TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

07-06-2025

प्राइवेट CAPEX फिर क्यों हुआ RELAX!

  •  विकसित भारत का टार्गेट तो बना लिया। लेकिन इस सरकारी टार्गेट से इंडिया इंक ने किनारा ही किया हुआ है। मार्केटिंग में एक शब्द होता है न•ा...यानी हल्की झिडक़ी देना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कई बार इंडिया इंक को कैपेक्स बढ़ाने के लिए न•ा कर चुके हैं। लेकिन हालात बदल नहीं रहे हैं। यह जो 6.5% ग्रोथ दिख रही है ज्यादातर सरकारी इंवेस्टमेंट के कारण है। इंडिया इंक भी 76% कैपेसिटी यूटिलाइजेशन पर बैठा है लेकिन हाई इंटरेस्ट रेट्स और जियो पॉलिटिकल टेंशन के कारण कैपेसिटी एक्सपांशन को लेकर झिझक बनी हुई है। एक रिपोर्ट कहती है कि प्राइवेट कैपेक्स के लिहाज से 2026 भी स्लो ही रहेगा। बर्कशायर हाथवे वाले वॉरेन बफेट 3.5 लाख करोड़ डॉलर के कैश रिजर्व पर बैठे हैं। भारत सरकार के एक सर्वे के अनुसार वित्त वर्ष 2026 में भी प्राइवेट कैपेक्स कमजोर ही रहेगा। साथ में लगी टेबल से पता चलता है कि इसमें वित्त वर्ष 25 के मुकाबले 25 परसेंट तक की कमी आ सकती है। पिछले वित्त वर्ष में देश में 6.56 लाख करोड़ रुपये का प्राइवेट इंवेस्टमेंट हुआ था। लेकिन चालू वित्त वर्ष में यह घटकर 4.88 लाख करोड़ रुपये ही रह जाने का अनुमान है। वित्त वर्ष 23 में 5.72 लाख करोड़ रुपये का प्राइवेट कैपेक्स था जो वित्त वर्ष 24 में करीब 30 परसेंट करेक्शन के साथ 4.22 लाख करोड़ रुपये रह गया था। 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का टार्गेट लेकिन एनेलिस्ट कहते हैं कि 6-7 परसेंट की सीएजीआर से 18-19 ट्रिलियन तक ही पहुंच पाएंगे। वित्त वर्ष 25 में कुल प्राइवेट इंवेस्टमेंट का करीब 40 परसेंट केवल तीन बड़ी कंपनियों—रिलायंस इंडस्ट्रीज़, भारती एयरटेल और अडाणी एंटरप्राइजेज ने किया। यानी ज्यादातर कॉरपोरेट इंक निवेश को लेकर सतर्क बना हुआ है। वित्त वर्ष 21 से वित्त वर्ष 24 तक प्राइवेट इंवेस्टमेंट में  तेजी बनी रही और इन 3 साल में 18 परसेंट की सीएजीआर से इंवेस्टमेंंट हुआ। नोमुरा के एनेलिस्ट कहते हैं कि कहा जा सकता कि इस साल कितना प्राइवेट कैपेक्स रहेगा। हालांकि मॉर्गन स्टेनली के एमडी रिधम देसाई कहते हैं कि स्लो कैपेक्स का यह मतलब नहीं कि ग्रोथ रुक गई है। भारत की प्रॉडक्टिविटी बढ़ रही है। कॉस्ट एफीशियेंसी बढऩे से कंपीटिटिवनैस सुधर रही है। वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका द्वारा लगाए गए 26 परसेंट रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण अनिश्चितता ज्यादा बढ़ी है। कंपनियां अब 9 जुलाई का इंतजार कर रही हैं। और यह भी कि भारत के अमेरिका, यूके सहित अन्य देशों के साथ बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट का नतीजा क्या रहता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इनकम टैक्स घटाने, राजकोषीय प्रोत्साहन और ब्याज दरों में की गई बड़ी कटौती से  कंजम्पशन और इंवेस्टमेंट दोनों को  बल मिल सकता है। इंफ्लेशन में जिस तरह से गिरावट आ रही है उससे भी आउटलुक पॉजिटिव हुआ है। 

Share
प्राइवेट CAPEX फिर क्यों हुआ RELAX!

 विकसित भारत का टार्गेट तो बना लिया। लेकिन इस सरकारी टार्गेट से इंडिया इंक ने किनारा ही किया हुआ है। मार्केटिंग में एक शब्द होता है न•ा...यानी हल्की झिडक़ी देना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कई बार इंडिया इंक को कैपेक्स बढ़ाने के लिए न•ा कर चुके हैं। लेकिन हालात बदल नहीं रहे हैं। यह जो 6.5% ग्रोथ दिख रही है ज्यादातर सरकारी इंवेस्टमेंट के कारण है। इंडिया इंक भी 76% कैपेसिटी यूटिलाइजेशन पर बैठा है लेकिन हाई इंटरेस्ट रेट्स और जियो पॉलिटिकल टेंशन के कारण कैपेसिटी एक्सपांशन को लेकर झिझक बनी हुई है। एक रिपोर्ट कहती है कि प्राइवेट कैपेक्स के लिहाज से 2026 भी स्लो ही रहेगा। बर्कशायर हाथवे वाले वॉरेन बफेट 3.5 लाख करोड़ डॉलर के कैश रिजर्व पर बैठे हैं। भारत सरकार के एक सर्वे के अनुसार वित्त वर्ष 2026 में भी प्राइवेट कैपेक्स कमजोर ही रहेगा। साथ में लगी टेबल से पता चलता है कि इसमें वित्त वर्ष 25 के मुकाबले 25 परसेंट तक की कमी आ सकती है। पिछले वित्त वर्ष में देश में 6.56 लाख करोड़ रुपये का प्राइवेट इंवेस्टमेंट हुआ था। लेकिन चालू वित्त वर्ष में यह घटकर 4.88 लाख करोड़ रुपये ही रह जाने का अनुमान है। वित्त वर्ष 23 में 5.72 लाख करोड़ रुपये का प्राइवेट कैपेक्स था जो वित्त वर्ष 24 में करीब 30 परसेंट करेक्शन के साथ 4.22 लाख करोड़ रुपये रह गया था। 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का टार्गेट लेकिन एनेलिस्ट कहते हैं कि 6-7 परसेंट की सीएजीआर से 18-19 ट्रिलियन तक ही पहुंच पाएंगे। वित्त वर्ष 25 में कुल प्राइवेट इंवेस्टमेंट का करीब 40 परसेंट केवल तीन बड़ी कंपनियों—रिलायंस इंडस्ट्रीज़, भारती एयरटेल और अडाणी एंटरप्राइजेज ने किया। यानी ज्यादातर कॉरपोरेट इंक निवेश को लेकर सतर्क बना हुआ है। वित्त वर्ष 21 से वित्त वर्ष 24 तक प्राइवेट इंवेस्टमेंट में  तेजी बनी रही और इन 3 साल में 18 परसेंट की सीएजीआर से इंवेस्टमेंंट हुआ। नोमुरा के एनेलिस्ट कहते हैं कि कहा जा सकता कि इस साल कितना प्राइवेट कैपेक्स रहेगा। हालांकि मॉर्गन स्टेनली के एमडी रिधम देसाई कहते हैं कि स्लो कैपेक्स का यह मतलब नहीं कि ग्रोथ रुक गई है। भारत की प्रॉडक्टिविटी बढ़ रही है। कॉस्ट एफीशियेंसी बढऩे से कंपीटिटिवनैस सुधर रही है। वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका द्वारा लगाए गए 26 परसेंट रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण अनिश्चितता ज्यादा बढ़ी है। कंपनियां अब 9 जुलाई का इंतजार कर रही हैं। और यह भी कि भारत के अमेरिका, यूके सहित अन्य देशों के साथ बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट का नतीजा क्या रहता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इनकम टैक्स घटाने, राजकोषीय प्रोत्साहन और ब्याज दरों में की गई बड़ी कटौती से  कंजम्पशन और इंवेस्टमेंट दोनों को  बल मिल सकता है। इंफ्लेशन में जिस तरह से गिरावट आ रही है उससे भी आउटलुक पॉजिटिव हुआ है। 


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news