हालांकि रेलेवेंट है या नहीं कह नहीं सकते लेकिन हिंदी में एक मुहावरा है चौबे जी छब्बे जी बनने चले दुबे जी रह गए। वैसे तो डायनामिक मार्केट में कल क्या होगा कोई नहीं जानता लेकिन कुछ महीने पहले तक जिस चीनी दिग्गज बीवाईडी को ग्लोबल सुपरपावर कहा जा रहा था वो बहुत तेजी से पावर लू•ा कर रही है वो भी सिर्फ एक फैसले के कारण। बीवाईडी ने पिछले महीने चीन में अपनी ईवी की प्राइस में 34 परसेंट तक की बड़ी कटौती की थी। कोशिश थी कंपीटिशन खत्म कर बाजार में मोनोपॉली जमाने की। लेकिन हो उलटा गया बीवाईडी के मार्केट कैप से 20 बिलियन डॉलर सफाचट हो गए। बीस बिलियन डॉलर यानी करीब 17 लाख करोड़ रुपये। प्राइस घटाने की ग्लोबल दिग्गज बीवाईडी की स्ट्रेटेजी पर सवाल खड़े करने वालों की नई फौज उठ खड़ी हुई है। नतीजा कंपनी के शेयरों के पांव तले जैसे जमीन खिसक रही है। कंपनी के इस साल 55 लाख यूनिट्स के सेल्स टार्गेट को लेकर अब चिंता गहराने लगी है। वैसे भी चीन की इकोनॉमी औंधे मूंह पड़ी है और कई लाख करोड़ के स्टिमुलस पैकेज देने के बावजूद कंज्यूमर सेंटिमेंट और सेल्स कन्वर्जन सुधर नहीं रहा है। बीवाईडी ने स्मार्टफीचर पैकेज को 10 हजार डॉलर तक की प्राइस वाले मॉडलों के लिए फ्री-टू-यू•ा कर दिया है लेकिन सेंटिमेंट और आउटलुक पॉजिटिव नहीं होने के कारण इस टेक्टिकल मूव को भी ठंडा ही रेस्पॉन्स मिला है। बीवाईडी के मुकाबले में पहले गीली और लीपमोटर्स ही थे लेकिन शाओमी और हुआवे जैसे डिजिटल टेक दिग्गजों के ईवी मार्केट में कूद पडऩे से कंपीटिशन बहुत हॉट हो गया है। हांगकांग में लिस्टेड बीवाईडी के शेयर 23 मई को 405 युआन के लेवल पर थे जो अब 348 युआन के लेवल पर हैं। क्योंकि इंवेस्टर्स को लगता है कि कंपनी ने जो प्राइसवॉर छेड़ा है उससे बीवाईडी की प्रॉफिटेबिलिटी पर चोट पहुंचेगी। साथ ही बीवाईडी के शेयरों का वैल्यूएशन बढऩे का आकर्षण भी घट चुका है और शॉर्ट सेलिंग फिर से तीन महीने के पीकलेवल पर पहुंच गई है। सोलोमन्स ग्रुप के एंडी वोंग कहते हैं कि बीवाईडी के हालातों मार्जिन प्रेशर और ईवी में कमजोर सेंटिमेंट दोनों दिखने लगे है। अब एग्रेसिव प्राइसिंग वॉल्यूम ग्रोथ की गारंटी नहीं है क्योंकि मार्केट बहुत मैच्यॉर और कंपीटिटिव है। चीन के 100 से ज्यादा ईवी मेकर के दखल वाले मार्केट में 3 साल से प्राइस वॉर चल रहा है लेकिन बीवाईडी इसे एक अनवायबल लेवल पर ले गई है। कंपनी ने 2025 में 55 लाख यूनिट्स का टार्गेट रखा है लेकिन जनवरी से मई के पांच महीनों में 32 परसेंट ही हासिल हो पाया है। ड्राइवर-असिस्टेंस सिस्टम कुछ मॉडलों में फ्री टू यूज होने के बावजूद सेल्स कन्वर्जन ज्यादा नहीं बढ़ा है। दूसरी ओर एक्सपेंग, लीपमोटर और गीली ऑटोमोबाइल आदि बेहतर फीचर्स और कंपीटिटिव प्राइस के बैलेंस के जरिए मास मार्केट में तेजी से सेंध लगा रही हैं। नतीजा गीली के दो मॉडल चीन में बेस्टसेलिंग मॉडल बन चुके हैं। लीपमोटर की मई में डिलिवरी दोगुनी हो चुकी हैं। पिछले दिनों चीन की ट्रेड रेगुलेटर ने भी कार कंपनियों से प्राइसवॉर से बचने को चेताते हुए कहा था कि कंपोनेंट वेंडर पर दबाव पड़ रहा है और पूरा ईकोसिस्टम क्राइसिस में है। एनेलिस्ट कहते हैं कि चीन के ईवी मार्केट में कंसोलिडेशन होना है। बीवाईडी ने छोटे ब्रांड्स पर अटैक के लिए ही यह प्राइस अटैक किया है। हालांकि जो बड़े खिलाड़ी हैं उनकी प्रॉडक्ट एफीशियेंसी और पॉकेट्स दोनों गहरी हैं ऐसे में भयंकर कत्लेआम की आशंका है।
