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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

09-07-2025

काबुली चने में ग्राहकी निकलते ही अच्छी तेजी की संभावना

  •  वर्तमान में काबली चना ही नहीं, देश की किसी भी मार्केट में कोई भी जिंस नहीं चल पा रहा है। बाजारों में व्यापार ही नहीं है, इस वजह से वर्तमान वाले भाव निचले स्तर पर दिखाई दे रहे हैं। ग्राहकी नहीं होने से स्टॉक भी सबके पास अधिक महसूस हो रहा है, ग्राहकी निकलते ही माल मिलना मुश्किल हो जाएगा, ऐसा सामान्य बात है। दूसरी बात अंतरराष्ट्रीय बाजार ऊंचे हैं तथा काबुली चने की नई फसल निकट में कोई आने वाली नहीं है, इन परिस्थितियों में भविष्य में 10 रुपए किलो की तेजी कम से कम दिखाई दे रही है।  यद्यपि ऐसा देखा जाता है कि किसी भी जिंस का ग्राहक  नहीं होने पर चौतरफा स्टॉक दिखाई देने लगता है, वर्तमान में वही स्थिति काबुली चने में बनी हुई है। काबुली चने की फसल आए 6 महीने हो चुके हैं। हम मानते हैं कि उत्पादन 30-31 लाख मैट्रिक टन के करीब हुआ था, जो गत वर्ष के लगभग बराबर रहा, लेकिन इस बार अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव हैं, पिछले दो महीने से निर्यात अनुकूल नहीं है तथा घरेलू मांग बहुत ही कम होने से बाजार लुढक़ कर पानी पानी हो गया था, काबुली चना महाराष्ट्र का बिना छना हुआ नीचे में 58/59 रुपए प्रति किलो पिछले महीने  बन गया था, तत्पश्चात एक सप्ताह से 67/68 रुपए प्रति किलो बनने के बाद टिके हुए हैं। गौरतलाप है कि ग्राहकी का बाजारों में पूरी तरह सन्नाटा चलने के बावजूद यहां से मंदा नहीं हो रहा है, कर्नाटक के माल भी कोई लंबे चौड़े नहीं है, जो भी माल है, इस बार दिल्ली सहित बड़ी वितरक मंडियों में ही है, इसलिए मध्य प्रदेश वाले सटोरिए भी हवाबाजी नहीं कर रहे हैं। गत वर्ष अगस्त के महीने में निर्यात की हवाबाजी करके महाराष्ट्र का बिना छना चना 114 रुपए बिकवा दिए थे, उसके भाव आज 68 रुपए का भाव है। इस बार समीकरण दूसरा है। बुल्गारिया में ऊंचे भाव चल रहे हैं, जॉर्डन तुर्की एवं सीरिया में भी ज्यादा माल नहीं है, ईरान पहले से ही परेशान है, कनाडा में भी मीडियम माल जो आता था, वह ज्यादा नहीं है। इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए जब भी ग्राहकी निकलेगी, यहां से बाजार कम से कम 10 रुपए प्रति किलो बढ़ जाएगा। अभी तेजी की बात कहना कारोबारी वर्ग के गले से नहीं उतरेगी, क्योंकि दुकानों पर कोई भाव पूछने तक नहीं आ रहा है, लेकिन कुछ दिन धैर्य रखने की जरूरत है, काबुली चना चलने वाला ही है। इसकी बिजाई कनाडा में कम हुई है, इसके अलावा घरेलू बिजाई भी काबुली चना एवं मटर दोनों की बहुत ही कम रहने वाली है।

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काबुली चने में ग्राहकी निकलते ही अच्छी तेजी की संभावना

 वर्तमान में काबली चना ही नहीं, देश की किसी भी मार्केट में कोई भी जिंस नहीं चल पा रहा है। बाजारों में व्यापार ही नहीं है, इस वजह से वर्तमान वाले भाव निचले स्तर पर दिखाई दे रहे हैं। ग्राहकी नहीं होने से स्टॉक भी सबके पास अधिक महसूस हो रहा है, ग्राहकी निकलते ही माल मिलना मुश्किल हो जाएगा, ऐसा सामान्य बात है। दूसरी बात अंतरराष्ट्रीय बाजार ऊंचे हैं तथा काबुली चने की नई फसल निकट में कोई आने वाली नहीं है, इन परिस्थितियों में भविष्य में 10 रुपए किलो की तेजी कम से कम दिखाई दे रही है।  यद्यपि ऐसा देखा जाता है कि किसी भी जिंस का ग्राहक  नहीं होने पर चौतरफा स्टॉक दिखाई देने लगता है, वर्तमान में वही स्थिति काबुली चने में बनी हुई है। काबुली चने की फसल आए 6 महीने हो चुके हैं। हम मानते हैं कि उत्पादन 30-31 लाख मैट्रिक टन के करीब हुआ था, जो गत वर्ष के लगभग बराबर रहा, लेकिन इस बार अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव हैं, पिछले दो महीने से निर्यात अनुकूल नहीं है तथा घरेलू मांग बहुत ही कम होने से बाजार लुढक़ कर पानी पानी हो गया था, काबुली चना महाराष्ट्र का बिना छना हुआ नीचे में 58/59 रुपए प्रति किलो पिछले महीने  बन गया था, तत्पश्चात एक सप्ताह से 67/68 रुपए प्रति किलो बनने के बाद टिके हुए हैं। गौरतलाप है कि ग्राहकी का बाजारों में पूरी तरह सन्नाटा चलने के बावजूद यहां से मंदा नहीं हो रहा है, कर्नाटक के माल भी कोई लंबे चौड़े नहीं है, जो भी माल है, इस बार दिल्ली सहित बड़ी वितरक मंडियों में ही है, इसलिए मध्य प्रदेश वाले सटोरिए भी हवाबाजी नहीं कर रहे हैं। गत वर्ष अगस्त के महीने में निर्यात की हवाबाजी करके महाराष्ट्र का बिना छना चना 114 रुपए बिकवा दिए थे, उसके भाव आज 68 रुपए का भाव है। इस बार समीकरण दूसरा है। बुल्गारिया में ऊंचे भाव चल रहे हैं, जॉर्डन तुर्की एवं सीरिया में भी ज्यादा माल नहीं है, ईरान पहले से ही परेशान है, कनाडा में भी मीडियम माल जो आता था, वह ज्यादा नहीं है। इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए जब भी ग्राहकी निकलेगी, यहां से बाजार कम से कम 10 रुपए प्रति किलो बढ़ जाएगा। अभी तेजी की बात कहना कारोबारी वर्ग के गले से नहीं उतरेगी, क्योंकि दुकानों पर कोई भाव पूछने तक नहीं आ रहा है, लेकिन कुछ दिन धैर्य रखने की जरूरत है, काबुली चना चलने वाला ही है। इसकी बिजाई कनाडा में कम हुई है, इसके अलावा घरेलू बिजाई भी काबुली चना एवं मटर दोनों की बहुत ही कम रहने वाली है।


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