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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

02-04-2025

वाइट हाइड्रोजन से ग्रीन एनर्जी में आएगा रेवॉल्यूशन

  •  आपने हाईवे मिनिस्टर नितिन गडक़री की टोयोटा मिराई कार देखी होगी। यह हाइड्रोजन फ्यूल सैल कार है और इसके साइलेंसर के धुआं नहीं पानी की बूंदे टपकती है। भारत की हाइड्रोजन रेल की बात भी आपने सुनी होगी। खबर है कि जून तक इसका ट्रायल हो जाएगा और यह दुनिया में सबसे ज्यादा पावर वाली हइड्रोजन रेल होगी। हाल ही टाटा मोटर्स ने हाइड्रोजन इंजन वाले हेवी ड्यूटी ट्रक ऑन-रोड ट्रायल के लिए लॉन्च किए हैं। आप जानते हैं कि 3 जनवरी 2023 को मोदी केबिनेट ने नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी थी। इस मिशन के लिए भारत सरकार ने 19744 करोड़ रुपये का बजट भी दे दिया और टार्गेट 5 साल में 50 लाख मेट्रिक टन की सालाना ग्रीन हाइड्रोजन कैपेसिटी तैयार करना है। लेकिन फ्रांस से जो खबर आ रही है वो पूरी दुनिया के एनर्जी इकोसिस्टम को उलट-पलट कर सकती है। मई 2023 में फ्रांस के लोरेन इलाके में खाली छोड़ दी गई खदानों की खोज करने वाले वैज्ञानिकों की एक टीम को कुछ उल्लेखनीय मिला। और जो मिला उससे ग्रीन लॉबी की बांछे खिल गईं और ऑयल लॉबी चिंता में डूब गई। रिपोर्ट कहती हैं कि वैज्ञानिकों की इस टीम को नेचरल हाइड्रोजन मिली जिसे वाइट हाइड्रोजन कहा जाता है। मार्च 2025 में इसके नजदीक ही मोसेल इलाके में खोज की गई तो वाइट हाइड्रोजन का बड़ा भंडार मिला।  दावा है कि दोनों भंडारों में कुल 92 मिलियन टन हाइड्रोजन है जिसकी वैल्यू करीब 92 बिलियन डॉलर होती है। एनेलिस्ट कहते हैं कि चूंकि पानी का इलेक्ट्रोलिसिस कर प्लांट में हाइड्रोजन बनाने में बिजली बहुत ज्यादा लगती है इसलिए इसकी कॉस्ट भी बहुत ज्यादा आती है। लेकिन यह हाइड्रोजन डिस्कवरी ग्रीन एनर्जी की दिशा में बड़ा टर्निंगपॉइंट साबित हो सकती है। हालांकि 92 मिलियन टन कोई बहुत बड़ी मात्रा नहीं है लेकिन यहां बात मात्रा की नहीं बल्कि इसके असर की है। बिना बिजली खर्च किए तैयार की गई हाइड्रोजन को वाइट हाइड्रोजन कहते हैं। जबकि फॉसिल फ्यूल जलाकर बनाई गई ऑक्सीजन को ग्रे हाइड्रोजन। हालांकि दुनियाभर के देश हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल पर काम कर रहे हैं। इस तरह बनी हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहते हैं।  फ्रांस में नेचरल हाइड्रोजन का यह भंडार 1,250 मीटर की गहराई पर मिला है। रिपोट्र्स के अनुसार दुनिया में आज जितनी ग्रे हाइड्रोजन की कैपेसिटी है नया भंडार उसके आधे से अधिक है और वह भी बिना एनर्जी व एनवायर्नमेंट कॉस्ट के। भारत सरकार 2047 तक एनर्जी ऑटोनमी और 2070 तक नेट-•ाीरो कार्बन एमिशन के टार्गेट को हासिल करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन पर पर फोकस कर रही है।  हाल ही वैज्ञानिकों ने गहरे समुद्र में डार्क ऑक्सीजन खोजने का भी दावा किया था। माना जा रहा है कि फ्रांस में जो वाइट हाइड्रोजन मिली है उससे नेचरल हाइड्रोजन का एक्सप्लोरेशन तेज हो सकता है और दुनियाभर के देशों में इसकी होड़ लग सकती है। पृथ्वी की पपड़ी में कुदरती रूप से पाई जाने वाली नेचरल हाइड्रोजन के भंडार अमेरिका, रूस,ऑस्ट्रेलिया और यूरोप सहित दुनिया भर में पाए जाते हैं।

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वाइट हाइड्रोजन से ग्रीन एनर्जी में आएगा रेवॉल्यूशन

 आपने हाईवे मिनिस्टर नितिन गडक़री की टोयोटा मिराई कार देखी होगी। यह हाइड्रोजन फ्यूल सैल कार है और इसके साइलेंसर के धुआं नहीं पानी की बूंदे टपकती है। भारत की हाइड्रोजन रेल की बात भी आपने सुनी होगी। खबर है कि जून तक इसका ट्रायल हो जाएगा और यह दुनिया में सबसे ज्यादा पावर वाली हइड्रोजन रेल होगी। हाल ही टाटा मोटर्स ने हाइड्रोजन इंजन वाले हेवी ड्यूटी ट्रक ऑन-रोड ट्रायल के लिए लॉन्च किए हैं। आप जानते हैं कि 3 जनवरी 2023 को मोदी केबिनेट ने नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी थी। इस मिशन के लिए भारत सरकार ने 19744 करोड़ रुपये का बजट भी दे दिया और टार्गेट 5 साल में 50 लाख मेट्रिक टन की सालाना ग्रीन हाइड्रोजन कैपेसिटी तैयार करना है। लेकिन फ्रांस से जो खबर आ रही है वो पूरी दुनिया के एनर्जी इकोसिस्टम को उलट-पलट कर सकती है। मई 2023 में फ्रांस के लोरेन इलाके में खाली छोड़ दी गई खदानों की खोज करने वाले वैज्ञानिकों की एक टीम को कुछ उल्लेखनीय मिला। और जो मिला उससे ग्रीन लॉबी की बांछे खिल गईं और ऑयल लॉबी चिंता में डूब गई। रिपोर्ट कहती हैं कि वैज्ञानिकों की इस टीम को नेचरल हाइड्रोजन मिली जिसे वाइट हाइड्रोजन कहा जाता है। मार्च 2025 में इसके नजदीक ही मोसेल इलाके में खोज की गई तो वाइट हाइड्रोजन का बड़ा भंडार मिला।  दावा है कि दोनों भंडारों में कुल 92 मिलियन टन हाइड्रोजन है जिसकी वैल्यू करीब 92 बिलियन डॉलर होती है। एनेलिस्ट कहते हैं कि चूंकि पानी का इलेक्ट्रोलिसिस कर प्लांट में हाइड्रोजन बनाने में बिजली बहुत ज्यादा लगती है इसलिए इसकी कॉस्ट भी बहुत ज्यादा आती है। लेकिन यह हाइड्रोजन डिस्कवरी ग्रीन एनर्जी की दिशा में बड़ा टर्निंगपॉइंट साबित हो सकती है। हालांकि 92 मिलियन टन कोई बहुत बड़ी मात्रा नहीं है लेकिन यहां बात मात्रा की नहीं बल्कि इसके असर की है। बिना बिजली खर्च किए तैयार की गई हाइड्रोजन को वाइट हाइड्रोजन कहते हैं। जबकि फॉसिल फ्यूल जलाकर बनाई गई ऑक्सीजन को ग्रे हाइड्रोजन। हालांकि दुनियाभर के देश हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल पर काम कर रहे हैं। इस तरह बनी हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहते हैं।  फ्रांस में नेचरल हाइड्रोजन का यह भंडार 1,250 मीटर की गहराई पर मिला है। रिपोट्र्स के अनुसार दुनिया में आज जितनी ग्रे हाइड्रोजन की कैपेसिटी है नया भंडार उसके आधे से अधिक है और वह भी बिना एनर्जी व एनवायर्नमेंट कॉस्ट के। भारत सरकार 2047 तक एनर्जी ऑटोनमी और 2070 तक नेट-•ाीरो कार्बन एमिशन के टार्गेट को हासिल करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन पर पर फोकस कर रही है।  हाल ही वैज्ञानिकों ने गहरे समुद्र में डार्क ऑक्सीजन खोजने का भी दावा किया था। माना जा रहा है कि फ्रांस में जो वाइट हाइड्रोजन मिली है उससे नेचरल हाइड्रोजन का एक्सप्लोरेशन तेज हो सकता है और दुनियाभर के देशों में इसकी होड़ लग सकती है। पृथ्वी की पपड़ी में कुदरती रूप से पाई जाने वाली नेचरल हाइड्रोजन के भंडार अमेरिका, रूस,ऑस्ट्रेलिया और यूरोप सहित दुनिया भर में पाए जाते हैं।


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