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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

23-07-2025

सोलर-रूफ वाकई बन पाएगी ग्रीन कार का प्रूफ

  •  दुनियाभर के रिसर्चर आपकी कार को सोलर जेनरेटर में बदलने के लिए ब्रेनस्टॉर्मिंग (माथापच्ची) कर रहे हैं। कार ही क्यों, ट्रक, बस भी। 25 से 31 अगस्त के बीच ऑस्ट्रेलिया में एक बेहद दिलचस्प कार रेस होने जा रही है। इस रेस में भाग लेने वाली गाडिय़ां ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी शहर एडिलेड से रवाना होकर लगभग 3 हजार किमी दूर उत्तरी पोर्ट डार्विन तक का सफर तय करेंगी। खास बात यह है कि ये सभी गाडिय़ां सोलर पावर्ड होंगी। दूसरी खास बात यह रेस ऑस्ट्रेलिया के सर्दियों के मौसम में होगी जब सूरज की रोशनी सीमित रहती है। ब्रिजस्टोन वल्र्ड सोलर चैलेंज नाम की यह सालाना रेस सालों से हो रही है। लेकिन इस बार पहली बार भारत से भी एक टीम भाग ले रही है। आईआईटी मद्रास के सेंटर फॉर इनोवेशन के स्टुडेंट्स की टीम सोलर पावर्ड कार ...आग्नेय... के साथ इस रेस में हिस्सा लेगी। इस रेस का मकसद गाडिय़ों में सोलर पावर के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। हालांकि बड़ा चैलेंज यह है कि शायद ही कभी मेनस्ट्रीम कार पूरी तरह सोलर पावर्ड हो पाएं क्योंकि सोलर एनर्जी से कार चलाने के लिए जरूरी पावर नहीं मिल पाती। लेकिन ईवी के मेनस्ट्रीम होने के साथ यह आइडिया जरूर जोर मार रहा है कि क्या कार की छत पर सोलर पैनल लगाकर थोड़ी बहुत एक्स्ट्रा बिजली जेनरेट की जा सकती है जिससे बैटरी पर दबाव कम हो सके। कार कंपनियां आजकल सिर्फ छत पर सोलर पैनल लगाने की जगह, पूरी छत को ही सोलर पैनल में बदलने पर काम कर रही हैं। इस तकनीक को वेहीकल इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टाइक्स (वीआईपीवी) कहते हैं। इसमें सोलर सेल्स को कार की छत, बोनट और साइड पैनल्स पर करीने से जोड़ा जाता है। इस तरह कार की पूरी बॉडी ही बिजली बनाने वाली सतह बन जाती है।

    वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) के प्रोफेसर वाई. राजा शेखर, जो वीआईपीवी पर एक इंटरनेशनल रिसर्च टीम के मेंबर हैं कहते हैं, यह एक एमर्जिंग टेक्नोलॉजी हैै। यह स्टडी वीआईटी, लिस्बन यूनिवर्सिटी (पुर्तगाल) और फच्निर कंसल्टिंग इंजीनियर्स द्वारा मिलकर की गई थी। स्टडी के दौरान एक वीआईपीवी कार को तीन घंटे तक चलाया गया, जेनरेट हुई बिजली को मापा गया तो पता चला कि एक पूरे दिन की ड्राइविंग में 1,200 से 1,800 वॉट बिजली जेनरेट की जा सकती है। प्रो. शेखर कहते हैं सोलर वेहीकल एसी, लाइटिंग आदि के लिए बिजली को पूरा करने में मददगार हो सकते हैं जिससे बैटरियों पर बोझ कम होगा। वीआईपीवी से सीधे बैटरी चार्ज की जा सकती है लेकिन इसके लिए गाड़ी में अतिरिक्त उपकरण लगाने पड़ते हैं जिससे गाड़ी का वजन बढ़ सकता है। जर्मनी के फ्रॉनहोफर इंस्टीट्यूट ने एक 115 वॉट का सोलर बोनट और 3.2 किलोवॉट का पीवी (सोलर) रूफ एक 18-टन के ई-ट्रक पर डवलप किया है। सोनो मोटर्स, लाइटईयर, टोयोटा और मर्सिडीज-बेंज वीआईपीवी कारों के प्रोटोटाइप तैयार कर रही हैं। मर्सिडीज-बेंज ने दिसंबर 2024 में कहा था कि उसने एक सोलर पेंट डवलप किया है जिसे ईवी की बॉडी पर सीधे लगाया जा सकता है। इस एक्टिव फोटोवोल्टिक  पेंट वाली सतह से साल में 12 हजार किमी की अतिरिक्त ड्राइविंग रेंज जितनी बिजली जेनरेट हो सकती है।  लेकिन वीआईपीवी तकनीक के रास्ते में एक बड़ा चैलेंज है। गाड़ी का सरफेस बहुत ज्यादा गर्म हो जाने से सोलर पैनल की एफिशिएंसी घट जाती है। इसके लिए  फेज-चेंजिंग केमिकल्स (रूप बदलने वाले केमिकल) कूलिंग टेक्नोलॉजी पर रिसर्च करने की जरूरत है। 

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सोलर-रूफ वाकई बन पाएगी ग्रीन कार का प्रूफ

 दुनियाभर के रिसर्चर आपकी कार को सोलर जेनरेटर में बदलने के लिए ब्रेनस्टॉर्मिंग (माथापच्ची) कर रहे हैं। कार ही क्यों, ट्रक, बस भी। 25 से 31 अगस्त के बीच ऑस्ट्रेलिया में एक बेहद दिलचस्प कार रेस होने जा रही है। इस रेस में भाग लेने वाली गाडिय़ां ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी शहर एडिलेड से रवाना होकर लगभग 3 हजार किमी दूर उत्तरी पोर्ट डार्विन तक का सफर तय करेंगी। खास बात यह है कि ये सभी गाडिय़ां सोलर पावर्ड होंगी। दूसरी खास बात यह रेस ऑस्ट्रेलिया के सर्दियों के मौसम में होगी जब सूरज की रोशनी सीमित रहती है। ब्रिजस्टोन वल्र्ड सोलर चैलेंज नाम की यह सालाना रेस सालों से हो रही है। लेकिन इस बार पहली बार भारत से भी एक टीम भाग ले रही है। आईआईटी मद्रास के सेंटर फॉर इनोवेशन के स्टुडेंट्स की टीम सोलर पावर्ड कार ...आग्नेय... के साथ इस रेस में हिस्सा लेगी। इस रेस का मकसद गाडिय़ों में सोलर पावर के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। हालांकि बड़ा चैलेंज यह है कि शायद ही कभी मेनस्ट्रीम कार पूरी तरह सोलर पावर्ड हो पाएं क्योंकि सोलर एनर्जी से कार चलाने के लिए जरूरी पावर नहीं मिल पाती। लेकिन ईवी के मेनस्ट्रीम होने के साथ यह आइडिया जरूर जोर मार रहा है कि क्या कार की छत पर सोलर पैनल लगाकर थोड़ी बहुत एक्स्ट्रा बिजली जेनरेट की जा सकती है जिससे बैटरी पर दबाव कम हो सके। कार कंपनियां आजकल सिर्फ छत पर सोलर पैनल लगाने की जगह, पूरी छत को ही सोलर पैनल में बदलने पर काम कर रही हैं। इस तकनीक को वेहीकल इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टाइक्स (वीआईपीवी) कहते हैं। इसमें सोलर सेल्स को कार की छत, बोनट और साइड पैनल्स पर करीने से जोड़ा जाता है। इस तरह कार की पूरी बॉडी ही बिजली बनाने वाली सतह बन जाती है।

वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) के प्रोफेसर वाई. राजा शेखर, जो वीआईपीवी पर एक इंटरनेशनल रिसर्च टीम के मेंबर हैं कहते हैं, यह एक एमर्जिंग टेक्नोलॉजी हैै। यह स्टडी वीआईटी, लिस्बन यूनिवर्सिटी (पुर्तगाल) और फच्निर कंसल्टिंग इंजीनियर्स द्वारा मिलकर की गई थी। स्टडी के दौरान एक वीआईपीवी कार को तीन घंटे तक चलाया गया, जेनरेट हुई बिजली को मापा गया तो पता चला कि एक पूरे दिन की ड्राइविंग में 1,200 से 1,800 वॉट बिजली जेनरेट की जा सकती है। प्रो. शेखर कहते हैं सोलर वेहीकल एसी, लाइटिंग आदि के लिए बिजली को पूरा करने में मददगार हो सकते हैं जिससे बैटरियों पर बोझ कम होगा। वीआईपीवी से सीधे बैटरी चार्ज की जा सकती है लेकिन इसके लिए गाड़ी में अतिरिक्त उपकरण लगाने पड़ते हैं जिससे गाड़ी का वजन बढ़ सकता है। जर्मनी के फ्रॉनहोफर इंस्टीट्यूट ने एक 115 वॉट का सोलर बोनट और 3.2 किलोवॉट का पीवी (सोलर) रूफ एक 18-टन के ई-ट्रक पर डवलप किया है। सोनो मोटर्स, लाइटईयर, टोयोटा और मर्सिडीज-बेंज वीआईपीवी कारों के प्रोटोटाइप तैयार कर रही हैं। मर्सिडीज-बेंज ने दिसंबर 2024 में कहा था कि उसने एक सोलर पेंट डवलप किया है जिसे ईवी की बॉडी पर सीधे लगाया जा सकता है। इस एक्टिव फोटोवोल्टिक  पेंट वाली सतह से साल में 12 हजार किमी की अतिरिक्त ड्राइविंग रेंज जितनी बिजली जेनरेट हो सकती है।  लेकिन वीआईपीवी तकनीक के रास्ते में एक बड़ा चैलेंज है। गाड़ी का सरफेस बहुत ज्यादा गर्म हो जाने से सोलर पैनल की एफिशिएंसी घट जाती है। इसके लिए  फेज-चेंजिंग केमिकल्स (रूप बदलने वाले केमिकल) कूलिंग टेक्नोलॉजी पर रिसर्च करने की जरूरत है। 


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