खाद्य मंत्रालय ने एडिबल ऑयल उद्योग संघों को आदेश दिया है कि वे खाद्य मुद्रास्फीति में उछाल के बीच कच्चे एडिबल ऑयल पर सीमा शुल्क को आधा करने के सरकार के फैसले के बाद उपभोक्ताओं को आयात शुल्क में कटौती का लाभ तुरंत दें। खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव की अध्यक्षता में प्रमुख एडिबल ऑयल उद्योग संघों और उद्योग के अंशधारकों के साथ एक बैठक हुई, जहां उन्हें शुल्क कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को देने का निर्देश देते हुए एक सलाह जारी की गई। विभाग ने बयान में कहा कि उद्योग अंशधारकों से अपेक्षा की जाती है कि वे तत्काल प्रभाव से कम लागत के अनुसार वितरकों को अपनी कीमत (पीटीडी) और अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को दुरुस्त करें। एडिबल ऑयल संघों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने सदस्यों को तत्काल मूल्य कटौती को लागू करने की सलाह दें और साप्ताहिक आधार पर विभाग के साथ अद्यतन ब्रांड-वार एमआरपी शीट साझा करें। मंत्रालय ने एडिबल ऑयल उद्योग के साथ एमआरपी और पीटीडी डेटा में की गई कटौती की रिपोर्टिंग करने के लिए एक प्रारूप साझा किया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि ‘‘आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से लाभों का समय पर पहुंचाना यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि उपभोक्ताओं को खुदरा कीमतों में इसी तरह की हुई कटौती का अनुभव हो।’’ यह निर्णय पिछले साल शुल्क वृद्धि के बाद एडिबल ऑयल की कीमतों में तेज वृद्धि की विस्तृत समीक्षा के बाद लिया गया। इस वृद्धि के कारण उपभोक्ताओं पर महंगाई का दबाव काफी बढ़ गया, खुदरा एडिबल ऑयल की कीमतें बढ़ गईं और खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई। केंद्र ने कच्चे एडिबल ऑयलों-कच्चे सूरजमुखी, सोयाबीन और कच्चे पाम तेलों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को 20' से घटाकर 10' कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप कच्चे और परिष्कृत एडिबल ऑयलों के बीच आयात शुल्क का अंतर 8.75' से बढक़र 19.25' हो गया है। इस समायोजन का उद्देश्य सितंबर, 2024 में शुल्क वृद्धि और अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों में समवर्ती वृद्धि के परिणामस्वरूप एडिबल ऑयल की बढ़ती कीमतों को ठीक करना है। अधिकारियों ने कहा कच्चे और रिफाइंड तेलों के बीच 19.25' शुल्क अंतर घरेलू रिफाइनिंग क्षमता उपयोग को प्रोत्साहित करने और रिफाइंड तेलों के आयात को कम करने में मदद करेगा।