केंद्र सरकार जल्द ही एमएसएमई से जुड़े नियमों को सरल बनाने के लिए एक नया संशोधन बिल संसद में पेश करने जा रही है। इस प्रस्तावित कानून के तहत, एमएसएमई द्वारा किए गए मामूली उल्लंघनों पर लगाए जाने वाले जुर्मानों को या तो समाप्त किया जाएगा या फिर उन्हें कम किया जाएगा। इसका उद्देश्य छोटे उद्यमियों को कंप्लायंस के बोझ से राहत देना और ‘ई•ा ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा देना है। जानकारी के मुताबिक, इस संशोधन के तहत ‘एमएसएमई विकास अधिनियम, 2006’ की धारा 27 में बदलाव किया जाएगा। इस धारा में में गैर-रिपोर्टिंग या गलत जानकारी देने पर 1 से 10 हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। अब सरकार इन मामूली जुर्माने के मामलों को कोर्ट के बजाय अधिकारियों के कार्यक्षेत्र में शामिल करना चाहती है। वित्त मंत्रालय और एमएसएमई मंत्रालय के अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि यह बदलाव जन विश्वास बिल 2.0' के हिस्से के तौर पर बजट सत्र 2025-26 में संसद में पेश किया जाएगा। यह बिल पहले से ही 40 से अधिक कानूनों की 180 से ज़्यादा धाराओं को गैर-आपराधिक श्रेणी में ला चुका है। अब इसमें एमएसएमई अधिनियम को भी शामिल करने की तैयारी है। सरकार का कहना है कि करीब 6.5 करोड़ एमएसएमई देश की जीडीपी में लगभग 30 परसेंट का योगदान करते हैं और कुल एक्सपोर्ट में इनका शेयर 45 परसेंट है। माना जा रहा है कि इस बिल के पारित होने से एमएसएमई क्षेत्र को कानूनी सुरक्षा मिलेगी और न्यायपालिका पर बोझ भी कम होगा। साथ ही डिजिटल फॉर्मेट में अनुपालन प्रक्रिया को सरलीकृत कर सरल और सुलभ व्यापार माहौल सुनिश्चित किया जा सकेगा।