होटल एवं रेस्तरां के शीर्ष निकाय एफएचआरएआई ने पर्यटन क्षेत्र को ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धी और वृद्धि का इंजन बनाने के लिए सरकार से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को युक्तिसंगत बनाने का अनुरोध किया है। एफएचआरएआई ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में पर्यटन सेवाओं को अधिक सुलभ और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए जीएसटी में एकरूपता और सरलता की जरूरत बताई। देशभर की हॉस्पीटेलिटी इंडस्ट्री का प्रतिनिधित्व करने वाले निकाय ने सभी हॉस्पीटेलिटी और ट्यूरिज्म सेवाओं पर इनपुट टैक्स के्रडिट के साथ पांच प्रतिशत की एकसमान जीएसटी दर लागू करने की मांग की है। संगठन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर जीएसटी सुधारों को लेकर की गई घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि यह भारत की कर प्रणाली को मजबूत करने, अनुपालन को सरल बनाने और टिकाऊ वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को बताता है। फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशंस ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) ने कहा कि पर्यटन लंबे समय से भारत के प्रमुख वृद्धि स्तंभों में से एक रहा है। यह देश के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में लगभग पांच प्रतिशत का योगदान करता है। उपयुक्त नीतिगत समर्थन मिलने पर यह योगदान दोगुना हो सकता है। एफएचआरएआई ने पत्र में लिखा कि यह क्षेत्र सबसे बड़े रोजगार प्रदान करने वालों में से है। साथ ही गुणक प्रभाव के कारण आतिथ्य क्षेत्र में लगा प्रत्येक रुपया 3.5 रुपये का उत्पादन देता है और एक प्रत्यक्ष रोजगार 3.2 अतिरिक्त परोक्ष नौकरियां पैदा करता है। एफएचआरएआई ने कहा कि पर्यटन सेवाओं को अधिक सुलभ और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए जीएसटी में एकरूपता और सरलता की आवश्यकता है। इसने सभी हॉस्पीटेलिटी और ट्यूरिज्म सेवाओं पर इनपुट टैक्स के्रडिट के साथ पांच प्रतिशत की एकसमान जीएसटी दर लागू करने आग्रह किया जिससे अनुपालन सरल होगा और घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए लागत का बोझ कम होगा। संगठन ने यह मांग भी रखी है कि होटल कमरे के किराये पर लगने वाले जीएसटी से खाद्य और पेय उत्पादों को अलग किया जाए, क्योंकि मौजूदा व्यवस्था परिचालन अक्षमताएं और राजस्व हानि पैदा करती है। एफएचआरएआई के अध्यक्ष के. श्यामा राजू ने कहा कि पर्यटन केवल एक यात्रा नहीं है बल्कि यह देश की आर्थिक वृद्धि का इंजन है। जीएसटी को युक्तिसंगत बनाना भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी, यात्रियों के लिए किफायती और निवेशकों के लिए आकर्षक बनाने के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मददगार नीतिगत उपायों से भारतीय पर्यटन जीडीपी में अपना योगदान दोगुना कर सकता है, लाखों नौकरियां पैदा कर सकता है और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।