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12-02-2025

को-वर्किंग स्टार्टअप्स की नजर ‘फिट-आउट’ बिजनेस मॉडल पर भी

  •  को-वर्किंग स्टार्टअप्स जैसे ऑफिस, इंडीक्यूब, स्मार्टवक्र्स और बीहाइव अपने कोर बिजनेस के अलावा फिट-आउट बिजनेस को आगे बढ़ा रही है। न्यू ऐज कम्पनियों के बीच कस्टमाइज्ड वर्कस्पेस को शॉर्ट-टर्म पर लीज पर लेने का ट्रेंड देखा जा रहा है। फिट-आउट सर्विस को आप इस तरह से समझें कि इसमें फ्लोर, सीलिंग, इंटीरियर्स, फर्नीचर आदि को इन्स्टॉल किया जाता है। ट्रेडीशनली फिट-आउट मार्केट काफी फे्रगमेंटेड स्पेस होता था और इसमें असंगठित प्लेयर्स ज्यादा होते थे। बड़े डवलपर्स, डिजाइन फम्र्स और प्रॉपर्टी कन्सल्टेंट्स इस स्पेस को डॉमीनेट करते थे। फ्लेक्जीबल वर्कस्पेस ऑपरेटर्स का कोर बिजनेस ऑफिस को डिजाइन, बिल्ट और मैनेज करना रहा है। वे मल्टीपल कस्टमर्स के लिये फिट-आउट कार्य करते हैं। पीकएक्सवी बैक्ड ऑफिस ओवरऑल रेवेन्यू में से करीब 25 प्रतिशत फिट-आउट बिजनेस से प्राप्त करता है। वित्तीय वर्ष 2024 में करीब 212 करोड़ रुपये की आय इन प्रोजेक्ट्स से प्राप्त की गई। ऑफिस के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के अनुसार फिट-आउट इंडस्ट्री आने वाले कुछ वर्षों में 12-13 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और उनका फिट-आउट बिजनेस करीब 13-15 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगा। इसका कारण यह है कि वे सर्विसेज को तेजी के साथ डिलीवर करते हैं। कम्पनी ने करीब तीन वर्ष पूर्व फिट-आउट बिजनेस करना शुरू किया और उनकी डिजाइन टीम में करीब साठ लोग काम कर रहे हैं। प्रोजेक्ट में करीब 120 लोग हैं जो कंस्ट्रक्शन, प्रोक्योरमेंट और मैनेजमेंट देखते हैं। केवल ऑफिस ही नहीं अन्य वर्कस्पेस ऑपरेटर्स भी फिट-आउट बिजनेस की बढ़ती डिमांड पर सहमत हैं। न्यू ऐज स्टार्टअप्स के बीच कस्टमाइज्ड ऑप्शंस की डिमांड है। इंडीक्यूब के को-फाउंडर के अनुसार मुम्बई में पुरानी प्रॉपर्टीज में फिट-आउट्स का अवसर देखा जा रहा है।  इससे मॉर्डन लुक देने में मदद मिल रही है। पारम्परिक प्लेयर्स के साथ प्रतिस्पर्धा की बात करें तो फ्लेक्जीबल वर्कस्पेस ऑपरेटर्स के पास फुलटाइम डिलीवरी टीम्स हैं जो काफी क्विक काम करती हैं। अब बात फिट-आउट एवरेज कॉस्ट की करें तो हाई कस्टमाइज्ड प्रोजेक्ट्स के लिये करीब 1,800 से 2,000 प्रति स्कवायर फीट है। कॉस्ट इससे भी अधिक जा सकती है। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं मेड-टू-ऑर्डर वर्कस्पेस का ट्रेंड देश में बढ़ रहा है। अनेक स्टार्टअप्स इसमें आगे बढ़ रहे हैं। देश में प्रवेश करने वाले टैक स्टार्टअप्स, मिड साइज जीसीसी के बीच भी फिट-आउट स्पेस की डिमांड बन रही है।

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को-वर्किंग स्टार्टअप्स की नजर ‘फिट-आउट’ बिजनेस मॉडल पर भी

 को-वर्किंग स्टार्टअप्स जैसे ऑफिस, इंडीक्यूब, स्मार्टवक्र्स और बीहाइव अपने कोर बिजनेस के अलावा फिट-आउट बिजनेस को आगे बढ़ा रही है। न्यू ऐज कम्पनियों के बीच कस्टमाइज्ड वर्कस्पेस को शॉर्ट-टर्म पर लीज पर लेने का ट्रेंड देखा जा रहा है। फिट-आउट सर्विस को आप इस तरह से समझें कि इसमें फ्लोर, सीलिंग, इंटीरियर्स, फर्नीचर आदि को इन्स्टॉल किया जाता है। ट्रेडीशनली फिट-आउट मार्केट काफी फे्रगमेंटेड स्पेस होता था और इसमें असंगठित प्लेयर्स ज्यादा होते थे। बड़े डवलपर्स, डिजाइन फम्र्स और प्रॉपर्टी कन्सल्टेंट्स इस स्पेस को डॉमीनेट करते थे। फ्लेक्जीबल वर्कस्पेस ऑपरेटर्स का कोर बिजनेस ऑफिस को डिजाइन, बिल्ट और मैनेज करना रहा है। वे मल्टीपल कस्टमर्स के लिये फिट-आउट कार्य करते हैं। पीकएक्सवी बैक्ड ऑफिस ओवरऑल रेवेन्यू में से करीब 25 प्रतिशत फिट-आउट बिजनेस से प्राप्त करता है। वित्तीय वर्ष 2024 में करीब 212 करोड़ रुपये की आय इन प्रोजेक्ट्स से प्राप्त की गई। ऑफिस के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के अनुसार फिट-आउट इंडस्ट्री आने वाले कुछ वर्षों में 12-13 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और उनका फिट-आउट बिजनेस करीब 13-15 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगा। इसका कारण यह है कि वे सर्विसेज को तेजी के साथ डिलीवर करते हैं। कम्पनी ने करीब तीन वर्ष पूर्व फिट-आउट बिजनेस करना शुरू किया और उनकी डिजाइन टीम में करीब साठ लोग काम कर रहे हैं। प्रोजेक्ट में करीब 120 लोग हैं जो कंस्ट्रक्शन, प्रोक्योरमेंट और मैनेजमेंट देखते हैं। केवल ऑफिस ही नहीं अन्य वर्कस्पेस ऑपरेटर्स भी फिट-आउट बिजनेस की बढ़ती डिमांड पर सहमत हैं। न्यू ऐज स्टार्टअप्स के बीच कस्टमाइज्ड ऑप्शंस की डिमांड है। इंडीक्यूब के को-फाउंडर के अनुसार मुम्बई में पुरानी प्रॉपर्टीज में फिट-आउट्स का अवसर देखा जा रहा है।  इससे मॉर्डन लुक देने में मदद मिल रही है। पारम्परिक प्लेयर्स के साथ प्रतिस्पर्धा की बात करें तो फ्लेक्जीबल वर्कस्पेस ऑपरेटर्स के पास फुलटाइम डिलीवरी टीम्स हैं जो काफी क्विक काम करती हैं। अब बात फिट-आउट एवरेज कॉस्ट की करें तो हाई कस्टमाइज्ड प्रोजेक्ट्स के लिये करीब 1,800 से 2,000 प्रति स्कवायर फीट है। कॉस्ट इससे भी अधिक जा सकती है। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं मेड-टू-ऑर्डर वर्कस्पेस का ट्रेंड देश में बढ़ रहा है। अनेक स्टार्टअप्स इसमें आगे बढ़ रहे हैं। देश में प्रवेश करने वाले टैक स्टार्टअप्स, मिड साइज जीसीसी के बीच भी फिट-आउट स्पेस की डिमांड बन रही है।


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