रुपया 90 प्रति डॉलर के स्तर पर फिसलने से ऑटोमोबाइल कंपनियों पर लागत का दबाव बढ़ जाएगा। दबाव उन कंपनियों पर ज्यादा होगा जो पूरी तरह से इंपोर्टेड कार बेचती हैं या फिर बड़ी तादाद में कंपोनेंट्स इंपोर्ट करती हैं। चूंकि डॉलर के मुकाबले रुपया सस्ता होने से इंपोर्टेड वेहीकल्स और कंपोनेंट महंगे जाएंगे ऐसे में चर्चा है कि मास मार्केट से लेकर लक्जरी कार कंपनियां तक जनवरी में प्राइस बढ़ाने के प्लान पर काम कर रही हैं। हालांकि चर्चा यह भी कि जीएसटी कट के बाद सरकार की एंटी प्रोफिटियरिंग एजेंसी लगातार निगरानी कर रही हैं ऐसे में कह सकते हैं कंपनियां कुछ दिन और इंतजार कर सकेंगी। गिरता हुआ रुपया मर्सिडीज-बेंज, बीएमडब्ल्यू, ऑडी, जेएलआर, टेस्ला और वोल्वो जैसी इंपोर्टेड और इंपोर्ट पर निर्भर लक्जरी कार कंपनियों के लिए बड़ा चैलेंज बनकर सामने आया है। हालांकि सभी कंपनियां इंपोर्ट के लिए अमेरिकी डॉलर का उपयोग नहीं करतीं, फिर भी लक्जरी कार ब्रांड्स द्वारा उपयोग की जाने वाली अन्य प्रमुख मुद्राओं—यूरो और पाउंड स्टर्लिंग के मुकाबले भी रुपया कमजोर हुआ है। रुपया चीनी युआन के मुकाबले भी गिरा है, जिससे उन कंपनियों की लागत और बढऩे वाली है जो ईवी की बैटरी सेल और रेयर-अर्थ मैग्नेट्स पर निर्भर हैं। चीन भारत के ऑटो उद्योग के लिए इन दोनों महत्वपूर्ण इनपुट का बड़ा सप्लायर है। भारत ईवी बैटरी सेल और रेयर-अर्थ मैग्नेट्स की लगभग डिमांड इंपोर्ट से पूरी करता है। इसलिए रुपये में गिरावट ईवी कंपनियों को कीमत बढ़ाने के लिए मजबूर कर सकती है। चीन की सबसे बड़ी ईवी निर्माता बीवाईडी जनवरी 2026 में भारत में सीलायन 7 ईवी की प्राइस बढ़ाएगी। हालांकि, रुपये का यह कमजोर पडऩा बजाज ऑटो और मारुति सुजुकी सहित कई अन्य एक्सपोर्टिंग कंपनियों के लिए खुशखबरी भी है। बजाज ऑटो की घरेलू बिक्री अप्रैल-नवंबर 2025 में 4 परसेंट गिरकर 19.3 लाख यूनिट रही, लेकिन इसी अवधि में कंपनी का एक्सपोर्ट 19 परसेंट बढक़र 14.3 लाख यूनिट्स रहा। इसी तरह मारुति सुजुकी की भी घरेलू बिक्री अप्रैल-नवंबर 2025 के दौरान लगभग स्थिर रही और 11.6 लाख यूनिट पर टिकी रही। लेकिन इसकी एक्सपोर्ट सेल्स 36 परसेंट उछलकर लगभग 2.85 लाख यूनिट पहुंच गई। सियाम के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-अक्टूबर 2025 के दौरान भारत से दोपहिया का एक्सपोर्ट 24 परसेंट बढक़र 28.6 लाख यूनिट हो गया। इस दौरान पैसेंजर वेहीकल्स का कुल एक्सपोर्ट 17 परसेंट बढक़ार 5.15 लाख यूनिट पर पहुंच गया। अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, पश्चिम एशिया और आसियान देशों को भारत से ऑटोमोबाइल का बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट होता है।
