गत क्वार्टर्स में रूरल कन्जम्पशन बढ़ रहा है। फास्ट मूविंग कन्ज्यूमर गुड्ज (एफएमसीजी)कम्पनियां इसलिये डायरेक्ट डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को बढ़ावा दे रही हैं। जैसे कि छोटे पैक्स, हाईपर लोकल प्रमोशंस आदि। ग्रासरूट मार्केटिंग स्ट्रेटजी को डिप्लॉय किया जा रहा है। इसमें डोर-टू-डोर कैम्पेन, फ्री सैम्पल्स, ट्रायल पैक्स, लोकल हाट में प्रमोशन, बाय वन गैट वन ऑफर आदि। डाबर इन्डिया के सीईओ के अनुसार रूरल इनीशिएटिव्ज को बढ़ावा दिया जा रहा है क्योंकि यह अरबन ग्रोथ को सरपास कर रही है। उन्हें टोटल सेल्स में से करीब 45 से 50 प्रतिशत ग्रामीण मार्केट से प्राप्त होती है, ऐसे में ओवरऑल ग्रोथ में ग्रामीण भारत पर फोकस बढ़ाया जा रहा है। उनके अनुसार 131,000 गांवों तक उनकी पहुंच है और करीब 1.42 मिलियन आउटलैट्स तक डायरेक्ट एक्सेस है। डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को पूरा लाभ लेने के लिये वैल्यू प्रोडक्ट बंडल्स पेश किये गये हैं। जैसे कि हेयर ऑइल, ओरल केयर, हैल्थकेयर, फूड सप्लीमेंट्स सेगमेंट्स में दस, बीस, पचास और सौ रुपये के प्रॉइस प्रॉइंट पर वैल्यू बंडल्स पेश किये गये हैं। राइवल हिंदुस्तान यूनीलवर(एचयूएल) जो कि देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कम्पनी है, रूरल मार्केट्स से करीब 35 से 40 प्रतिशत की रेवेन्यू लेती है। अब वह मास मार्केट कैटेगरीज जैसे स्किनकेयर, सोप, डिटरजेंट्स, चाय को फोकस कर रही है। मास सेगमेंट में अफोर्डेबल पैक्स के अलावा लो-यूनिट पैक्स को भी पेश किया गया है। एचयूएल की डिजिटल स्ट्रेटजी भी रूरल एक्सपेंशन को बढ़ावा दे रही है। उसके ‘शिखर एप’ को करीब 1.4 मिलियन रिटेलर्स यूज करते हैं, सत्तर प्रतिशत की मंथली एक्टिव यूजर रेट है। वे ट्रेडीशनल ट्रेड पार्टनर्स को भी सशक्त कर रहे हैं, साथ ही डिजिटाइजेशन रूट को भी मजबूत कर रहे हैं। एफएमसीजी सेगमेंट की प्रमुख कम्पनी आईटीसी प्रीमियम कुकीज और स्नैक्स पैक्स को दस रुपये पैक में ऑफर कर रही है। रूरल ट्रेक्शन को बूस्ट करने के लिये ऐसा किया जा रहा है। कम्पनी सूत्रों के अनुसार वे डायरेक्ट डिस्ट्रीब्यूशन को विस्तार दे रहे हैं। ईबीटूबी प्लेटफॉर्म ‘उन्नति’ अब करीब 800,000 आउटलैट्स को कवर कर रही है। पैराशूट और सफोला ब्राण्ड्स की उत्पादक मैरिको ने वित्तीय वर्ष 2025 में ‘प्रोजेक्ट सेतु’ लांच किया। इसका टारगेट रूरल पेनीट्रेशन को बढ़ाना है। अब यह प्रोजेक्ट 11 राज्यों में एक्टिव है। ब्रिटानिया भी रूरल फुटप्रिंट को मजबूत बनाने पर काम कर रही है। मार्केट रिसर्चर नीलसनआईक्यू के अनुसार आने वाले क्वार्टर्स में रूरल कन्जम्पशन अरबन डिमांड को पीछे छोड़ देगा, ऐसी सम्भावना है। गत तिमाहियों में भी हमने यह स्थिति देखी है। इसका कारण मानसून की शानदार स्थिति, सरकार की प्रोत्साहन नीतियां, अच्छी फसल , बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और रूरल आय में बढ़ोतरी है।