भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया कि व्यापार घाटे में कमी, सेवा एक्सपोर्ट में वृद्धि और प्रवासी भारतीयों द्वारा धन प्रेषण के कारण सितंबर तिमाही में भारत का चालू खाते का घाटा (कैड) कम होकर 12.3 बिलियन डॉलर या जीडीपी का 1.3 प्रतिशत रह गया। देश की बाहरी स्थिति का महत्वपूर्ण संकेतक चालू खाते का घाटा (सीएडी) पिछले साल की इसी तिमाही में 20.8 बिलियन डॉलर या जीडीपी का 2.2 प्रतिशत था। इससे पहले जून तिमाही में यह सिर्फ 2.4 बिलियन डॉलर या जीडीपी का 0.2 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में चालू खाते का घाटा कम होकर 15 बिलियन डॉलर या जीडीपी का 0.8 प्रतिशत रह गया, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह 25.3 बिलियन डॉलर या जीडीपी का 1.3 प्रतिशत था। जुलाई-सितंबर तिमाही में माल व्यापार घाटा सालाना आधार पर कम होकर 87.4 बिलियन डॉलर रह गया, जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में यह 88.5 बिलियन डॉलर था। भुगतान संतुलन के आंकड़ों के अनुसार सेवा क्षेत्र से शुद्ध प्राप्तियां पिछले साल के 44.5 बिलियन डॉलर से बढक़र 50.9 बिलियन डॉलर हो गईं। विशेष रूप से कंप्यूटर सेवाओं के एक्सपोर्ट में वृद्धि हुई है। आरबीआई ने बताया कि द्वितीयक आय खाते के तहत व्यक्तिगत हस्तांतरण सालाना आधार पर 34.4 बिलियन डॉलर से बढक़र इस तिमाही में 38.2 बिलियन डॉलर हो गईं। इन प्राप्तियों में मुख्य रूप से विदेश में काम करने वाले भारतीयों द्वारा धन प्रेषण शामिल है।