भारत स्वयं को हर्बल, नेचुरल वैलनेस के तौर पर प्रमोट कर रहा है। हमारे पास हजारों वर्ष पुराना आयुर्वेदिक ट्रेडीशन है और यह हमारी पूंजी भी है। ग्लोबली इसका प्रचार किया जा रहा है और इसका लाभ लेने का समय भी है। इंटरनेशनल मार्केट्स में आयुर्वेदिक, हर्बल प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ रही है। ब्यूटी, न्यूट्रासुटिकल्स सेगमेंट में तेज ग्रोथ देखी जा रही है। कोरिया की के-ब्यूटी और जापान की जे-ब्यूटी के बीच भारत के पास अतुल खजाना है, जिससे वह स्वयं को ब्राण्ड कर रहा है। हमारे पास ए-ब्यूटी है और हम इसमें चैम्पियन की भूमिका निभा सकते हैं। ए-ब्यूटी के तहत आयुर्वेदिक ट्रेडीशन के साथ फार्मा गे्रड को ब्लेंड किया जा सकता है। डेलॉइट-फिक्की की रिपोर्ट के अनुसार ब्लेंडिंग से हाई परफॉर्मेंस के चांस बन रहे हैं। ऐसा हम डोमेस्टिक के साथ इंटरनेशनल मार्केट में अनुभव कर सकते हैं। पचास प्रतिशत कन्ज्यूमर्स हर्बल टॉनिक, च्यवनप्राश जैसे प्रोडक्ट्स के लिये प्रीमियम पे करने को भी राजी हैं। देश का आयुर्वेदिक प्रोडक्ट मार्केट वित्तीय वर्ष 2028 तक 16.27 बिलियन डॉलर का हो जाने की सम्भावना है। फाइनेंशियल ईयर 2024 में यह करीब 7 बिलियन डॉलर का था। करीब 23 प्रतिशत सीएजीआर से यह ग्रोथ ले रहा है। वर्तमान में हम यह भी देख रहे हैं कि फिटनेस पे्रमी स्वेट पू्रफ डियो लेंगे और आयुर्वेद पे्रमी हर्बल ऑइल को मसाज के लिये काम लेंगे। मेंटल वैलनेस के लिये एरोमा थेरेपी का प्रचार भी काफी बढ़ रहा है। दिमाग को शांत करने के लिये होम फे्रगरेंस डिफ्यूजर का ट्रेंड बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार इन्डियन कन्ज्यूमर्स होम एंड पर्सनल केयर परचेज को कैमिकल फ्री रखने के प्रति अवेयर हो रहे हैं। हाईजीन और इम्यूनिटी बूस्टर प्रोडक्ट्स को भी तवज्जो दी जा रही है। ब्यूटी एंड पर्सनल केयर एक्सपोर्ट्स को देखें तो यह 22,862 करोड़ रुपये पर पहुंच रहा है। इसमें आयुर्वेद और हर्बल पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी अच्छी है। हल्दी, अवश्वगंधा, मोरिंगा, आंवला, मिलेट्स को अमेरिका, यूरोप, वेस्ट एशिया में बेहतर रेस्पांस मिल रहा है। फंक्शनल फूड, ट्रेडीशनल वैलनेस जैसे शब्द जोर पकड़ रहे हैं। हमारे देश की बात करें तो प्रीमियम, हैल्थ ओरियंटेड और पर्सनेलाइज्ड प्रोडक्ट्स पर स्पेंडिंग बढ़ रही है। कुछ कम्पनियां आयुर्वेद और मॉर्डन साइंस को ब्लेंड कर रही है। अब अगले चरण में हम अरबन कन्ज्यूमर्स को प्रीमियम पोटेंशियल के साथ ज्यादा अनलॉक होते हुए देखेंगे। छोटे प्लेयर्स, डी2सी ब्राण्ड्स इस प्रकार के ट्रेंड्स को अपनाने में पीछे नहीं हैं। इनका पहुंच ई-कॉमर्स, क्विक कॉमर्स पर भी तेजी से बढ़ रही है।