शेयर बाजारों में फिलहाल ग्लोबल अनिश्चितताओं के कारण बड़ी उठापटक देखने को मिल रही है। इस बीच हालांकि कई कंपनियों के आईपीओ भी मार्केट में आ रहे हैं जिनमें कुछेक Loss-Making कंपनियां भी शामिल हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्रमुख रूप से Loss-Making Start-ups के आईपीओ के बाद उनके शेयरों का परफोर्मेंस देखें तो कुल 14 लिस्टेड युनिकॉर्न (1 बिलियन डॉलर से अधिक के वेल्यूएशन वाले स्टार्ट-अप्स) स्टार्ट-अप्स में से 50 प्रतिशत स्टार्ट-अप्स के शेयर वर्तमान में आईपीओ प्राइस से नीचे ट्रेड कर रहे हैं। दिलचस्प रूप से इंवेस्टरों को नेगेटिव रिटर्न देने वाले अधिकतर स्टार्ट-अप्स Loss-Making हैं। इंडिविजुअल स्टार्ट-अप्स की बात करें तो पेटीएम (वन 97 कम्यूनिकेशंस) के शेयर जहां आईपीओ प्राइस से 50 प्रतिशत नीचे ट्रेड कर रहे हैं वहीं ओला इलेक्ट्रिक और फस्र्टक्राई के शेयर आईपीओ प्राइस से क्रमश: 46 प्रतिशत व 22 प्रतिशत नीचे ट्रेड कर रहे हैं। इसी तरह होनासा कंज्यूमर व मोबीक्विक के शेयर भी वर्तमान में आईपीओ प्राइस की तुलना में क्रमश: 19 प्रतिशत व 14 प्रतिशत नीचे ट्रेड कर रहे हैं। इनमें से पेटीएम, फस्र्टक्राई, ओला इलेक्ट्रिक व मोबिक्विक ने फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में घाटा रिपोर्ट किया है। इनके विपरीत प्रोफिटेबल स्टार्टअप्स ने इंवेस्टरों को अच्छा रिटर्न दिया है। इटर्नल (जोमेटो) के शेयर वर्तमान में जहां आईपीओ प्राइस से 300 प्रतिशत ऊपर ट्रेड कर रहे हैं वहीं पॉलिसीबाजार (पीबी फिनटेक) व जिंका लॉजिस्टिक्स के शेयर क्रमश: 78 प्रतिशत व 85 प्रतिशत ऊपर ट्रेड कर रहे हैं। इजीट्रिप प्लानर्स व गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस के शेयर भी वर्तमान में आईपीओ प्राइस से क्रमश: 63 प्रतिशत व 32 प्रतिशत ऊपर ट्रेड कर रहे हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि Loss-making स्टार्टअप्स के आईपीओ में इंवेस्ट करना घाटे का सौदा साबित हो सकता है।
