भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खडग़पुर के शोधकर्ताओं ने एक स्मार्ट ट्रैक्ड रोबोट डवलप किया है, जो फसल में रोग का पता लगा सकता है और खेती को बढ़ावा देने के लिए कीटनाशकों का छिडक़ाव भी कर सकता है। संस्थान के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के छात्रों के एक समूह ने सेमी-ऑटोमैटिक ट्रैक्ड मोबाइल मैनिपुलेटर कम एग्रीकल्चर रोबोटिक सिस्टम को डिजाइन और विकसित किया है। इंटेलीजेंट रोबोटिक सिस्टम का उद्देश्य पौधों में रोग की पहचान करने के साथ उचित और सुरक्षित कीटनाशक एप्लीकेशन सुनिश्चित करने में किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना है। रिसर्च का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर दिलीप कुमार प्रतिहार ने एक ट्रैक्ड मोबाइल मैनिपुलेटर को आइडल सॉल्यूशन के रूप में प्रस्तावित किया। प्रतिहार ने कहा कि इस सिस्टम में सीरियल मैनिपुलेटर है, जो मानव हाथ जैसा दिखता है, जिसे ट्रैक किए गए वाहन पर लगाया गया है। इसे विशेष रूप से फील्ड नेविगेशन और सटीक कार्यों के लिए डिजाइन किया गया है। ड्रोन बेस्ड एग्रीकल्चर रोबोट ने लोकप्रियता हासिल कर ली है, लेकिन उड़ान के दौरान वे पौधों की पत्तियों की हाई-क्वालिटी इमेज लेने में बेहतर नहीं हैं। इसमें शोर भी होता है। शोधकर्ताओं ने आईआईटी गुवाहाटी द्वारा आयोजित 2021 आईईईई 18वें इंडिया काउंसिल इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस (आईएनडीआईसीओएन) के दौरान पेश किए गए पेपर में बताया गया है, कि इस ट्रैक किए गए मोबाइल मैनिपुलेटर का इस्तेमाल कृषि सेक्टर में कई उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है, जैसे कि पौधों के स्वास्थ्य की निगरानी, पौधों के रोग की पहचान, कीटनाशक का छिडक़ाव, फलों या सब्जियों की कटाई आदि। न्यूली डवलप्ड ग्राउंड-बेस्ड ट्रैक किए गए मोबाइल मैनिपुलेटर सटीक बीमारी का पता लगाने के लिए कैमरा-आधारित पिक्चर एनेलिसिस का उपयोग करता है, इसके बाद उपयुक्त कीटनाशक का स्वचालित छिडक़ाव होता है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा फंडेड रोबोटिक प्रणाली का उद्देश्य न केवल मैनुअल कीटनाशक छिडक़ाव के दौरान किसानों के सामने आने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को कम करना है, बल्कि खाद्य गुणवत्ता और कृषि उत्पादकता को भी महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाना है।