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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

05-06-2017

बड़ी इलायची में लम्बी तेजी नहीं

  •  नई दिल्ली। रमजान का महीना होने के बाद भी यहां लिवाली कमजोर पडऩे से बड़ी इलायची हाल ही में थोड़ी मंदी हुई है। हाजिर में स्टॉक कमजोर होने तथा उत्पादक क्षेत्रों में कीमत तुलनात्मक रूप से ऊंची होने से बाजार की आंतरिक धारणा मजबूती की है लेकिन लम्बी तेजी के आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं। रमजान का महीना चल रहा है। माना जाता है कि आमतौर पर रमजान के दौरान बड़ी इलायची की खपत बढ़ जाती है। इसके बाद भी स्थानीय थोक किराना बाजार में बड़ी इलायची झुंडीवाली हाल यह 20/25 रुपए मंदी होकर फिलहाल 710/715 रुपए के स्तर पर बनी हुई है। बड़ी इलायची में मंदी आने के दो प्रमुख कारण हैं। पहला और प्रमुख कारण यह है कि आगामी एक जुलाई से देश में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू हो रहा है। जीएसटी में अधिकतर किराना जिंसों को 5 प्रतिशत कर श्रेणी में रखा गया है। दूसरा कारण यह है कि इस बार बड़ी इलायची की बिक्री सामान्य से कमजोर बनी होने के कारण स्टॉकिस्टों ने इसका स्टॉक काफी कम मात्रा में किया है। दूसरी ओर, उत्पादकों की बिकवाली सीमित बनी होने से नेपाल में बड़ी इलायची हाल ही में तेज हुई है। नेपाल से आयातित कैंचीकट बड़ी इलायची का आयात पड़ता फिलहाल 760 रुपए तथा झुंडीवाली का 710 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास बताया जा रहा है। दूसरा कारण यह है कि नीलामियों में बड़ी इलायची मंदी होकर 625/860 रुपए प्रति किलोग्राम पर बनी हुई है। ब्याह-शादियों का सीजन होने के बाद भी उठाव सुस्त ही बना हुआ है। उधर, सिक्किम और असम में बड़ी इलायची कैंचीकट की कीमत 760 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास बनी होने की जानकारी मिली। यह भाव राजधानी दिल्ली स्थित थोक किराना बाजार की प्रचलित कीमत के आसपास ही है। अत: उत्पादक राज्यों में लिवाली कमजोर पड़ गई है। आगामी अगस्त माह में आने वाली बड़ी इलायची की पहली फसल अभी से सामान्य आने के अनुमान व्यक्त किए जाने लगे हैं। भारत, नेपाल और भूटान जैसे बड़ी इलायची के प्रमुख उत्पादक देशों में मौसमी परिस्थितियां लगभग एक जैसी ही हैं। इसकी वजह से वहां भी बड़ी इलायची के उत्पादन बढऩे की सम्भावनाएं जताई जा रही हैं। व्यापारिक अनुमानों पर यदि विश्वास किया जाए तो नए सीजन में बड़ी इलायची का उत्पादन बढ़ सकता है। दूसरी ओर, रुपए की तुलना में अमेरिकी डॉलर मजबूत बना हुआ है। बीते सीजन में उत्पादन घटने तथा निर्यात अच्छा होने से इसका बकाया स्टॉक सामान्य की तुलना में काफी कम बचा है।  कीमतों में मंदी आने से वित्त वर्ष 2016-17 आरम्भिक नौ महीनों यानी अप्रैल-दिसम्बर में 56.38 करोड़ रुपए कीमत की 556 टन बड़ी इलायची का निर्यात हुआ है। बीते वर्ष की आलोच्य अवधि में इसकी 340 टन मात्रा निर्यात हुई थी और इससे 44.31 करोड़ रुपए की आय हुई थी। बड़ी इलायची के मात्रात्मक निर्यात में 66 प्रतिशत का उछाल आया। इसकी आय 27 प्रतिशत बढ़ी। आगामी समय में बड़ी इलायची में किसी लम्बी तेजी की उम्मीद नहीं है।

     
    - एनएनएस
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बड़ी इलायची में लम्बी तेजी नहीं

 नई दिल्ली। रमजान का महीना होने के बाद भी यहां लिवाली कमजोर पडऩे से बड़ी इलायची हाल ही में थोड़ी मंदी हुई है। हाजिर में स्टॉक कमजोर होने तथा उत्पादक क्षेत्रों में कीमत तुलनात्मक रूप से ऊंची होने से बाजार की आंतरिक धारणा मजबूती की है लेकिन लम्बी तेजी के आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं। रमजान का महीना चल रहा है। माना जाता है कि आमतौर पर रमजान के दौरान बड़ी इलायची की खपत बढ़ जाती है। इसके बाद भी स्थानीय थोक किराना बाजार में बड़ी इलायची झुंडीवाली हाल यह 20/25 रुपए मंदी होकर फिलहाल 710/715 रुपए के स्तर पर बनी हुई है। बड़ी इलायची में मंदी आने के दो प्रमुख कारण हैं। पहला और प्रमुख कारण यह है कि आगामी एक जुलाई से देश में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू हो रहा है। जीएसटी में अधिकतर किराना जिंसों को 5 प्रतिशत कर श्रेणी में रखा गया है। दूसरा कारण यह है कि इस बार बड़ी इलायची की बिक्री सामान्य से कमजोर बनी होने के कारण स्टॉकिस्टों ने इसका स्टॉक काफी कम मात्रा में किया है। दूसरी ओर, उत्पादकों की बिकवाली सीमित बनी होने से नेपाल में बड़ी इलायची हाल ही में तेज हुई है। नेपाल से आयातित कैंचीकट बड़ी इलायची का आयात पड़ता फिलहाल 760 रुपए तथा झुंडीवाली का 710 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास बताया जा रहा है। दूसरा कारण यह है कि नीलामियों में बड़ी इलायची मंदी होकर 625/860 रुपए प्रति किलोग्राम पर बनी हुई है। ब्याह-शादियों का सीजन होने के बाद भी उठाव सुस्त ही बना हुआ है। उधर, सिक्किम और असम में बड़ी इलायची कैंचीकट की कीमत 760 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास बनी होने की जानकारी मिली। यह भाव राजधानी दिल्ली स्थित थोक किराना बाजार की प्रचलित कीमत के आसपास ही है। अत: उत्पादक राज्यों में लिवाली कमजोर पड़ गई है। आगामी अगस्त माह में आने वाली बड़ी इलायची की पहली फसल अभी से सामान्य आने के अनुमान व्यक्त किए जाने लगे हैं। भारत, नेपाल और भूटान जैसे बड़ी इलायची के प्रमुख उत्पादक देशों में मौसमी परिस्थितियां लगभग एक जैसी ही हैं। इसकी वजह से वहां भी बड़ी इलायची के उत्पादन बढऩे की सम्भावनाएं जताई जा रही हैं। व्यापारिक अनुमानों पर यदि विश्वास किया जाए तो नए सीजन में बड़ी इलायची का उत्पादन बढ़ सकता है। दूसरी ओर, रुपए की तुलना में अमेरिकी डॉलर मजबूत बना हुआ है। बीते सीजन में उत्पादन घटने तथा निर्यात अच्छा होने से इसका बकाया स्टॉक सामान्य की तुलना में काफी कम बचा है।  कीमतों में मंदी आने से वित्त वर्ष 2016-17 आरम्भिक नौ महीनों यानी अप्रैल-दिसम्बर में 56.38 करोड़ रुपए कीमत की 556 टन बड़ी इलायची का निर्यात हुआ है। बीते वर्ष की आलोच्य अवधि में इसकी 340 टन मात्रा निर्यात हुई थी और इससे 44.31 करोड़ रुपए की आय हुई थी। बड़ी इलायची के मात्रात्मक निर्यात में 66 प्रतिशत का उछाल आया। इसकी आय 27 प्रतिशत बढ़ी। आगामी समय में बड़ी इलायची में किसी लम्बी तेजी की उम्मीद नहीं है।

 
- एनएनएस

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