्रथम सप्ताह में 95/96 रुपए प्रति किलो बिकी थी, उसके भाव पिछले माह के शुरू में 90/91 प्रति किलो देख आई है, उसके भाव 92/93 बोलने लगे हैं। वहीं दूसरी तरफ लेमन तुवर 68 रुपए उस समय बिकी थी, इसमें  स्टॉकिस्टों  एवं सटोरियों की बिकवाली से घटकर 67 रुपए बनने के बाद रह गई है। केवल दाल की बिक्री कमजोर होने से भाव घटे थे, क्योंकि हाथरस की दाल काफी नीचे बिक रही है, जिस कारण नरेला बवाना लॉरेंस रोड नया बाजार से दाल की बिक्री काफी ठंडी पड़ जाने से कच्चे माल के भाव बढऩे के बावजूद पक्के माल का लगातार बाजार टूटता जा रहा था। अब चेन्नई में भी आयातक बढ़ा कर बोलने लगे हैं, क्योंकि वहां 10-15 डॉलर प्रति टन की बढ़त लिए बाजार बंद हुए हैं। गौरतलब है कि गत वर्ष देश में तुवर का उत्पादन 34-35 लाख मीट्रिक टन हुआ था, जो इस बार 52-53 लाख मैट्रिक टन होने का ताजा अनुमान आ रहा है तथा अगली फसल और भी बढिय़ा बिजाई होने की खबरें आ रही है, क्योंकि सरकार द्वारा उन्नतशील बीज, दालों पर आत्मनिर्भरता के लिए किसानों को वितरित किया जा रहा है, इन परिस्थितियों में तुवर में ज्यादा तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए, लेकिन भाव एकदम एटपार आ चुके हैं, जिससे यहां से घटने की भी गुंजाइश नहीं है। बर्मा में तुवर के भाव एक महीने के अंतराल 720 डॉलर से बढक़र 740 डॉलर बनने के बाद अब 735 डॉलर प्रति टन बोल रहे हैं। इधर मोजांबिक एवं मालावी तुवर के पड़ते अब नहीं लग रहे हैं। अत: अब व्यापार करना चाहिए।

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उत्पादन अधिक होने से तुवर में लंबी तेजी की उम्मीद नहीं

 बिजाई अधिक होने एवं मौसम अनुकूल होने से इस बार यहां तुवर की फसल अधिक आई है। हम मानते हैं कि दिल्ली से बाहर की दाल मिलों में दाल के भाव सस्ते चल रहे हैं, जिससे यहां बिक्री प्रभावित हुई है। इन सब के बावजूद भी चेन्नई से अब इससे नीचे का पड़ता नहीं लग रहा है तथा बर्मा वाले भी रुक-रुक करके भाव मजबूत बोल रहे हैं, लेकिन मटर की मिक्सिंग होने एवं हाथरस कटनी लाइन में तुवर के भाव नीचे होने से इस बार लंबी तेजी  की संभावना नहीं है। गत एक माह के अंतराल नीचे में 6550 रुपए तुवर बिकने के बाद दाल मिलों की पकड़ मजबूत होने से यह बढक़र 6800 रुपए बन गई थी, लेकिन बढ़े भाव में ग्राहकी अनुकूल नहीं होने तथा स्टॉक के माल निकलने से बाजार दोबारा 6650 रुपए लेमन क्वालिटी का रह गया है। अब यहां से ज्यादा घट बढ़ नहीं लग रहा है तथा लंबी तेजी का तो व्यापार बिल्कुल नहीं करना चाहिए। गौरतलब है कि तुवर के बिजाई महाराष्ट्र कर्नाटक दोनों ही राज्यों में किसानों ने अधिक किया था, क्योंकि गत वर्ष तुवर के ऊंचे भाव थे। उससे पहले वर्ष 2023 में भी काफी महंगी बिकी है, इस वजह से इस बार उत्पादन अधिक हुआ है। इसके अलावा गत फरवरी-मार्च में आई हुई रंगून में फसल बहुत ही बढिय़ा होने से वहां के निर्यातक लगातार बिकवाल घटाकर माल बेच गए थे। यही कारण है कि दाल की खपत का समय होने के बावजूद भी पिछले माह माह से लगातार मंदे का दौर बना हुआ है। यहां लेमन तुवर की दाल, जो जून के प्रथम सप्ताह में 95/96 रुपए प्रति किलो बिकी थी, उसके भाव पिछले माह के शुरू में 90/91 प्रति किलो देख आई है, उसके भाव 92/93 बोलने लगे हैं। वहीं दूसरी तरफ लेमन तुवर 68 रुपए उस समय बिकी थी, इसमें  स्टॉकिस्टों  एवं सटोरियों की बिकवाली से घटकर 67 रुपए बनने के बाद रह गई है। केवल दाल की बिक्री कमजोर होने से भाव घटे थे, क्योंकि हाथरस की दाल काफी नीचे बिक रही है, जिस कारण नरेला बवाना लॉरेंस रोड नया बाजार से दाल की बिक्री काफी ठंडी पड़ जाने से कच्चे माल के भाव बढऩे के बावजूद पक्के माल का लगातार बाजार टूटता जा रहा था। अब चेन्नई में भी आयातक बढ़ा कर बोलने लगे हैं, क्योंकि वहां 10-15 डॉलर प्रति टन की बढ़त लिए बाजार बंद हुए हैं। गौरतलब है कि गत वर्ष देश में तुवर का उत्पादन 34-35 लाख मीट्रिक टन हुआ था, जो इस बार 52-53 लाख मैट्रिक टन होने का ताजा अनुमान आ रहा है तथा अगली फसल और भी बढिय़ा बिजाई होने की खबरें आ रही है, क्योंकि सरकार द्वारा उन्नतशील बीज, दालों पर आत्मनिर्भरता के लिए किसानों को वितरित किया जा रहा है, इन परिस्थितियों में तुवर में ज्यादा तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए, लेकिन भाव एकदम एटपार आ चुके हैं, जिससे यहां से घटने की भी गुंजाइश नहीं है। बर्मा में तुवर के भाव एक महीने के अंतराल 720 डॉलर से बढक़र 740 डॉलर बनने के बाद अब 735 डॉलर प्रति टन बोल रहे हैं। इधर मोजांबिक एवं मालावी तुवर के पड़ते अब नहीं लग रहे हैं। अत: अब व्यापार करना चाहिए।


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