TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

26-04-2025

हाइब्रिड और ई-कार पर छिड़ा टग-ऑफ-वॉर

  • आपको याद होगा पिछले साल यूपी सरकार ने जैसे ही हाइब्रिड कारों पर सब्सिडी दी तो देश की ईवी कंपनियों ने मोर्चा ही खोल दिया था। अब यही हालात दिल्ली में बन रहे हैं। दिल्ली सरकार ने अपनी नई ईवी पॉलिसी में ईवी और हाइब्रिड को एक जैसी सब्सिडी की कैटेगरी में रखा है। सरकार के इस कदम से ईवी-पीवी कंपनियों को जैसे पैनिक अटैक आ गया है और उन्होंने इस ईवी पॉलिसी के ड्राफ्ट का विरोध करना शुरू कर दिया है। इन कंपनियों का दावा है कि उन्होंने बीईवी (बैटरी इलेक्ट्रिक वेहीकल) टेक्नोलॉजी पर अरबों का इंवेस्टमेंट किया है और उनके डवलपमेंट रोडमैप में हाइब्रिड शामिल नहीं हैं। दिल्ली सरकार ने नई ईवी पॉलिसी 2.0 के ड्राफ्ट में कहा है कि 20 लाख रुपये तक की एक्स-शोरूम कीमत वाली इलेक्ट्रिक कारों पर रजिस्ट्रेशन और रोडटैक्स माफ किया जाएगा। रिपोर्ट्स के अनुसार इस ड्राफ्ट पॉलिसी के सामने आने के बाद टाटा, ह्यूंदे, एमजी, किआ और महिन्द्रा के अधिकारियों ने सरकार के साथ मीटिंग का समय मांगा है। इनका कहना है कि उन्हें राज्य सरकार ने कुछ मुद्दों पर क्लैरिटी चाहिए। इंडस्ट्री का कहना है कि हाइब्रिड को ईवी की तरह सब्सिडी की जरूरत नहीं है और इसीलिए पिछली ईवी पॉलिसी में हाइब्रिड को शामिल नहीं किया गया था। लेकिन नई ईवी पॉलिसी 2.0 में हाइब्रिड वेहीकल्स को कम एमिशन और क्लीन मोबिलिटी में उनके योगदान को देखते हुए स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड और प्लग-इन-हाइब्रिड को भी शामिल किया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार नई पॉलिसी के तहत 20 लाख रुपये तक की ईवी पर 2 लाख रुपये की बचत होगी। उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य था जिसने पिछले साल जुलाई में हाइब्रिड वेहीकल्स के लिए इसी तरह की रियायत दी थी। लेकिन ईवी कंपनियों के विरोध के बाद ईवी को भी इस सब्सिडी स्कीम में शामिल किया गया था। दरअसल ईवी कंपनियों को आशंका है कि ईवी और हाइब्रिड को एक जैसा ट्रीटमेंट मिलने से अन्य राज्य भी ऐसी ही पॉलिसी ला सकते हैं। इंडस्ट्री का मानना है कि यदि हाइब्रिड को ईवी के जैसा ट्रीटमेंट मिलता है तो फिर हम ईवी में इंवेस्टमेंट क्यों करेंगे? हालांकि पॉलिसी ड्राफ्ट में कहा गया है कि हाइब्रिड वेहीकल्स पर सब्सिडी तभी लागू होगी जब केंद्र सरकार एसएचईवी (स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड) और पीएचईवी (प्लग-इन-हाइब्रिड) की परिभाषा तय कर देगी। आप जानते हैं कि हाइब्रिड टेक में टोयोटा और मारुति का दबदबा है। लेकिन ये दोनों ही कंपनियां बीईवी की दौड़ में बहुत पीछे हैं। हालांकि जल्दी ही मारुति की ई-विटारा लॉन्च होने वाली है। टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा, ह्यूंदे आदि कंपनियां केवल ईवी को ही सब्सिडी स्कीम में शामिल करने की वकालत कर रही हैं। हालांकि ह्यूंदे के ग्लोबल पोर्टफोलियो में हाइब्रिड वेहीकल्स हैं लेकिन कंपनी इन्हें भारत में नहीं बेचती। मारुति सुजुकी और टोयोटा हाइब्रिड वेहीकल्स को सब्सिडी स्कीम में शामिल करने के लिए भारत सरकार की पैरवी कर रही हैं। इनका दावा है कि हाइब्रिड वेहीकल्स का एमिशन बहुत कम होता है और ये बीईवी के मुकाबले ज्यादा व्यावहारिक भी हैं। वाहन पोर्टल के अनुसार वित्त वर्ष 25 में दिल्ली में लगभग 6,800 हाइब्रिड कारें बिकीं जो देश में बिकीं कुल 80400 हाइब्रिड कारों का केवल 8 परसेंट है। वहीं इस दौरान दिल्ली में ईवी की सेल्स 6,092 यूनिट्स की रही जो इनकी देशभर की कुल 100,667 यूनिट्स की सेल्स का केवल 6 परसेंट थी। पिछले वित्त वर्ष में देश में कुल 1.87 लाख इलेक्ट्रिफाइड यानी ईवी और हाइब्रिड पैसेंजर वेहीकल्स रजिस्टर हुए थे जो कुल पीवी सेल्स का केवल 4 परसेंट है। डेलॉय के हाल ही में जारी 2025 ग्लोबल ऑटोमोटिव कंज्यूमर स्टडी में कहा कि इंडिया में कंज्यूमर का झुकाव बीईवी की तुलना में हाइब्रिड वेहीकल्स की ओर ज्यादा है। हाइब्रिड कारों रोडटैक्स और रजिस्ट्रेशन माफ हो जाने पर इनकी प्राइस डीजल कारों के बराबर आ जाएगी।

Share
हाइब्रिड और ई-कार पर छिड़ा टग-ऑफ-वॉर

आपको याद होगा पिछले साल यूपी सरकार ने जैसे ही हाइब्रिड कारों पर सब्सिडी दी तो देश की ईवी कंपनियों ने मोर्चा ही खोल दिया था। अब यही हालात दिल्ली में बन रहे हैं। दिल्ली सरकार ने अपनी नई ईवी पॉलिसी में ईवी और हाइब्रिड को एक जैसी सब्सिडी की कैटेगरी में रखा है। सरकार के इस कदम से ईवी-पीवी कंपनियों को जैसे पैनिक अटैक आ गया है और उन्होंने इस ईवी पॉलिसी के ड्राफ्ट का विरोध करना शुरू कर दिया है। इन कंपनियों का दावा है कि उन्होंने बीईवी (बैटरी इलेक्ट्रिक वेहीकल) टेक्नोलॉजी पर अरबों का इंवेस्टमेंट किया है और उनके डवलपमेंट रोडमैप में हाइब्रिड शामिल नहीं हैं। दिल्ली सरकार ने नई ईवी पॉलिसी 2.0 के ड्राफ्ट में कहा है कि 20 लाख रुपये तक की एक्स-शोरूम कीमत वाली इलेक्ट्रिक कारों पर रजिस्ट्रेशन और रोडटैक्स माफ किया जाएगा। रिपोर्ट्स के अनुसार इस ड्राफ्ट पॉलिसी के सामने आने के बाद टाटा, ह्यूंदे, एमजी, किआ और महिन्द्रा के अधिकारियों ने सरकार के साथ मीटिंग का समय मांगा है। इनका कहना है कि उन्हें राज्य सरकार ने कुछ मुद्दों पर क्लैरिटी चाहिए। इंडस्ट्री का कहना है कि हाइब्रिड को ईवी की तरह सब्सिडी की जरूरत नहीं है और इसीलिए पिछली ईवी पॉलिसी में हाइब्रिड को शामिल नहीं किया गया था। लेकिन नई ईवी पॉलिसी 2.0 में हाइब्रिड वेहीकल्स को कम एमिशन और क्लीन मोबिलिटी में उनके योगदान को देखते हुए स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड और प्लग-इन-हाइब्रिड को भी शामिल किया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार नई पॉलिसी के तहत 20 लाख रुपये तक की ईवी पर 2 लाख रुपये की बचत होगी। उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य था जिसने पिछले साल जुलाई में हाइब्रिड वेहीकल्स के लिए इसी तरह की रियायत दी थी। लेकिन ईवी कंपनियों के विरोध के बाद ईवी को भी इस सब्सिडी स्कीम में शामिल किया गया था। दरअसल ईवी कंपनियों को आशंका है कि ईवी और हाइब्रिड को एक जैसा ट्रीटमेंट मिलने से अन्य राज्य भी ऐसी ही पॉलिसी ला सकते हैं। इंडस्ट्री का मानना है कि यदि हाइब्रिड को ईवी के जैसा ट्रीटमेंट मिलता है तो फिर हम ईवी में इंवेस्टमेंट क्यों करेंगे? हालांकि पॉलिसी ड्राफ्ट में कहा गया है कि हाइब्रिड वेहीकल्स पर सब्सिडी तभी लागू होगी जब केंद्र सरकार एसएचईवी (स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड) और पीएचईवी (प्लग-इन-हाइब्रिड) की परिभाषा तय कर देगी। आप जानते हैं कि हाइब्रिड टेक में टोयोटा और मारुति का दबदबा है। लेकिन ये दोनों ही कंपनियां बीईवी की दौड़ में बहुत पीछे हैं। हालांकि जल्दी ही मारुति की ई-विटारा लॉन्च होने वाली है। टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा, ह्यूंदे आदि कंपनियां केवल ईवी को ही सब्सिडी स्कीम में शामिल करने की वकालत कर रही हैं। हालांकि ह्यूंदे के ग्लोबल पोर्टफोलियो में हाइब्रिड वेहीकल्स हैं लेकिन कंपनी इन्हें भारत में नहीं बेचती। मारुति सुजुकी और टोयोटा हाइब्रिड वेहीकल्स को सब्सिडी स्कीम में शामिल करने के लिए भारत सरकार की पैरवी कर रही हैं। इनका दावा है कि हाइब्रिड वेहीकल्स का एमिशन बहुत कम होता है और ये बीईवी के मुकाबले ज्यादा व्यावहारिक भी हैं। वाहन पोर्टल के अनुसार वित्त वर्ष 25 में दिल्ली में लगभग 6,800 हाइब्रिड कारें बिकीं जो देश में बिकीं कुल 80400 हाइब्रिड कारों का केवल 8 परसेंट है। वहीं इस दौरान दिल्ली में ईवी की सेल्स 6,092 यूनिट्स की रही जो इनकी देशभर की कुल 100,667 यूनिट्स की सेल्स का केवल 6 परसेंट थी। पिछले वित्त वर्ष में देश में कुल 1.87 लाख इलेक्ट्रिफाइड यानी ईवी और हाइब्रिड पैसेंजर वेहीकल्स रजिस्टर हुए थे जो कुल पीवी सेल्स का केवल 4 परसेंट है। डेलॉय के हाल ही में जारी 2025 ग्लोबल ऑटोमोटिव कंज्यूमर स्टडी में कहा कि इंडिया में कंज्यूमर का झुकाव बीईवी की तुलना में हाइब्रिड वेहीकल्स की ओर ज्यादा है। हाइब्रिड कारों रोडटैक्स और रजिस्ट्रेशन माफ हो जाने पर इनकी प्राइस डीजल कारों के बराबर आ जाएगी।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news