रिपोर्ट्स के अनुसार भारत सरकार आईडीबीआई बैंक में इसी महीने 7 बिलियन डॉलर की हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है। इसके बाद पीएसबी (पब्लिक सेक्टर बैंक) में फॉरेन इंवेस्टमेंट की प्रक्रिया शुरू होगी। इस बारे में लंबे समय से चल रहे कयासों को साफ करते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा है कि पीएसबी (सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक) में 49 परसेंट एफडीआई देने का कोई प्लान नहीं है। अभी पीएसबी में एफडीआई की लिमिट 20 परसेंट है। इसका सीधा अर्थ है कि केंद्र सरकार 20 परसेंट तक एफडीआई की मंजूरी देने का प्लान है। वर्तमान में पीएसबी में 20 परसेंट तक और प्राइवेट बैंकों में 74 परसेंट तक एफडीआई की अनुमति है। प्राइवेट सेक्टर बैंकों में 49 परसेंट तक का निवेश ऑटोमैटिक रूट से होता है और 49 परसेंट से 74 परसेंट तक निवेश के लिए सरकारी मंजूरी आवश्यक होती है। वित्त राज्य मंत्री चौधरी के अनुसार 2020 के बाद से पीएसबी में केंद्र सरकार के पास मौजूद शेयरों की संख्या में कोई गिरावट नहीं हुई है। हालांकि, कुछ बैंकों में सरकार की प्रतिशत हिस्सेदारी घटी है क्योंकि उन बैंकों ने पंूजी बढ़ाने के लिए नये शेयर जारी किए। मंत्री ने कहा कि इस प्रकार पंूजी जुटाने से सरकार पर राजकोषीय बोझ कम होता है और बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत होती है। उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों को सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) रूल्स 1957 के तहत न्यूनतम 25% पब्लिक शेयरहोल्डिंग का अनुपालन करना अनिवार्य है। इसका अर्थ यह है कि सरकार इस सेक्टर से पूरी तरह निकलने के बजाय एक-दो बड़े पीएसयू बैंक सरकारी मालिकाना हक और नियंत्रण के साथ रखेगी। इन एक-दो बड़े बैंकों के अलावा बाकी सभी पीएसबी के निजीकरण, विलय या रीस्ट्रक्चरिंग का निर्णय नीति आयोग की सिफारिश और ऑल्टरनेटिव मेकैनिज्म की मंजूरी से होगा। दूसरी ओर भारत सरकार वित्त वर्ष 2027 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को घटाकर 4 करने के बड़े प्लान पर काम कर रही है। योजना के तहत भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और कैनरा बैंक व यूनियन बैंक के विलय से बनी नई इकाई देश की 4 प्रमुख सरकारी बैंकिंग संस्थाएं बनकर उभरेंगी। प्लान का मकसद बैंकों की बैलेंसशीट मजबूत कर ऑपरेशनल एफीशिएंसी और ग्लोबल लेवल पर कंपीटिटिव बैंक खड़ा करना है। यदि योजना के अनुसार लागू किया गया, तो वित्त वर्ष 2027 का यह रोडमैप 2017-2020 के पुनर्गठन के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के समेकन का दूसरा प्रमुख चरण होगा, जिसमें सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घटाकर 12 कर दी गई थी।
