नई दिल्ली। गत 5-6 दिनों के अंतराल नीचे वाले भाव पर निर्यातक हरियाणा व पंजाब की मंडियों में 1121 सेला चावल की लिवाली करने लगे हैं, जिससे 100/150 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी आ गयी। वहीं देशी चने मेें स्टॉकिस्टों की लिवाली से 300/350 रुपए का मंदा आ गया। मुंबई में तुवर-मसूर भी 200/250 रुपए टूटकर पानी-पानी हो गई। मलेशिया के मंदे समाचार से कांदला में सीपीओ भी उक्त अवधि के अंतराल 180 रुपए गिर गया। नीमच-मंदसौर लाइन में पोस्तदाना, नए टेण्डर आवेदक फिर न्यायालय में चले जाने से माल की शॉर्टेज में 20/30 रुपए किलो उछल गया।
अनाज-दाल: उक्त अवधि के अंतराल धान की आवक चीका, तरावड़ी, करनाल, कैथल, अमृतसर आदि उत्पादक मंडियों में पूरी तरह समाप्त हो गयी है। राइस मिलों में तैयार 1121 सेला में निर्यातकों की पूछपरख निकलने से इसके भाव 100/150 रुपए बढ़कर 5950/6000 रुपए प्रति क्विंटल हो गये। धान भी अंदर का जो 3250 रुपए नीचे में बिक गया था, उसके भाव अमृतसर में 3350 रुपए बोलने लगे। चीका मंडी में 3200 से बढ़कर 3300 रुपए का व्यापार हो गया। इस तरह चोकर का बाजार सुर्ख होने लगा है। इस बार राइस मिलों में तैयार माल की कमी बनी हुई है तथा नया सीजन आने में लम्बा समय बाकी है। इसे देखते हुए इसमें अच्छी तेजी के आसार दिखाई दे रहे हैं। वहीं दलहनों में मंदे का बुरा हाल चल रहा है। देशी चना, उत्पादन अधिक होने एवं विदेशी माल के दबाव से मुंबई में 300 रुपए टूटकर 5150 रुपए रह गया। उधर ग्वालियर मंडी में भी जो पिछले बुधवार को 5100 रुपए बिका था, उसके भाव 4800 रुपए रह गये। तुवर भी मुंबई में 3800 से गिरकर 3300 रुपए एवं उड़द एसक्यू 5950 रुपए पर आ गयी।
तेल-तिलहन: इस बार सरसों व सोयाबीन दोनों तिलहनों का उत्पादन अधिक होने के साथ-साथ तेल कंटेंट अधिक बैठने से चौतरफा मंदे का दलदल बना हुआ है। इसके अलावा अंतर्राष्टï्रीय बाजारों में भी सीपीओ का उत्पादन अधिक होने से बाजार बढऩे का नाम नहीं ले रहा है। केएलसीई में सीपीओ वायदा जून का 2874 रिंगिट से लुढ़ककर 2751 रिंगिट एवं जुलाई का 2713 से गिरकर 2630 रिंगिट प्रति टन रह जाने से मलेशिया में भी पूरी तरह पूरी तरह मंदा फैल गया। वहां सीपीओ 745 से गिरकर 720 डॉलर प्रति टन रह जाने से कांदला में भी इसके भाव 180 रुपए टूटकर 4720 रुपए प्रति क्विंटल रह गये। सरसों भी अलवर, भरतपुर, खैरथल लाइन में 110 रुपए गिरकर 3470 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गयी। जयपुर के प्लांट में जो सरसों 3640 रुपए बिकी थी उसके भाव 3560 रुपए बोलने लगे। इसके प्रभाव से तेल सोया भी हरियाणा के प्लांटों में 140/160 रुपए तक नीचे आ गये। हरियाणा का तेल व सरसों यूपी के प्लांटों में मंदे भाव की उतरने से राजस्थान की मंडियों में स्टॉक बढ़ गया है। फलत: तेजी की गुंजाइश नहीं है।
किराना-मेवे: किराना-मेवे बाजार में जीएसटी की भारी दहशत से व्यापार सिमटता जा रहा है। स्टॉकिस्ट अपना-अपना माल निकालने में लगे हैं, जिससे धनिया, जीरा, लालमिर्च, छोटी इलायची, कालीमिर्च आदि में पूरे सप्ताह मंदे का दौर बना रहा। वहीं पोस्तदाना, तुर्की से आयात में बार-बार अड़चनें लगने से चीन वाला 30/40 रुपए उक्त अवधि में उछल गया। बाजारों में चर्चा है कि पहला मामला तो कोर्ट में विचाराधीन है कि गत दिनों आयातकों से नये आयात परमिट टेण्डर मांगे गये थे, जिसमें लाटरी सिस्टम के चलते 200 लोगों को ही परमिट मिल पाया। यह टेण्डर लाटरी द्वारा होने से कुछ वास्तविक कारोबारी वंचित रह गये, जिससे उन लोगों में न्यायालय में इस टेण्डर पर रोक का आवेदन कर दिया। यही कारण है कि तुर्की व देशी दोनों माल न होने से चीन के पोस्तदाने में उछाल आ गया है। मंदसौर-नीमच में भी देशी माल के भाव 30/40 रुपए बढ़कर क्वालिटीनुसार 260/340 रुपए प्रति किलो हो गये। जबकि देशी पोस्तदाना कोलकाता मंडी में 380/385 रुपए पर टिका रहा। - एनएनएस