खनन क्षेत्र के दिग्गज कारोबारी अनिल अग्रवाल के वेदांता समूह के खिलाफ अमेरिका स्थित वायसराय रिसर्च ने आरोप लगाया है कि समूह की सेमीकंडक्टर इकाई ‘नकली जिंस कारोबार परिचालन’ से जुड़ी थी, जिसे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में वर्गीकरण से बचने के लिए बनाया गया था। वेदांता समूह ने इस आरोप को निराधार बताते हुए खारिज किया है। अमेरिकी शॉर्ट सेलर वायसराय रिसर्च ने पिछले हफ्ते वेदांता समूह के बारे में एक तीखी रिपोर्ट प्रकाशित की थी और उसके बाद समूह की कंपनियों पर इसी तरह की अन्य रिपोर्ट प्रकाशित कीं। ताजा आरोपों में कहा गया है कि वेदांता लिमिटेड की अनुषंगी कंपनी वेदांता सेमीकंडक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड, इस साल अप्रैल में मूल कंपनी वेदांता रिसोर्सेज को ब्रांड शुल्क भेजने की योजना का हिस्सा थी, जब उसे गंभीर नकदी संकट का सामना करना पड़ा था। वेदांता के प्रवक्ता ने बयान में कहा कि समूह ‘वेदांता सेमीकंडक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड (वीएसपीएल) के बारे में रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों को दृढ़ता से खारिज करता है।’उन्होंने कहा, वीएसपीएल की सभी व्यावसायिक गतिविधियों का पारदर्शी रूप से खुलासा किया गया है और वे वैधानिक मानदंडों के अनुरूप हैं। वायसराय ने कहा, वीएसपीएल एक फर्जी जिंस कारोबार परिचालन है, जिसे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में वर्गीकरण से अनुचित तरीके से बचने के लिए बनाया गया है। वायसराय ने आगे कहा, यह योजना वेदांता लिमिटेड द्वारा ब्रांड शुल्क को अप्रैल, 2025 में वेदांता रिसोर्सेज (वीआरएल) को भेजने के लिए तैयार की गई थी, जब उसे गंभीर नकदी संकट का सामना करना पड़ा था। आरोपों में आगे कहा गया, वीएसपीएल को अपना मकसद पूरा करने के लिए 24 महीनों की नियामकीय चुप्पी की जरूरत थी... क्रेडिट विश्लेषक खतरे की घंटी के बीच सो रहे हैं, और भारत के नियामक भी हमेशा की तरह हल्की नींद में हैं। वेदांता लिमिटेड (वीईडीएल) को अप्रैल, 2024 में गंभीर नकदी संकट का सामना करना पड़ा था।
वायसराय ने आरोप लगाया, ऐसे में वीईडीएल ने वीएसपीएल को एक सेमीकंडक्टर उद्यम के रूप में नहीं, बल्कि एक शून्य मार्जिन वाली व्यापारिक इकाई के रूप में पुन: सक्रिय किया, जिसका संचालन पूरी तरह से कागज आधारित जिंस कारोबार में ही प्रतीत होता है। वायसराय ने आरोप लगाया, वीएसपीएल ने अल्पकालिक, भारतीय रुपया मूल्य वर्ग के 10 प्रतिशत एनसीडी के लिए विदेशी ऋणदाताओं से संपर्क किया, जो एनजेडएल में वीईडीएल की हिस्सेदारी (बकाया शेयरों के एक प्रतिशत के बराबर) से सुरक्षित थे। इसके बाद वीएसपीएल ने शून्य मार्जिन आधार पर जिंस (तांबा, चांदी, सोना) का व्यापार शुरू किया, जो ‘वॉश ट्रेडिंग’ की याद दिलाता है। वॉश ट्रेडिंग फर्जी तरह से कारोबार की मात्रा दिखाकर बाजार को गुमराह करने की कोशिश है। अमेरिकी शॉर्ट-सेलर ने आरोप लगाया, वीएसपीएल को संभवत: वित्त वर्ष 2026-27 तक ये दिखावटी काम जारी रखने होंगे, जब ऋण की समयसीमा समाप्त हो जाएगी और पुनर्भुगतान इसके माध्यम से ही करना होगा। अगर किसी भी समय नियामक वीएसपीएल में हस्तक्षेप करते हैं, तो ऋणदाता समूह का पूरी तरह से सफाया हो सकता है। वेदांता के प्रवक्ता ने बयान में कहा, वीएसपीएल और वेदांता लिमिटेड के बीच ऋण लागू कानूनों और कॉरपोरेट प्रशासन मानकों का पूरी तरह पालन करते हुए निष्पादित किए गए थे।वेदांता लिमिटेड और वीएसपीएल दोनों ने वैधानिक मानदंडों के अनुरूप लगातार सटीक ऋण शर्तें, ब्याज दरें और गिरवी की सूचना दी है।''