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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

01-06-2017

'एक्सपोर्ट मार्केट में क्वालिटी-समयबद्ध डिलीवरी सबसे प्रमुख प्राथमिकता'

  •  भीलवाड़ा। मेवाड़ चैंबर एवं एसआरटीईपीसी के संयुक्त तत्वावधान में न्यू ग्लोबल बाईंग ट्रेंड्स इन टेक्सटाइल पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला को संबोधित करते हुए सिंथेटिक्स एवं रेयन टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रमोशन कांसिल (एसआरटीईपीसी) के पूर्व अध्यक्ष संजीव सरण ने कहा कि विश्व में कुछ ही देश जैसे इजिप्ट, अफगानिस्तान आदि है, जहां होलसेल में बड़ी मात्रा में एक ही तरह का कपड़ा खरीदा जाता है। बांग्लादेश, वियतनाम, यूरोपियन देशों में रेडीमेड गारमेंट बनाने के लिए छोटे-छोटे लॉट में तरह-तरह की डिजाइन एवं रंगों के कपड़े खरीदे जाते हंै। विश्व के बढ़ते हुए टेक्सटाइल व्यापार में अपनी भागीदारी के लिए भीलवाड़ा के निर्यातकों को भी एक जैसा कपड़ा निर्यात करने के बजाय डिजाइन एवं रंग विकसित करने होंगे। उन्होंंने कहा कि निर्यात के लिए सबसे प्रथम आवश्यकता अपने मानस को निर्यात अनुरूप बनाना है, क्योंकि निर्यात मार्केट में क्वालिटी एवं समयबद्ध डिलेवरी सबसे प्रमुख प्राथमिकता है। रेडीमेड गारमेंट खरीदने वाले भी अपने उत्पादकों से उनके फेब्रिक्स आपूर्तिकर्ता के क्वालिटी एवं समय पर डिलेवरी की गारंटी चाहते हैं।  उन्होंने कहा कि आज के रेडीमेड गारमेंट उत्पादक देशों की मांग पूर्ति के लिए निर्यातकों को एक समूह बनाकर निर्यात करना होगा ताकि खरीदार को सैकड़ों तरह की डिजाइन एवं कलर के कपड़ों की आपूर्ति एक ही जगह से हो सके। तभी भीलवाड़ा तिरपुर जैसा बड़ा निर्यात केंद्र बन सकता है। सरण ने कहा कि भीलवाड़ा के निर्यातकों को विश्व बाजार में पैठ बनाने के लिए विश्व के विभिन्न भागों में आवश्यक क्वालिटी सर्टिफिकेशन एवं एनवायरमेंट सर्टिफिकेशन प्राप्त करने होंगे। निर्यातक को केवल माल भेजकर बैठने के बजाय उसके बाद भी अपने खरीदार की सभी बातों पर एवं समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए, ताकि उनके ग्राहक से मधुर संबंध बने रहे। निर्यात मार्केट में अपने उत्पाद का प्रस्तुतिकरण भी बहुत महत्वपूर्ण है। आज के समय में निर्यातकों को सीधा बडे ़बाईंग हाउस से भी संबंध स्थापित करने चाहिए। एसआरटीईपीसी की सदस्यता समिति के संयोजक पंकज टेबरीवाल ने संस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी और भीलवाड़ा के निर्यातकों को इसके सदस्य बनने की आवश्यकताओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्य में एक टेक्सटाइल एवं एग्रोफूड एक्सपोर्ट संवर्धन सेंटर की स्थापना की घोषणा की है। एसआरटीईपीसी एवं मेवाड़ चैंबर को यह सेंटर भीलवाड़ा में स्थापित कराने के प्रयास करने चाहिए।  संस्था के उपाध्यक्ष रौनक रुगानी ने 30 जून से 2 जुलाई के मध्य गांधीनगर गुजरात में आयोजित होने वाली टेक्सटाइल प्रदर्शनी टेक्सटाइल इंडिया 2017 के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के प्रारंभ में चैंबर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जेके बागडोदिया, पूर्वाध्यक्ष डा.ॅ पीएम बेसवाल एवं मानद महासचिव आरके जैन ने अतिथियों का स्वागत किया।

    - निजी संवाददाता
     
    उदयपुर में निर्यात व्यापार पर सेमिनार आयोजित
    उदयपुर। फैडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाईजेशन, एक्जिम बैंक तथा उदयपुर चैंबर ऑफ  कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के साझे में निर्यात व्यापार पर सेमिनार आयोजित की गई। सेमिनार के मुख्य वक्ता जॉइंट डायरेक्टर, डायरेक्टर जनरल ऑफ  फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी), नई दिल्ली के डॉ. अमिया चंद्रा ने सरकार ने मार्बल को अब तक उद्योग का दर्जा नहीं प्रदान किया है। इस कारण उद्योगों को प्राप्त होने वाली सुविधाओं से मार्बल माइनिंग और प्रोसेसिंग से जुड़े उद्यमी महरूम है। उदयपुर संभाग के निर्यातकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कम कीमत पर निर्यात करने के बजाय उत्पाद की गुणवत्ता पर ध्यान देने का आह्वान किया। डॉ. चंद्रा ने कहा कि चीन में मार्बल का उत्पादन शून्य है, किन्तु भारत से आयातीत मार्बल ब्लॉक्स का वेल्यू एडिशन कर 10 गुना से भी ज्यादा दामों पर यूरोप एवं अमेरिका में निर्यात कर रहा है।  उन्होंने कहा कि मार्बल व्यवसायी आपस में प्रतिस्पर्धा करने के बजाय चीन की व्यापार पद्धति अपनाए। निर्यात के लिए ऑर्डर मिलने पर ब्लॉक उत्खनन, परिवहन, कटिंग, पॉलिशिंग आदि से जुड़े उद्यमी परस्पर बांट कर लाभ उठावें।  डॉ. चंद्रा ने कहा कि दीपावली पर अन्य सजावटी सामान के अलावा पूजन के लिए लक्ष्मीजी और गणेश जी की प्रतिमाएं तक चीन द्वारा भारत में निर्यात की जा रही है, लेकिन चीन द्वारा निर्यात की गई लक्ष्मीजी की आकृति छोटी छोटी आंखों वाली चीनी महिला के समान प्रतीत होती है,क्योंकि नकल में भी अकल जरूरी होती है। अमरीका तथा यूरोप के देशों में मृत व्यक्ति की कब्र पर सजावटी पत्थर लगाने की परम्परा है। भारत से आयातीत मार्बल ब्लॉक को प्रोसेस करके कब्र के आकार के मार्बल स्लेब का निर्यात कर चीन कई गुना मुनाफा कमा रहा है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार को समझने के उत्पाद के निर्यात के लिए सर्टिफिकेशन सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, इसलिए क्वालिटी, चाईल्ड लेबर फ्री, हानि रहित उत्पाद होने संबंधी प्रमाण पत्र अवश्य प्राप्त करें। उन्होंने कहा कि बेहतरीन सेंपल दिखाकर ऑर्डर प्राप्त करने में भारतीय अव्वल है, किन्तु ऑर्डर प्राप्त होने के उपरान्त उत्पाद की डिलीवरी में भारत का स्थान 158वां है, इसलिए समय पर डिलीवरी देने का प्रयास करें।  एक्जिम बैंक की महा प्रबंधिका सुश्री दीपाली अग्रवाल, इसीजीसी के वरिष्ठ प्रबंधक रविश कुमार, आर.पी. मीणा, जॉइंट डीजीएफटी, जयपुर ने भी विचार व्यक्त किए। फैडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाईजेशन, जयपुर चेप्टर के भूपेंद्र सिंह ने फियो द्वारा देश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यातकों को प्रदान की जा रही सेवाओं का ब्यौरा दिया। इससे पूर्व यूसीसीआई के अध्यक्ष वी.पी. राठी ने सभी का स्वागत किया। -निजी संवाददाता
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'एक्सपोर्ट मार्केट में क्वालिटी-समयबद्ध डिलीवरी सबसे प्रमुख प्राथमिकता'

 भीलवाड़ा। मेवाड़ चैंबर एवं एसआरटीईपीसी के संयुक्त तत्वावधान में न्यू ग्लोबल बाईंग ट्रेंड्स इन टेक्सटाइल पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला को संबोधित करते हुए सिंथेटिक्स एवं रेयन टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रमोशन कांसिल (एसआरटीईपीसी) के पूर्व अध्यक्ष संजीव सरण ने कहा कि विश्व में कुछ ही देश जैसे इजिप्ट, अफगानिस्तान आदि है, जहां होलसेल में बड़ी मात्रा में एक ही तरह का कपड़ा खरीदा जाता है। बांग्लादेश, वियतनाम, यूरोपियन देशों में रेडीमेड गारमेंट बनाने के लिए छोटे-छोटे लॉट में तरह-तरह की डिजाइन एवं रंगों के कपड़े खरीदे जाते हंै। विश्व के बढ़ते हुए टेक्सटाइल व्यापार में अपनी भागीदारी के लिए भीलवाड़ा के निर्यातकों को भी एक जैसा कपड़ा निर्यात करने के बजाय डिजाइन एवं रंग विकसित करने होंगे। उन्होंंने कहा कि निर्यात के लिए सबसे प्रथम आवश्यकता अपने मानस को निर्यात अनुरूप बनाना है, क्योंकि निर्यात मार्केट में क्वालिटी एवं समयबद्ध डिलेवरी सबसे प्रमुख प्राथमिकता है। रेडीमेड गारमेंट खरीदने वाले भी अपने उत्पादकों से उनके फेब्रिक्स आपूर्तिकर्ता के क्वालिटी एवं समय पर डिलेवरी की गारंटी चाहते हैं।  उन्होंने कहा कि आज के रेडीमेड गारमेंट उत्पादक देशों की मांग पूर्ति के लिए निर्यातकों को एक समूह बनाकर निर्यात करना होगा ताकि खरीदार को सैकड़ों तरह की डिजाइन एवं कलर के कपड़ों की आपूर्ति एक ही जगह से हो सके। तभी भीलवाड़ा तिरपुर जैसा बड़ा निर्यात केंद्र बन सकता है। सरण ने कहा कि भीलवाड़ा के निर्यातकों को विश्व बाजार में पैठ बनाने के लिए विश्व के विभिन्न भागों में आवश्यक क्वालिटी सर्टिफिकेशन एवं एनवायरमेंट सर्टिफिकेशन प्राप्त करने होंगे। निर्यातक को केवल माल भेजकर बैठने के बजाय उसके बाद भी अपने खरीदार की सभी बातों पर एवं समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए, ताकि उनके ग्राहक से मधुर संबंध बने रहे। निर्यात मार्केट में अपने उत्पाद का प्रस्तुतिकरण भी बहुत महत्वपूर्ण है। आज के समय में निर्यातकों को सीधा बडे ़बाईंग हाउस से भी संबंध स्थापित करने चाहिए। एसआरटीईपीसी की सदस्यता समिति के संयोजक पंकज टेबरीवाल ने संस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी और भीलवाड़ा के निर्यातकों को इसके सदस्य बनने की आवश्यकताओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राज्य में एक टेक्सटाइल एवं एग्रोफूड एक्सपोर्ट संवर्धन सेंटर की स्थापना की घोषणा की है। एसआरटीईपीसी एवं मेवाड़ चैंबर को यह सेंटर भीलवाड़ा में स्थापित कराने के प्रयास करने चाहिए।  संस्था के उपाध्यक्ष रौनक रुगानी ने 30 जून से 2 जुलाई के मध्य गांधीनगर गुजरात में आयोजित होने वाली टेक्सटाइल प्रदर्शनी टेक्सटाइल इंडिया 2017 के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के प्रारंभ में चैंबर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जेके बागडोदिया, पूर्वाध्यक्ष डा.ॅ पीएम बेसवाल एवं मानद महासचिव आरके जैन ने अतिथियों का स्वागत किया।

- निजी संवाददाता
 
उदयपुर में निर्यात व्यापार पर सेमिनार आयोजित
उदयपुर। फैडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाईजेशन, एक्जिम बैंक तथा उदयपुर चैंबर ऑफ  कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के साझे में निर्यात व्यापार पर सेमिनार आयोजित की गई। सेमिनार के मुख्य वक्ता जॉइंट डायरेक्टर, डायरेक्टर जनरल ऑफ  फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी), नई दिल्ली के डॉ. अमिया चंद्रा ने सरकार ने मार्बल को अब तक उद्योग का दर्जा नहीं प्रदान किया है। इस कारण उद्योगों को प्राप्त होने वाली सुविधाओं से मार्बल माइनिंग और प्रोसेसिंग से जुड़े उद्यमी महरूम है। उदयपुर संभाग के निर्यातकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कम कीमत पर निर्यात करने के बजाय उत्पाद की गुणवत्ता पर ध्यान देने का आह्वान किया। डॉ. चंद्रा ने कहा कि चीन में मार्बल का उत्पादन शून्य है, किन्तु भारत से आयातीत मार्बल ब्लॉक्स का वेल्यू एडिशन कर 10 गुना से भी ज्यादा दामों पर यूरोप एवं अमेरिका में निर्यात कर रहा है।  उन्होंने कहा कि मार्बल व्यवसायी आपस में प्रतिस्पर्धा करने के बजाय चीन की व्यापार पद्धति अपनाए। निर्यात के लिए ऑर्डर मिलने पर ब्लॉक उत्खनन, परिवहन, कटिंग, पॉलिशिंग आदि से जुड़े उद्यमी परस्पर बांट कर लाभ उठावें।  डॉ. चंद्रा ने कहा कि दीपावली पर अन्य सजावटी सामान के अलावा पूजन के लिए लक्ष्मीजी और गणेश जी की प्रतिमाएं तक चीन द्वारा भारत में निर्यात की जा रही है, लेकिन चीन द्वारा निर्यात की गई लक्ष्मीजी की आकृति छोटी छोटी आंखों वाली चीनी महिला के समान प्रतीत होती है,क्योंकि नकल में भी अकल जरूरी होती है। अमरीका तथा यूरोप के देशों में मृत व्यक्ति की कब्र पर सजावटी पत्थर लगाने की परम्परा है। भारत से आयातीत मार्बल ब्लॉक को प्रोसेस करके कब्र के आकार के मार्बल स्लेब का निर्यात कर चीन कई गुना मुनाफा कमा रहा है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार को समझने के उत्पाद के निर्यात के लिए सर्टिफिकेशन सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, इसलिए क्वालिटी, चाईल्ड लेबर फ्री, हानि रहित उत्पाद होने संबंधी प्रमाण पत्र अवश्य प्राप्त करें। उन्होंने कहा कि बेहतरीन सेंपल दिखाकर ऑर्डर प्राप्त करने में भारतीय अव्वल है, किन्तु ऑर्डर प्राप्त होने के उपरान्त उत्पाद की डिलीवरी में भारत का स्थान 158वां है, इसलिए समय पर डिलीवरी देने का प्रयास करें।  एक्जिम बैंक की महा प्रबंधिका सुश्री दीपाली अग्रवाल, इसीजीसी के वरिष्ठ प्रबंधक रविश कुमार, आर.पी. मीणा, जॉइंट डीजीएफटी, जयपुर ने भी विचार व्यक्त किए। फैडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाईजेशन, जयपुर चेप्टर के भूपेंद्र सिंह ने फियो द्वारा देश से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यातकों को प्रदान की जा रही सेवाओं का ब्यौरा दिया। इससे पूर्व यूसीसीआई के अध्यक्ष वी.पी. राठी ने सभी का स्वागत किया। -निजी संवाददाता

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